आ. कलावती कर्वा दीदी जी की संक्षिप्त जीवन-परिचय , इदन्नमम
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्षा आदरणीया कलावती कर्वा जी की संक्षिप्त जीवन - परिचय
नाम - कलावती कर्वा "षोडशकला" (माहेश्वरी)
जन्म - 26 /04/1956
शिक्षा - 10th (काठमांडू, नेपाल)
रुचि - लेखन,
गृहणी
निवासी - सरदार शहर
जिला- चूरू (राजस्थान)
प्रवासी - कूचबिहार
पश्चिम बंगाल
*उपलब्धियां*
इन्टरनेशनल माहेश्वरी कपल क्लब कूचबिहार जिल्ला, अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान बंगाल प्रदेश इकाई अध्यक्ष
अखिल विश्व केसरिया परिषद बंगाल प्रदेश उपाध्यक्ष
*पुस्तक*
"षोडशकला काव्य"
"आहुति"
*साहित्यिक सम्मान*
अखिल भारतीय माहेश्वरी महिला संगठन सुलेखा समिति
इंटरनेशनल माहेश्वरी कपल क्लब द्वारा "माहेश्वरी वूमेन ऑफ वर्थ अवार्ड" व कई अन्य पुरुस्कार
साहित्य संगम संस्थान द्वारा
रश्मिरथी, साहित्य सारथी व कई अन्य सम्मान,
कई राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में लेखनी प्रकाशित व अनेक साहित्यिक मंचों से सम्मानित ।
Address
Mahavir Prasad Ji Karwa
Mahavir auto motive
Maa bhawani chopatti
P. N. ROAD
P. D. - Cooch Bihar
West Bengal
Pin - 736101
पति - महावीर प्रसाद जी कर्वा
कलावती कर्वा "षोडशकला"
बेटा - संदीप कर्वा
बहू - सुरभि कर्वा
पोती - प्रियांशी कर्वा
11/04/2021, शनिवार , जीवन-परिचय
इदन्नमम पुस्तक :-
माँ शारदे वंदना
प्रथम निवेदन मात से, शारद बनो सहाय।
गाऊँ आपकी वंदना, कंठ विराजो आय।
कृपा करो माँ शारदे, रखिये सिर पर हाथ।
चरणों में रखये "कला", हरदम रहना साथ।
बने शिल्प सुर भाव लय, पाए लेखनी धार।
कलम चले परहित सदा , लिखू सदा उपकार।
करूँ वंदना आपकी, भजूँ आपका नाम।
माँ कृपा करना सदा, बन जाएँ सब काम।।
कलावती कर्वा
गणतंत्र दिवस
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भारत का राष्ट्रीय त्यौहार छब्बीस जनवरी आई।
सभी देश वासियों के चेहरे पर ढेरों खुशियाँ छाई।
स्वाधीनता दिवस मनाते खुशी से भारत देश सारा।
लहर लहर लहराए तिरंगा देख खुशी मिले अपारा।
हम गीत वतन के प्रति श्रद्धा भक्ति का गाएंगे।
जन गण मन गाकर मिटी का तिलक लगाएंगे।
सद्भावना के फूल खिलाए खुसहाली मनाएंगे।
मन में उच्च विचार देश प्रेम का भाव जगायेंगे।
भारत देश की शान तिरंगा लहर लहर लहराए।
पूरे देश में शांति सँदेशा नभ तक यह फैलाए।
रंग केसरिया इसका देखो वीरों के गुण गाए।
श्वेत रंग चांदी सा चमके शांति संदेश सुनाए ।
रंग हरा लहरा कर कहता हरियाली फैलाओ।
हरि भरी धरती को करदो खुशहाली बरसाओ।
नीला चक्का सुन्दर लगता देता सुन्दर संदेशा ।
सब कोई मिलकर के रहना तुम सब भी हमेशा।
लहर लहर लहराए तिरंगा देश का मान बढाएं।
नील गगन को छूने की सब में हिम्मत जगाएं।
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कलावती कर्वा
कलम और तलवार
कलम ज्ञान बरसाती तलवार शक्ति दर्शाती।
युद्ध जितने तलवार की आवश्यकता होती।
कलम की ताकत हर चीज़ उजागर करती।
हमारे अंदर छुपे भाव कलम से व्यक्त करते।
कलम से देश, समाज को नई दिशा दे सकते।
तलवार ताकत दिखाने मैदान में उतरना पङता।
कलम के बल घर बैठे अभियान चला सकते।
तलवार तो सिर्फ शरीर को आघात पहुँचाती।
कलम अंतर्मन घायल करती झंझकोर देती।
तलवार घायल करती कलम जागृत करती।
कलम ज्ञान, प्रेम, भक्ति, दया, सहानुभूति बरसाती।
कलम अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बुराई मिटाती।
तलवार हिंसात्मक होती, कलम चेतना, प्रेरणा लाती।
कलम और तलवार धार दोनों की बहुत तेज होती।
तलवार युद्ध जीताती कलम ह्रदय जीत सकती।
कलम ज्ञान का दीप जलाती, चिंगारी भी भङकाती।
कलावती कर्वा
लुप्त होते शादी के रीति रिवाज
वो बारातियों का स्वागत, आदर, सत्कार।
शादियों में भोजन परोसने की मीठी मनुहार।
वो मीठी नोक-झोंक और प्यार भरी तकरार।
हँसी मज़ाक, प्रेम की गाली, मस्ती भरमार।
कहां गए वो रीति रिवाज, नहीं रहा वो प्यार।
पहले के ज़माने में बारात रहती थी दिन चार।
अब मेहमान, रिश्तेदार भी रहे तो लगता भार।
पंद्रह-बीस दिन पहले से गूंजते थे गीत घर द्वार।
अब संगीत संध्या में सिमटता गीतों का नेग चार।
अब शादियों में खानापूर्ति के लिए आते रिश्तेदार।
नाच गाना तक सिमट कर रह गया रीति रिवाज।
सगुन, रीति रिवाज को रूढ़िवादी कहते है आज।
पहले बनोरी निकालने की होती थी सुन्दर परंपरा।
अब पुल पार्टी, बिच पार्टी, थीम पार्टी रहे करा।
पहले नेग चार समय और मुहूर्त से कराया जाता।
अब ब्यूटी पार्लर में सजने में मुहूर्त निकल जाता।
आज शुभ घड़ी व शुभ मुहूर्त को महत्व नहीं दे रहे।
दिखावा व आधुनिकता की आँधी में सब बह रहे।
कलावती कर्वा
: स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद सदा अपने कर्म पर भरोसा रखते।
आध्यात्मिय,ज्ञानमय विचारों द्वारा सब को प्रेरित करते।
हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करते, सत्य कर्म की शिक्षा देते।
अपने उच्च विचारों से सदा युवाओं का मार्गदर्शन करते।
समय का पाबंद बना सब लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाते।
धैर्य,दृढ़ता,सफ़लता का मार्ग बता शान से जीना सिखाते।
सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ देना चाहिए सिखा लाते।
किसी भी हालत में सच्चाई नहीं छोड़ना चाहिए बताते।
कोई गाली दे तो आशीर्वाद दो, झूठा दंभ बाहर निकालो।
सफ़लता खातिर धीरज धरो ऊँची छलांग मत लगाओ।
संघर्ष करना जितना कठिन,जीत होगी उतनी शानदार।
खुद को कभी भी कमज़ोर मत समझो ना मानों हार।
सदा कहते गरीब व्यक्ति की करे सहायता वो परमात्मा ।
इस संसार में वही है महान व्यक्ति और धर्मात्मा ।
चिंता नहीं चिंतन करो,सब के विचार ध्यान से सुनों।
असंभव को सम्भव बनाओ अपनी प्रतिभा पहचानों।
स्वामी विवेकानंद थे महान विचारक और स्वाभिमानी।
युवाओं को प्रोत्साहन और प्रेरणा देकर बनाते दूरगामी।
ऐसे महान देश भक्त कर्म योगी को नमन बारम्बार।
उनके पद चिन्हों पर जो चलते लेते जीवन सुधार।
कलावती कर्वा
मृगतृष्णा
मृगतृष्णा के जाल में, फंस गया इंसान।
मन प्रभु का ध्यान धरे, हो जाए कल्याण।।
सब को सदा मिलता नहीं, इच्छा के अनुसार।
जो मिलता उस में खुशी, यह जीवन का सार।।
मृगतृष्णा इंसान की, बढ़ती है दिन रात।
मन में ग़र संतोष हो, बन जाएगी बात।।
हर सपना पूरा करू, सोच रहा इंसान।
मृगतृष्णा नहीं रखते, हो पूरे अरमान।।
कलावती कर्वा
: वन भोज
मौसम आया ठंड का, वन में भोज बहार।
मिले आनंद विपिन का, संग रहे परिवार।।
भोज मनाने वन सभी, जाते है हर साल।
आता तब आनंद है, खाते बाटी दाल।।
सारा दिन खुशियाँ मिले, खेलें मिलकर साथ।
संग बैठ सब भोज हों, बंटा काम में हाथ।
पिकनिक हो जब छुट्टियाँ, संगी साथी संग।
मौज मनाते है सभी, करते है हुड़दंग।।
वन का हो रमणीय सा, मनमोहक परिवेश।
पिकनिक का आनंद हो, सब मिल करलें ऐश।।
झरना, पहाड़ अरु नदी, सुन्दर सा स्थान।
पिकनिक का आता मजा, नाचें गाएँ गान।।
भाग दोड़ की जिंदगी, मिले नहीं आराम।
प्रकृति दृश्य दर्शन मिले, करना ऐसा काम।।
कलावती कर्वा
ममता की छाँव
ममता की छाँव माँ के आँचल तले मिलती।
बुनियादी चीजे सीखा माँ आत्मनिर्भर बनाती।
बच्चों का जीवन हर तरह से निखारना चाहती।
छोटी से छोटी चीजें rबच्चों को सिखाना चाहती।
मन की बात बच्चों की माँ ही सुनती समझती।
कड़ी धूप में माँ का आँचल शीतल छाँव लगती।
मन पसंद खाने की चीजे माँ ही बनाकर खिलाती।
माँ के हाथ की बनी खाने की चीजें स्वादिष्ट लगती।
माँ सदा दोस्त सखी हर तरह का किरदार निभाती।
बच्चों की हर समस्या का समाधान माँ कर सकती।
कलावती कर्वा
समय
समय के पंख नहीं बिन पंख उड़ जाता।
समय का चक्र घूमता समय उड़ान भरता।
समय आगे बढ़ता नहीं कभी पीछे मुड़ता।
समय के साथ चलता जग में नाम कमाता।
चलो समय के साथ समय संदेश सुनाता।
समय पल पल है गतिमान चलता रहता।
समय की कदर करता उसका मान बढ़ता।
समय ही सब कुछ सहन करना सिखाता।
समय कभी अच्छा कभी बुरा बन जाता।
अपने कर्मों अनुसार समय सबका रहता।
समय कभी किसी के लिए नहीं रुकता।
समय का पहिया घूमता चलता रहता ।
जो समय के साथ बढ़ा बन गया महान।
समय की कद्र करते पूरे होते अरमान।
समय का रखना चाहिए सदा हमे ध्यान।
समय बड़ा महान समय बड़ा बलवान।
कलावती कर्वा
एकता की शक्ति
एकता की शक्ति का हम परचम लहरायेगें।
देश प्रेम की अलख जगाने का बिडा उठायेंगे।
हम सब मिलकर करेगें देश हित अच्छा काम।
जिस से ऊँचा पूरे विश्व में भारत देश का नाम।
अपनी कलम से हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार।
साहित्य द्वारा अभियान चलाएं हर कलमकार।
स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ यह अभियान।
स्वदेशी उत्पादनों से बनाएयेगें अपनी पहचान।
अपने देश की कलाकारी अद्भुत सुंदर मनोरम।
बढ़ावा देगे पर्यटन देश में ही भ्रमण करेंगे हम।
अपनी संस्कृति,संस्कारों को देगे हम महत्व।
तभी बचा पाएगें अपने संस्कृति का अस्तित्व।
जङी बुंटी आयुर्वेद ऋषि मुनियों की खोज।
हवन, ध्यान, योग प्राणायाम करेंगे हम रोज।
हम ही है भावी पीढ़ी के भविष्य का कर्णधार।
युवा ही होगे नवभारत का नवीन सृजनहार।
अपनी क्षमता का उपयोग नित नया अविष्कार।
अपने देश में ही करेगे हम वैज्ञानिक चमत्कार।
हम क्या थे क्या हो गए खुद में सिमटकर रह गए।
आधुनिक बनने की होड में अपनों से दूर हो गए।
मैं से हम बन दिखाना एकता की शक्ति का दम।
पूरे विश्व में भारतवासी हम,नहीं किसी से कम।
मन संकल्प देश भक्ति पराकाष्ठा की सीमा पर।
पूरे विश्व में भारत का नाम करेगे सब मिलकर।
कलावती कर्वा
:
हिन्दी
हिन्दी का परचम सदा , लहराए रख मान
हिंदी अपनी शान है, हिन्दी ही पहचान।।
हिन्दी पर अभिमान है, भारत देश महान ।
हिन्दी ही हम सब पढ़ें, रखें हिंद का ध्यान ।।
हिन्दी भाषा का सदा, रखना हमको मान।।
दूजी भाषा का यहाँ , करो नहीं गुणगान ।
हम जब आपस में मिलें, कर हिन्दी में बात।
हिंद देश में हम रहें, हिन्दी अपनी जात।।
भाषा प्यारी सब लगें, हिन्दी मीठी तान।
बोलूँ तो रस है घुले, बढ़े हमारी शान।।
कलावती कर्वा
:
अभिलाषा
अभिलाषा मेरे मन की यही रही सदा।
आखिरी साँस तक करती रहूँ सबका भला।
जगत कल्याण के लिए मेरा जीवन समर्पित।
औरों की खुशी के लिए करूँ धन अर्पित।
जिंदगी भर करती रहूँ भलाई,परोपकार।
जितना हो करूँ लोगों की मदद,उपकार ।
मनुष्य जन्म सार्थक करूँ यह अभिलाषा।
अपने कर्मों से प्रेरणा दे सकूं, पूरी हो आशा।
इस संसार को छोड़ एक दिन सबको जाना ।
सकारात्मक सोच रख चाहती खुशी पाना ।
औरों को ख़ुशी देकर सदा मुझे खुशी मिलती।
दिनदुखीयों के चेहरे पर जब मुस्कान खिलती।
दुसरों की खुशी में चाहतीं हूँ खुशियाँ ढूँढ़ना।
चाहूँ जीवन में यह अभिलाषा पूरी करना।
चाहती हूँ भारतीय संस्कृति का मान बढ़ाना।
वसुधैव कुटुम्बकम की परम्परा को निभाना।
प्रभु से करती हूँ सदा करजोड़ कर प्रार्थना।
मुझ से सदा भलाई, सत्कर्म ही करवाना।
बुरा नहीं हो कभी मेरे मन,कर्म,वचन द्वारा।
दिल किसी का नहीं दुखे इच्छा पूरी करना।
कलावती कर्वा
:
अजन्मी
बेटा बेटी दोनों एक से रक्त, मास से बनते।
फिर क्यों मन संशय भ्रूण परीक्षण करवाते।
बेटी को एक बेटी ही जन्म देती माँ कहलाती।
बेटी अपेक्षित,होगा अन्याय,सोच क्यों घबराती।
नारी ही नर को जन्म देती वंश बढ़ाती, पालती।
फिर क्यों कोख में मारी जाती,क्यों सताई जाती।
बेटी जन्म नहीं लेगी तो बेटों को जन्म कोन देगा।
बेटी ना जन्मे पुरुष का अस्तित्व नहीं रह पाएगा।
जरूरत है बेटियों के लिए सोच को बदलने की।
सबको जीने का अधिकार करो इज़्ज़त नारी की।
जरूरत है बेटों को समझा सही राह दिखाने की।
बेटों को संस्कार, सभ्यता, शिष्टाचार सिखाने की।
सुरूँ से बेटों को भारतीय संस्कृति से करें सिंचित।
तभी बेटियों को मिले मान जीवन उनका सुरक्षित।
सामाजिक संस्थाओं से यह अभियान चलाना होगा।
संस्कारशाला चला,बच्चों को संस्कार सिखाना होगा।
हर पुरुष नारी को दे इज़्ज़त,मान,सम्मान रखे ध्यान।
नारी सुखी,नर का जीवन संवरे,नारी भरे ऊँची उड़ान।
भ्रूण हत्या पर रोक लगाना माँ बेटियों को जन्म देना।
सब को जीने का अधिकार भ्रूण परीक्षण न करवाना।
कलावती कर्वा
गुरु की महिमा
गुरु ज्ञान देकर करता जीवन का दूर अंधकार।
गुरु के साथ होता है अथाह ज्ञान का भंडार।
विधालय विद्या और ज्ञान का मंदिर कहलाता।
गुरु सदा विधालय का भगवान कहलाता।
विद्यार्थी अपने गुरु की संतान कहलाते है।
गुरु ही शिष्य में ज्ञान की रोशनी फैलाते है।
गुरु शिष्य को सदा पूरी लगन और मेहनत से पढ़ाते।
गुरु शिष्य को अपने से ज्यादा काबिल बनाना चाहते।
विद्यार्थि भी गुरु के प्रति पूरी श्रद्धा और विश्वास रखते।
शिष्य की अज्ञानता दूर कर गुरु ज्ञान की ज्योति जलाते।
शिष्य आगे बढ़ता जाता गुरु का नाम रोशन करता।
राष्ट्र का निर्माता शिक्षक शिष्य का जीवन संवारता।
आदर्शों की मिशाल शिक्षक शिष्य का जीवन महकाता।
अनमोल ज्ञान धन देकर गुरु शिष्य को ज्ञान धनी बनता।
संस्कार, संस्कृति और धर्म की शिक्षा गुरु शिष्य को देता।
शिष्य के लिए प्रकाशपुंज बन गुरु अपना कर्तव्य निभाता।
प्रेम की सरिता बहाता गुरु जीवन नैया खैवेया बनता।
गुरु बिना ज्ञान नहीं ज्ञान बिना जीवन निरर्थक लगता।
निर्धन हो या धनवान शिक्षक के लिए सब एक समान।
शत शत नमन शिक्षकों को शिक्षक देता ज्ञान महान।
कलावती कर्वा
झूठ
सत्य पर झूठ चाहे कितना सवार हो जाए।
सत्य सदा सत्य रहता झूठ सदा हार जाए।
झूठ सत्य पर हावी होने की कोशिश करता।
पर सत्य को कभी भी झूठ जीत नहीं सकता।
सच को चतुराई दिखाने की नहीं आवश्यकता।
झूठ जितना संवारो अपना अस्तित्व छोड़ता।
सत्य सीधा होता झूठ मोका देख चढ़ जाता।
जीत सदा सत्य की झूठ का मुँह काला होता।
झूठ आता है सदा पहन सच्चाई का लिबास।
सौ झूठ पर एक सच भारी,झूठ का पर्दाफाश।
कथा प्रवचन में होता सदा सत्य का गुणगान।
झूठ कभी टिकता नहीं रखना है यह ध्यान।
एक झूठ छिपाने हजार झूठ बोलना पड़ता।
सत्य संवारना नहीं पड़ता सत्य सत्य रहता।
कलावती कर्वा
बंजर धरती
आहत मन विक्षत ह्रदय देख धरा तस्वीर।
स्वार्थ खातिर वृक्ष काटे गरीब और अमीर।
धरती बंजर हो रही देख सब साधे है मौन।
जानबुझ अनजान बने उन्हें समझाये कौन।
कुदरत के नजारों में है खुशियों का खजाना।
मुश्किल है शिक्षित लोगों को भी समझाना।
जुड़ा हुआ पेड़ों से जीवन यह है शाश्वत सत्य।
आज शिक्षित मानव नहीं समझ रहे यह तथ्य।
ज्ञानी बनते सब दिखे नहीं ज्ञान की मिशाल।
हर और सूखा दिखे धुएँ से पर्यावरण बेहाल।
प्रतिस्पर्धा में मानव सब आगे बढ़ना चाहता।
स्वार्थपरता में जीवन रक्षक को क्यों काटता।
कलावती कर्वा
[11/04, 6:31 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जीवन उत्सव
जीवन उलझी हुई पहेली समझना पड़ता
खुद ही खुद की सहेली बन जीना पड़ता
हर उलझन को खुद ही सुलझाना पड़ता
जीवन का गूढ़ रहस्य भी समझना पड़ता
जीवन में सबके उतार चढ़ाव आता रहता
दुख-सुख ही हमको जीवन जीना सिखाता
पहेली सुलझाने मन को मथनी से मथती रहती
भावों की माला पिरोती शब्दों का परिधान पहनाती
छोटी सी कलम मेरी कागज पर अल्फाज़ लिखती
कभी मन की बात कभी दिल के ज़ज्बात लिखती
कभी विधाओं में लिखती कभी भाव प्रधान लिखती
कभी समस्याएं लिखती तो कभी समाधान लिखती
कभी ममता लिखती कभी प्यार के ढेरों रस बरसाती
कभी सपनों की दुनियां कभी अनेक रंग बिखराती
जीवन को समझने के लिए कलम मेरा सहारा बनती
मन भाव लिखती, प्रेम रस बरसाती, उत्सव मनाती
जीवन में उत्सव मनाते हुए खुशी से जिंदगी गुजारती
कलावती कर्वा
पत्थर में भगवान
पत्थर भी छैनी हथोड़े की मार खाता है।
तब जाकर भगवान का आकार पाता है।
बिना चोट खाए पत्थर भी नहीं पूजा जाता।
कुशल कारीगर के हाथ संवारना पङता।
पूजने योग्य बनने को चोट खानी पड़ती।
हीरे में चमक लाने के लिए तरासना पड़ता।
मनुष्य भी गुरु के सानिध्य में ज्ञानी बनता।
अनुशासन में रहकर सब कुछ सीखना पड़ता।
सहनशक्ति से आदमी श्रद्धा योग्य बन जाता।
मनुष्य को भी कितने झङ तूफान झेलने पड़ते।
जिंदगी में न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ते।
ऊँच-नीच, सुख-दुख हर तरह से तपना पड़ता।
परिवार में रहकर कठोर तपस्या करनी पड़ती।
सम्मान योग्य बनने दिल पत्थर का रखना पड़ता।
श्रद्धा,विश्वास से पत्थर में हमे भगवान दिखता।
मन में जैसा भाव रखते वैसा ही फल मिलता।
कण-कण में व मन मंदिर में भगवान रहते।
सभी जीव में ईश्वर, हर चीज़ में भगवान बसते।
कलावती कर्वा
महिमा भोले की
अंग पहनते है सदा, हिरण छाल का वस्त्र।
हाथ रहे डमरू सदा,त्रिशूल इनका सस्त्र।।
माथे पर है चंद्रमा, सर पर सोहे गंग।
नंदी रहता सामने, गोरा रहती संग।।
सिंहासन बैठे सदा, करते मन में ध्यान।
अपने भक्तों का सदा, रखते बाबा मान।।
ग़ौर वर्ण सुंदर लगे, गल सर्पों का हार ।
नीलकंठ कहते सभी, महिमा अपरंपार।।
शिव का सब ध्यान करे, आता सावन मास।
मनोकामना पूर्ण हो, यही लगाते आस।।
शिव संकल्प करों सदा, पूरे होंगे काम
खुद को बहुत खुशी मिले, जग में होता नाम।।
कलावती कर्वा
बदल रहे है लोग
गाय चराना शर्म, कुत्ता घुमाना गर्व
बदल रहे है लोग अब बदल रहा है संस्कार
युवा पाश्चात्य में ढल रहे बदले आचार-विचार
गाय माता कहना,लिखना पढ़ना अच्छा लगता
जिंदगी आरामदायक,गौ सेवा कोई नहीं करता
गौ के दूध का महत्व सब समझते, पीना चाहते
गाय पालकर दूध पीना, मेहनत नहीं कर सकते
गाय सड़कों पर घूमती रहती रोटी नहीं खिलाते
कुत्ते को बिस्किट,गाडीयों में घुमाते,गोद में उठाते
कुत्ता वफादार, पहरा देता अनजान को भौंकता
घर में कुत्ता नहीं रखते बाहर निगरानी को बेठता
गाय पालना हमारी संस्कृति, संस्कार, परम्परा
रखनी हमे संस्कृति बरकार, गौ माता पर उपकार
घर घर संदेश पहुंचाना, गौशाला बनवानी होगी
गाय कत्लखाना में नहीं कटे गौ रक्षा करनी होगी
युवा पीढ़ी के लिए यह अमूल्य धरोहर बचाना जरूरी
संस्कृति, संस्कारों के बिना युवाओं की शिक्षा अधूरी
बदल रहे है लोग कुत्ता घुमाना गर्व गाय चराना शर्म
गाय कत्लखाने कटे,नहीं समझते गाय का दुख मर्म
कलावती कर्वा
गरीबी
टूटा हुआ छप्पर, बरसात का है मौसम, मिट्टी का आँगन ।
गरीबी की मार,पैसों की दरकार,कैसे करुँ बच्चे का पालन।
माँ बैठी सोच रही,बच्चे को बहला रही,मन में चिंता कर रही।
कहां से आई यह कोरोना बीमारी, लॉकडाउन की मजबूरी।
गरीबी ग़ज़ब कहर ढाहं रही, खाने को रोटी नहीं मिल रही
बच्चों के तन ना कपड़ा, ना शिक्षा व्यवस्था,भूख सता रही
काम नहीं मिल रहा, ना मदद को कोई आ रहा,जीना दुश्वार।
अपना ना दिख रहा, ईश्वर से प्रार्थना कर रही, बैठी है द्वार।
मेहनत से न घबराती,किसी के आगे हाथ न फैलाना चाहती।
सच्चे मन से ध्यान लगाती, प्रभु को मनाती,नैन अश्रु बहाती।
प्रभु प्रार्थना स्वीकार करना, जल्दी आना, भरोसा है भारी।
विश्वास टूटे ना,मन डगमगाएना,लिए आस,पुकारे दुखियारी।
दिनों के पालनहारी, कृष्ण मुरारी, दया निधान, लो अवतार।
भक्तों की करूण पुकार, सुनो सृजनहार , प्रार्थना बारम्बार।
कोरोना रोग मिटाना, काम दिलाना, निभाए हम दुनियादारी।
नारी की लाज,आपके हाथ, जल्दी आओ, चक्रसुदर्शनधारी।
कलावती कर्वा
पतंग
आओ हम सब मिलकर पतंग उङाए
उड़ती पतंग से कुछ सीख ले आए
उड़ती हुई पतंग बहुत कुछ सिखलाती
सोच अपनी ऊँची रखों यह हमे बतलाती
नीचे से ऊपर की ओर उठते रहना
अपने सपनों की उड़ान भरते रहना
गीरकर भी हमे चाहिए संभलते रहना
ऊपर उठकर भी सिखलाती झुकना
जिंदगी में उतार चढाव आता रहता
परिस्थितियों संग तालमेल बिठाना
अंत समय तक अपनों का साथ निभाना
सदा अपनों के लिए ही मर मीट जाना
पतंग कटने से बचाने डोर में मांझा लगाना
दुश्मनों की चाल समझ सावधान है रहना
हिम्मत रख आगे बढ़ना, अपने साथ निभाएंगे
कटी पतंग का सब साथ छोड़ते, टूट मत जाना
पतंग जब आसमान में उड़ती प्यारी लगती
सभी उसे निहारते पतंग बहुत सुहानी लगती
पतंग अपनों के सहारे ऊंचाईयों पर है बनी हुई
छुटेगा अपनों का साथ मिलेगी धरातल पर गिरी हुई
परिवार में अपनों के साथ रहना ही है समझदारी
अपनों के सहारे आगे बढ़ सकते हिम्मत रहती हमारी
कलावती कर्वा
गरीब औरतों की जिंदगानी
बहुत कठिन गरीब औरत की जिंदगानी।
किस किस औरत की लिखू कहानी।
गरीब की मजदूर की बहुत दुख पाती।
पेट की खातिर गर्भवती काम पर आती।
तकलीफ सहन करवाती गरीबी की मार।
औरतें इस स्थिति में ढोती सर पर भार।
मर्द अपनी कमाई शराब में उड़ा देते।
घर परिवार की चिंता क्यों नहीं करते?
माँ अपने बच्चों के लिए कष्ट झेलती।
शारीरिक क्षमता से ज्यादा भार ढोती।
हर दुःख सहकर माँ बच्चों को पालती।
मर्दों को औरतों पर दया क्यों नहीं आती?
औरतें घर बाहर दोनों बखूबी सँभालती।
संघर्ष कर अपने बच्चों को खुशियाँ देती।
औरत के गर्भ से ही मर्द को जन्म मिलता।
तो भी मर्द औरतों की कद्र क्यों नहीं करता?
नारी अपनी खुशियां करे अपनों पर कुर्बान।
घर परिवार खुशहाल, बना रहे स्वाभिमान।
नारी का मान बढ़े वहां परिवार की शान।
इनकी निष्ठा पर करना चाहिए अभिमान।
कलावती कर्वा
शरद पूर्णिमा
भारत में शरद पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता ।
धार्मिक मान्यताओं को सदा महत्व दिया जाता।
हमारे यहां अनेक प्रदेश,भाषा,संस्कृति, संस्कार।
हमारी संस्कृति में छुपा हुआ वैज्ञानिक आधार।
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण।
करता धरती पर अमृत वर्षा, दिखाई देता सम्पूर्ण।
धरती पर धवल चाँदनी बिखेरे,चंद्रमा गोल चमकता।
इस दिन चांद की चाँदनी में खीर रखने की मान्यता।
इस खीर का सेवन स्वास्थ्य लाभ विज्ञान के अनुसार।
भारतीय संस्कृति बहुत ही महान अद्भुत ज्ञान अपार।
शरद पूर्णिमा चाँद की चाँदनी से स्नान करना चाहिए।
भावी पीढ़ी को त्यौहारों का महत्व समझाना चाहिए।
कलावती कर्वा
ॐ
ॐ उच्चारण भारतीय सस्कृति ॐ साधना।
ॐ से दिन की शुरुआत करे प्रभु आराधना।
ॐ उच्चारण से करते योग की शुरुआत।
सभी को सदा सुहाना लगता प्यारा प्रभात।
हमारा भारत देश ऋषि मुनियों का देश।
यहां सदा ज्ञानी गुरुजन से सुंदर परिवेश।
सीख रहें सभी गुरूजनों से योग प्राणायाम।
स्वस्थ रहें शरीर करें योग सुबह और शाम।
करो योग रहो निरोग नारा चहूँ और गुंजायमान।
करते है आज सभी योगाभ्यास,प्राणयाम,ध्यान।
योग से शरीर स्वस्थ,आलस्य दूर,स्फुर्ती मिलती।
मन मिजाज खुश मष्तिष्क में हरदम शांति रहती।
उम्र कोई भी हो योग सबके लिए बहुत जरूरी।
मीट जाए हर रोग स्वस्थ रहने की इच्छा पूरी।
औषधियों से मिले तुरंत आसाम क्षणिक उपचार।
योग मिटाता रोग जङ से शरीर के सारे ही विकार।
प्राणायाम से मिले शुद्ध हवा आक्सीजन भरपूर।
होती शरीर की अंदरुनी सफाई गंदगी सारी दूर।
बढ़े नैनो की ज्योति,यादाश्त वृद्धि, रोगों से मुक्ति।
रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़े मिले शरीर को शक्ति।
हमे अपनी भारतीय पद्धति योग को अपनाना है।
देश हो रोग मुक्त विश्व में भारत का मान बढ़ाना है।
कलावती कर्वा
स्वदेशी
स्वदेशी अपनाएंगे देश को बचाएंगे।
ज़न ज़न में यह अलख हम जगायेगें।
प्यारा अपना देश पराये लगते परदेशी।
उस वस्तु का बहिष्कार जो है विदेशी।
मिलेगा गरीबों को काम देश ख़ुशहाल।
नहीं लेगे कुछ भी जो है विदेशी माल।
अपनी समझ से भविष्य को सुधारेगें।
देश लूटने वालों को भारत से भगाएंगें।
सस्ता माल होम डिलेवरी बिछा जाल।
भारत को लूटने की यह विदेशी चाल।
स्वदेशी से होगी मजबूत अर्थ व्यवस्था।
पुरातन है परम्परा देश के प्रति आस्था।
अपने तो अपने होते भाई भाई स्वदेशी।
देश को लूटने आए पराये यह है परदेशी।
स्वदेशी वस्तु अपना देश का डंका बजवागें।
हर ओर खुशहाली हम गीत ख़ुशी के गायेगें।
इस धरतीपर जन्मलिया कर्ज इसका चुकाएगें।
पाई पाई देश हित खातिर माँ का मान बढ़ायेंगे।
देश की खातिर जान लुटाते वीर हमारे सीमा पर।
हमारा भी फर्ज बनता देश पर आँच आने पर।
स्वदेशी अपना फिर सोने की चिड़िया बनाएंगे।
खोया सम्मान फिर लोटा हम विश्व को दिखाएंगे।
देश को आजाद कराने वीरों ने दिखाई हिम्मत।
सच्ची श्रद्धांजलि विदेशी नहीं कोई भी कीमत।
क्यों वैसाखी के सहारे अपने पाँव पर चलेंगे।
करें अपनों से प्यार,पराये को अँगूठा दिखाएंगे।
कलावती कर्वा
नववर्ष
नव वर्ष के आगमन पर सब ढेरों खुशियाँ मनाते।
मंगलमय हो यह साल आपका बधाईयाँ सब देते।
नव वर्ष की खुशी में सब पिकनिक भी मनाने जाते।
नई उमंग नए जोश से नया कुछ करने की चाह रखते।
नये साल में सब अपने मन में नई आशाएं जगाते।
अपने जीवन में कुछ अच्छा होगा यही सब सोचते।
कैलेंडर बदलने के साथ सब अपनी सोच भी बदलते।
पुराने वैर विरोध खत्म कर नए सिरे से जीना चाहते।
साल खत्म होने से अपनी जिंदगी का एक साल खोते।
पुरानी भूलों से सीख ले उसे न दोहराने की सोच रखते।
आओ सब मिलकर नए वर्ष का स्वागत कुछ ऐसा करे।
विश्व में भारत देश की नई तस्वीर बनाने का संकल्प ले।
हम हिन्दी भाषा को विश्व भर में नई पहचान दिलाएं।
आनेवाली पीढ़ी को यह उपहार स्वरुप देकर के जाए।
कलावती कर्वा
विरोध
विरोध करना समस्या का नहीं समाधान।
समस्या को समझ करना चाहिए निदान।
समस्या जो भी हो तह तक जाना चाहिए।
समस्या कारण ढूंढ निवारण करना चाहिए।
विरोध करने से तो बनता काम बिगड़ जाए।
सकारात्मक सोच रख धैर्य से सोचना चाहिए।
हर समस्या का शांतिपूर्ण मार्ग ढूँढना चाहिए।
आपस में बैठकर सही रास्ता निकालना चाहिए।
शांति से सोचने पर सही रास्ता निकाल सकते।
विरोध नहीं करके उचित समाधान ढूंढ सकते।
कडवा बोलने वाले की मिसरी भी नहीं बिकती।
मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है ।
कलावती कर्वा
बाँसुरी
अधराधर मुरली मृदुल, छेड़े मनहर तान I
राधा मोहित हो सुने, कान्हा गाते गान।।
बंसवाड़ी के बांस की,किस्मत भई सनाथ।
उसी बांस की बांसुरी,रहती कान्हा हाथ।।
मधुर मधुर मीठी लगे, बंशी की मृदु तान।
गोपी, ग्वालन, राधिका,सुने लगाकर ध्यान।।
सांवरिया प्यारा लगे, मीठी बंशी तान।
भक्ति सदा करती रहूँ, देना यह वरदान।
कान्हा तेरी बाँसुरी, सुंदर लगती श्याम ।
प्रेम दिवानी राधिका, हरदम रटती नाम ।।
शीश पे सोहे पखुङी, बंशी सोहे हाथ।
यमुना तट बंशी बजे, राधा नाचे साथ ।।
मोर मुकुट धारण करे, लगे सुहाना रूप।
मुखङे पर मुरली सदा, सुंदर "कला" अनूप।।
कलावती कर्वा
: पुस्तक
पुस्तक होती जीवन में सच्ची सहेली
जिंदगी की सुलझाती अनबुझ पहेली
पुस्तक पढ़कर ही विद्या ज्ञान मिलता
बिना पढ़े लिखे मानव मुर्ख ही रहता
पुस्तक ज्ञान देती सच्ची राह दिखाती
सही मार्ग चलने की शिक्षा है मिलती
जिंदगी जीने का मार्ग सरल बन जाता
पुस्तक पढ़कर ज्ञान चक्षु खुल जाता
जीवन में जब जब अंधेरा छा जाए
पुस्तक ज्ञान का प्रकाश करती जाए
जीवन में छा जाए जब घोर निराशा
पुस्तक मन में जगाती जीने की आशा
खाली वक़्त में पुस्तक साथ निभाए
मर्यादा का पाठ हमे पुस्तक पढाए
पुस्तक से ही शास्त्र, ग्रंथ बन पाया
पुस्तक ने ही हमे इतिहास बताया
संस्कार, संस्कृति का ज्ञान समझाए
सभ्यता, शिष्टाचार, हमे सिखाए
पुस्तक नहीं करती कभी भेदभाव
पुस्तक पढ़े नहीं रहे ज्ञान का अभाव
कलावती कर्वा
: बचपन
बचपन हर इंसान को लगता बड़ा सुहाना ।
जीवन हँसता खेलता खुशियों का ख़ज़ाना ।
चिंता, फ़िकर ना कोई ना मन द्वेष का भाव ।
बच्चों संग खेलें सदा यही बस मन में चाव।
संग अपनों का मिले माँ की ममता भरपूर।
सपने सुनहरे देखते आँखों से टपके नूर।
रहते संयुक्त परिवार में मिल बाँट कर खाते।
उत्सव पर सब के घर पर आशीष लेने जाते।
आता याद सुनहरा बचपन पेड़ों पर झूलना।
मम्मी की डांट से बचने दादी के पीछे छुपना।
दादा-दादी की छत्रछाया में होता लालन-पालन।
रिश्तेदारों,आने जाने वालों से भरा होता आँगन।
बिना विलासिता जीवन में थी ख़ुशी और आंनद।
अब सुविधा के बावजूद खुशियों का दरवाजा बंद।
अपना बचपन कभी कोई इंसान भूल नहीं पाता।
गरीब को भी अपना कष्ट भरा बचपन याद आता।
कलावती कर्वा
कर्मवीर
कर्मवीर मेहनत से नहीं डरते न होते अधीर।
संघर्ष उनका जीवन,हिम्मत न हारे कर्मवीर।
कामयाबी पाने को दिन रात मेहनत करते।
कर्म के बलबूते ही सुखमय जीवन बिताते।
कर्मवीर को मकसद में कामयाबी मिलती।
कर्मवीर के जीवन से नई कहानीयाँ बनती।
कर्मवीर कर्म करता फल की चिंता नहीं करता।
कर्म को धर्म समझ अपना जीवन सफल बनाता।
कर्मवीर को मिलती प्रभु कृपा साथ देते भगवान।
हर प्रस्थिति कर्मवीर बना लेता कर्म से आसान।
कर्मवीर का जीवन कर्म प्रधान जीवन महान।
कर्मों के बल पूरा करता जीवन का अरमान।
कर्मवीर साहस के बल निर्भयता से आगे बढ़ता।
कर्मवीर अपने आत्मबल से आत्मनिर्भर बनता।
कर्मवीर कर्म से पहचान बनाता अमर हो जाता।
अपने कर्मों से सदा सबको को सुन्दर सीख देता।
कलावती कर्वा
क्रोध
क्रोध जब आता है मन को शांत मोन हो जाती हूँ
गलती पर पछताती ना दोहराने की कसम खाती हूँ
क्रोध पर काबु पाने की भरसक कोशिश करती हूँ
खुद के मन को फिर खुद ही समझाती रहती हूँ
गलती किसी की भी हो खुद ही झुक जाती हूँ
दिल से क्षमा करती मन में दुर्भाव नहीं रखती हूँ
मन में उठती यादों की स्मृतियाँ भाव लिखती हूँ
कलम से कागज पर भावों का पिटारा खोलती हूँ
प्रेम रस में डूब सतरंगी ख्वाबों को बुनती रहती हूँ
प्यार, ज़ज्बात, विरह, वेदना, वात्सल्य लिखती हूँ
भाव रस में होकर भाव विभोर गीत गुनगुनाती हूँ
मन में दबी कहीं अनकही बाते सदा लिखती हूँ
छोटी सी कलम कागज पर अल्फाज़ लिखती हूँ
कभी मन की बात, दिल के ज़ज्बात लिखती हूँ
कलावती कर्वा
शहीदे आज़म भगतसिंह
भगतसिंह था भारत का साहसी वीर,
अच्छा वक्ता।
देश में समाजवाद के थे भगतसिंह
पहले व्याख्याता।
बचपन से ही थे अनोखे, धीर, गंभीर,
पर उपकारी।
भारत के महान स्वतंत्रता सैनानी
था वीर क्रांतिकारी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन्हें
विचलित किया।
अमानवीय कृत्य देख आजादी के लिए
आगे आया।
चन्द्रशेखर जी संग क्रांतिकारी संगठन
तैयार किया।
सुखदेव, राजगुरु संग उन्हें फांसी पर
लटका दिया।
तीनों ने हँसते हँसते अपना जीवन
बलिदान किया।
देश लिए जान न्यौछावर सब के दिल में
बस गया।
वीर भगत सिंह थे महान अध्ययनरत
और विचारक।
कलम के धनी दार्शनिक महान चिंतक
और लेखक।
आजादी का दीवाना था वो
हिंदुस्तान का रखवाला।
वीर भगत सिंह में असीम साहस
और था जोशीला।
देश वासियों को युगों-युगों याद रहेगा
उनका बलिदान।
देश आजाद, दिखाया साहस नाम अमर,
पूरा अरमान ।
देश वासी भुला नहीं सकते बलिदान
उस वीर का।
करु नमन उस वीर को जश्न मनाते हम
आजादी का।
देश को आज भी जरूरत ऐसे
देश भक्त वीरों की।
हिन्दी भाषा दे महत्व,स्वदेशी वस्तु
अलख जगाने की।
कलावती कर्वा
रामधारी सिंह दिनकर जी
वीररस के कवि नाम रामधारी सिंह दिनकर
काव्य रचते सदा कलम में वीर रस भरकर
काव्य संग्रह"हुंकार"से वीर रस पहचान मिली
रस्मी रथी काव्य खण्ड से लोकप्रियता मिली
आजादी बाद गांधीजी पर पुस्तक"बापू"लिखी
पद्म भूषण पुरूस्कार के बाद प्रसिद्धी मिली
फिर राज्य सभा के लिए मनोनीत किया गया
दिल्ली में साहित्य निखारने का मोका मिला
तब दिनकर जी के साहित्य में विविधता आई
फिर नीलकमल काव्य संग्रह प्रकाशित हुई
संस्कृति चार अध्याय में धर्म संस्कार लिखा
फिर इनको साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला
"उर्वशी"अप्रितम काव्य में श्रृंगार रस भरपूर
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित ख्याति दूर-दूर
भक्ति भरी अंतिम काव्य पुस्तक हारे को हरिनाम
दिनकर जी को काव्य के लिए खूब मिला सम्मान
दिनकर जी के काव्य जगत का नहीं होगा अंत
सभी के दिलों में काव्य रुप में जिंदा सालों अनंत
कलावती कर्वा
मर्यादित हो फैशन
फटे हुए कपड़े, छितरे हुए बाल, टेड़ी मेढी चाल।
फैशन के नाम पर बिगड़ा है सब का बुरा हाल।
अपनी मनमानी करे, न माने कभी अनुशासन।
मानव का यह हाल बिगड़ी को कहते है फैशन।
दूसरे की देखा-देखी लोग होड़ में सर फोड़ते।
फैशन के नाम आज मर्यादा भंग करते रहते।
परिवर्तन प्रकृति का नियम बदलाव आना चाहिए।
परम्परागत परिधानों में आधुनिकता लाना चाहिए।
भारत परंपरा, संस्कृति, संस्कार, सभ्यता का देश।
आदर्शवादी देश में फैशन के नाम पर बिगड़ा है भेष।
आधुनिक फैशन के नाम पर छाई हर और फूहड़ता।
पाश्चात्य संस्कृति अपनाने में समझते आधुनिकता।
भाषा, भेष, भोजन से बनाए रखना अपनी पहचान।
फास्टफूड, फटे वस्त्र त्याग बचाए रखना स्वाभिमान।
आधुनिकता सोच में होनी चाहिए नग्नता में नहीं।
फैशन मर्यादित होनी चाहिए फूहड़ता फैशन नहीं।
कलावती कर्वा
गाय चराना शर्म कुत्ते घुमाना गर्व
कलयुग का प़डा यहां ऐसा प्रभाव।
भावी पीढ़ी में संस्कारों का अभाव।
अपनी संस्कृति आज बदलने लगी।
पश्चिमी सभ्यता की तरफ ढलने लगी।
आधुनिकता होड़ में गाय पालना शर्म।
पाश्चात्य का दिखावा कुत्ते पालना गर्व।
गौ हमारी माता दूध देकर पोषण करती।
पंचगव्य की चीजें सारी गाय से मिलती।
गौ दूध,दही,घृत,पंचामृत,अमृत कहलाता।
गौबर,गौमूत्र में औषधिय गुण पाया जाता।
गौ माता की सेवा,पूजा संस्कृति कहलाती।
वेद पुराण शास्त्रों में गौ महिमा गाई जाती।
गाय माता बसते तैतीस कोटि देवी देवता।
गाय की पूजा करना,पालना शास्त्र कहता।
कुत्ते को रोटी खिलाना धर्म समझा जाता।
कुत्ता वफादार है,बुलाकर खिलाया जाता।
कुत्ता भैरव असवारी द्वार के बाहर रहता।
कुत्तों का ध्यान रखना रक्षा हमारी करता।
जीव दया संस्कृति, जीवों पर दया करते।
संस्कृति व धर्म की हर सम्भव रक्षा करते।
युवा पीढ़ी है देश के भविष्य की कर्णधार।
उन्हें सिखाना जरूरी संस्कृति व संस्कार।
कलावती कर्वा
वाह वाह की चाह
वाह वाह के बोल नवांकुरों को कवि बना देते।
प्रशंसा के बोल दबी हुई प्रतिभा उजागर करते।
खुद की हर कला खुद को बहुत अच्छी लगती।
दुसरों से मिले गर प्रशंसा कला निखरने लगती।
माँ की सराहना से कभी पुत्र अच्छा नहीं होता।
दुनिया की नजर में अच्छा बनने से नाम होता।
अच्छी चीजों की सदा वाह वाह करनी चाहिए।
कलाकारों का हौसला हफजाई होना चाहिए।
वाह वाह की चाह आगे बढ़ने का द्वार खोलती।
बिन प्रशंसा के कलाकार की कला दब जाती।
वाह वाह की चाह रख,वाह वाह करनी चाहिए।
मान देने से मान मिलता बात समझनी चाहिए।
वाह वाह की चाह सदा हर इंसान को रहती।
वाह वाह निराशा में आशा और खुशी भर देती।
कलावती कर्वा
______________________
शुभकामना
साहित्य संगम संस्थान की सक्रिय व सुयोग्य साहित्यकारा तथा संस्थान की पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा दीदी जी हिन्दी साहित्य के विकास में अपना सर्वस्र समर्पित करने वाली एक ऐसी जुझारू साहित्य साधिका हैं, जिनको संस्थान के साथ-साथ संपूर्ण आधुनिक हिंदी साहित्य जगत की आभासी व मंचीय दुनिया में भी श्रेष्ठतम साहित्यकारा का दर्जा प्राप्त है। आपका नर्म स्वभाव व आपका साहित्यिक सहयोग आपको औरों से अलग करता है। आपकी हिंदी साहित्य के प्रति निष्ठा सम्पूर्ण साहित्य संगम संस्थान में नित्य समान रूप से संचारित होती है। आपके जन्म दिन के शुभ अवसर पर संस्थान के प्रसिद्ध संपादक एवं सहयोगियों द्वारा भेंट की जाने वाली यह अनमोल पुस्तक "इदन्नमम" आ. कलावती कर्वा दीदी जी के व्यक्तित्व व कृतित्व को बखूबी उद्घाटित करती है। साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली व बंगाल इकाई के तत्वावधान में संपादित की गई यह "इदन्नमम" पुस्तक अपने आप में किसी भी साहित्य साधक को उसके जन्म दिवस पर प्रदान की जाने वाली उत्कृष्ट पुस्तकों में से एक है। जो प्रदाता व प्राप्तकर्ता के साथ-साथ सुधी पाठकों में भी खूब सराही जा रही है, जो एक साहित्य साधक के लिए उसकी साहित्यिक साधना का अर्थपूर्ण प्रतिफल है। आपको जन्म दिवस की हार्दिक-हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीदी 🙏
मिथलेश सिंह मिलिंद
________________
शुभकामनाएं--
"इदन्नम" पुस्तक का मिला, आपको अनुपम उपहार,
जिसने बनाया आपके," जन्मदिन" को यादगार...।
साहित्य संगम संस्थान का ,है ये नायाब अंदाज,
26अप्रैल जन्मदिन की ,आपको बहुत-बहुत मुबारकबाद।
देते हैं हम आपको ,दोहरी शुभकामनाएं...,
फूलें-फलें आप ,सदा यूं ही मुस्कुराए....।
साहित्य के क्षेत्र में आप, तारों की तरह जगमगाए,
हम तो दिल से देते हैं ,आपको यही हार्दिक दुआएं।
सीधी-साधी, प्यारी सी है, हमारी कलावती दीदी,
सदा रखती है ,अपनी छोटी बहनों का पूरा ध्यान।
प्यार वह समझदारी से ,सदैव करती हैं हमारा मार्गदर्शन,
इसीलिए तो है ....उनकी छवि कुछ खास.....।
पश्चिम बंगाल इकाई की है, वो अध्यक्षा...,
हम सब की है आदरणीय एवं पूजनीय...।
जन्मदिन की एक बार पुनः, देते हैं आपको बधाई,
आप नित नई ऊंचाइयों को छुए ,और जिए हजारों साल।
रंजना बिनानी
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शुभकामनाएं
हर व्यक्ति कविता की रचना नहीं कर सकता है कवि होना ही सौभाग्य की बात है। कविता का संग्रह समय की सोच और चिंता को रेखांकित करने वाली अलग अलग विधाओं का गुलदस्ता है और "इदन्नमम" के नाम से प्रकाशित ये गुलदस्ता आपके जन्मदिवस पर साहित्य संगम संस्थान की ओर से उपहार के रूप में भेंट किया जा रहा है जो हम सभी के लिए गर्व की बात है आपकी कविताएं प्रेरणास्त्रोत के रूप में समाज के विभिन्न वर्गों को मार्गदर्शित करेगी ।
यथार्थ की भूमि और कल्पनाओं के आकाश में विचरण करती हुई आपकी भावनाओं को जो आपने कविताओं में व्यक्त की है वह समाज व हर व्यक्ति के लिए आईना है ।
मैं आदरणीया कलावती करवा जी को जन्मदिवस की हार्दिक बधाई प्रेषित करते हुए कविता संग्रह "इदन्नमम" के सफल प्रकाशन के लिए शुभकामनाएं देती हूं ।मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी अन्य पुस्तक की भांति ये पुस्तक भी पाठकों में लोकप्रियता के नए कीर्तिमान स्थापित करेगी ।
स्वाति जैसलमेरिया
अलंकरण प्रभारी(साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल)
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )
दिनांक :- 26/04/2021 , सोमवार , सांय 6 बजे से 9 बजे तक
विमोचन सूचना ,
आप सभी को बड़े हर्ष के साथ सूचित किया जाता है कि साहित्य संगम संस्थान के तत्वावधान में निर्मित ' इदन्नमम पुस्तकमाला ' के अंतर्गत आ. कलावती कर्वा जी की इदन्नमम पुस्तक का विमोचन आ. सुनीता मुखर्जी साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई उपसचिव के करकमलों से दिनांक 26 अप्रैल 2021, सोमवार को साहित्य संगम संस्थान के काव्य मंच पर
संपन्न होगा । आप सभी की उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है ।
निवेदक साहित्य संगम संस्थान
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कोलफील्ड मिरल आसनसोल
26/04/2021
साहित्य समाचार
साहित्य संगम संस्थान मनाएंगे पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्षा कलावती कर्वा जी की वर्षगांठ
आज सोमवार को फिर साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली अपने पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्षा कलावती कर्वा जी की वर्षगांठ मनाएंगे , 26 अप्रैल 1956 को जन्मी आ. कलावती कर्वा दीदी जी की 65 वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , महागुरुदेव आ. डॉ राकेश सक्सेना जी, पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा, आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी , सुनीता मुखर्जी ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी एवं संस्थान के समस्त इकाईयों के पदाधिकारियों व साहित्यकारों अपने अपने शुभकामनाएं व्यक्त करेंगे , संस्थान द्वारा इन्हें इदन्नमम पुस्तक भेंट दिए जायेंगे जिस पुस्तक में कलावती जी की स्वंय की रचनाएं है ,
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के सम्मानित अध्यक्षा आदरणीया कलावती कर्वा दीदी जी को जन्मदिन की ढ़ेरों सारी शुभकामनाएं सह बधाई , आपकी हर इच्छाएं को माँ सरस्वती पूर्ण करें , आपका हर एक दिन शुभ हो , आपका हर एक दिन व हर एक क्षण की यात्रा मंगलमय हो । मैं ईश्वर से यही कामना करता हूँ , साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल के साथ , मना रहा हूँ अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा दीदी जी की वर्षगांठ । मेरी साहित्य यात्रा में आपका भी है बहुत बड़ा हाथ , हो शुभ आपका जन्मदिन और शुभ हो आपकी हर एक प्रभात , इन्हीं बातों से मैं रोशन कुमार झा अपनी शुभकामनाएं संदेश आदरणीया कलावती कर्वा दीदी जी को समर्पित करता हूँ ।।
कविता :- 19(78), सोमवार 26/04/2021
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साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )
🙏 पश्चिम बंगाल इकाई 🙏
दिनांक :- 26/04/2021, सोमवार
आ. कलावती कर्वा "षोडशकला" जी
जन्म - 26 /04/1956
65 वीं वर्षगांठ की ढ़ेरों सारी शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐🏆🎂🎈🎉🍰🎁
Happy Birthday , শুভ জন্মদিন
🌻🌷🙏 🎉 शुभकामनाएं संदेश 🙏 💐🎁🎈🎂🍰🎉
दिनांक :- 26/04/2021, सोमवार ,
आ. कलावती कर्वा जी
जन्मतिथि :- 26 अप्रैल 1956 ( 65 वीं वर्षगांठ )
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के सम्मानित अध्यक्षा आदरणीया कलावती कर्वा दीदी जी को जन्मदिन की ढ़ेरों सारी शुभकामनाएं सह बधाई ,
आपकी हर इच्छाएं को माँ सरस्वती पूर्ण करें , आपका हर एक दिन शुभ हो , आपका हर एक दिन व हर एक क्षण की यात्रा मंगलमय हो ।।
मैं ईश्वर से यही कामना करता हूँ ।
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल के साथ ,
मना रहा हूँ अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा दीदी जी
की वर्षगांठ ।
मेरी साहित्य यात्रा में आपका भी है बहुत बड़ा हाथ ,
हो शुभ आपका जन्मदिन
और शुभ हो आपकी हर एक प्रभात ।।
धन्यवाद 🙏
आपका अपना
रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान , पश्चिम बंगाल इकाई ( सचिव )
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आ . कलावती कर्वा दीदी जी व आ. शिव शंकर लोध राजपूत जी
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_24.html
YouTube
https://youtu.be/qQXCwA7JQGU
इदन्नमम
https://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/04/blog-post_11.html?m=1
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नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान काव्य मंच
दिनांक :- 25/04/2021
दिवस :- रविवार
विषय :- कृतज्ञता ज्ञापन महोत्सव
स्वभाव भी है अदभुत जी ,
आप में गुण भी है बहुत जी ।।
आप कवि , चित्रकार ,
अंहकार से आप हो मुक्त जी ,
इसी तरह आगे बढ़ते रहिए
आ. शिव शंकर लोध राजपूत जी।।
करते रहिए रचना
बनाते रहिए चित्र ,
कलम को बनाकर ही
रखिए मित्र ।।
एक दिन होगी
आपकी भी जीत ,
यही है दुनिया की रीत
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
साहित्य संगम संस्थान , पश्चिम बंगाल इकाई (सचिव )
मो :-6290640716, कविता :- 19(77)
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कोलफील्ड मिरल आसनसोल , समाचार
26/04/2021
साहित्य संगम संस्थान काव्य मंच पर कृतज्ञता ज्ञापन महोत्सव बहुत धूमधाम से हुआ सम्पन्न ।।
25 अप्रैल 2021, रविवार को सुबह 11 बजे से सायं 7 बजे तक साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के काव्य मंच पर आ. शिव शंकर लोध राजपूत जी कौन है , इनके बारे में बताने व समस्त सदस्यों को इनसे परिचित करवाने के लिए साहित्य संगम संस्थान कृतज्ञता ज्ञापन महोत्सव का आयोजन किया । स्वभाव भी है अदभुत जी , आप में गुण भी है बहुत जी । आप कवि , चित्रकार ,अंहकार से आप हो मुक्त जी , इसी तरह आगे बढ़ते रहिए, आ. शिव शंकर लोध राजपूत जी। करते रहिए रचना बनाते रहिए चित्र , कलम को बनाकर ही रखिए मित्र । एक दिन होगी आपकी भी जीत , यही है दुनिया की रीत। इन पंक्तियों के साथ साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव रोशन कुमार झा आ. शिव शंकर लोध राजपूत जी को शुभकामनाएं दिए ।।
तो जानिए आ. शिव शंकर लोध राजपूत जी एक सुप्रसिद्ध कवि के साथ - साथ एक बहुत बड़े चित्रकार है , इनके इन कार्यों के लिए साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई 1 फरवरी 2021 सोमवार को
बंगाल के सुप्रसिध्द चित्रकार आदरणीय धीरज चौधरी जी के नाम से धीरज चौधरी सम्मान से सम्मानित किया गया । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , महागुरुदेव आ. डॉ राकेश सक्सेना जी, पश्चिम बंगाल अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी , पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा, आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी , सुनीता मुखर्जी ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश जी एवं संस्थान के समस्त इकाईयों के पदाधिकारियों व साहित्यकारों ने आ. शिव शंकर लोध राजपूत जी के बारे में अपने काव्य पाठ के माध्यम से बताकर कार्यक्रम को सफल बनाएं ।
26/04/2021, सोमवार , कविता :- 19(78)
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आ. कलावती कर्वा दीदी जी की इदन्नमम पुस्तक का विमोचन करते हुए आ. सुनीता मुखर्जी
मांँ शारदे के चरणों में शत शत नमन🙏🙏
आ.कलावती कार्वां दीदी को जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं एवं हार्दिक अभिनंदन।
मैं सुनीता मुखर्जी गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश से आपका हार्दिक वंदन एवं अभिनंदन करती हूंँ।
मैं साहित्य संगम संस्थान के महागुरुदेव डा० राकेश सक्सेना जी, राष्ट्रीय अध्यक्ष आ. राजवीर सिंह मंत्र जी, कार्यकारी अध्यक्ष कुमार रोहित जी, सह अध्यक्ष आदरणीय मिथिलेश सिंह मिलिंद जी सहित सभी ज्येष्ठ और श्रेष्ठ कवि साहित्यकारों को मैं सुनीता मुखर्जी हृदय से नमन करती हूंँ।यह मेरा परम सौभाग्य है कि आज मुझे "इदन्नमम" पुस्तक विमोचन का अवसर प्राप्त हुआ, जिसके लिए मैं निर्णायक मंडल का आभार व्यक्त करती हूंँ।
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई की अध्यक्षा आदरणीय कलावती कर्वा दीदी के जन्मोत्सव पर आपकी रचनाओं का "इदन्नमम" के रूप में प्रकाशन संस्थान द्वारा आ. कलावती दीदी के लिए अनमोल उपहार है। आ. कलावती दीदी साहित्य के विकास में अपना सर्वत्र समर्पित, मेहनती साधिका है। जिन्हें संस्थान के अलावा अन्य मंचों पर सक्रियता के साथ- साथ आधुनिक हिंदी साहित्य जगत में श्रेष्ठ साहित्यकारा का दर्जा प्राप्त है। आपकी साहित्य जगत के प्रति सच्ची निष्ठा वंदनीय है। आपकी आस्था संस्थान के अन्य इकाइयों में समान रूप से हैं। उनकी स्नेह की अलख ज्योति सभी के प्रति समान है। आपकी छत्रछाया में नवआगंतुक रचनाकारों को सीखने का मौका मिलता है। साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली से संपादित "इदन्नमम" पुस्तक किसी भी साहित्य साधक को उसके जन्मदिन पर प्रदान की जाती है। यह उत्कृष्ट पुस्तकों में से एक है, जो प्राप्तकर्ता के साथ-साथ पाठकों द्वारा खूब सराही जा रही है। आपका विनम्र स्वभाव,स्नेह एवं प्यार भरा व्यवहार पूरे संस्थान की चहेती "दीदी" बनाता है। पुनः आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीदी🌹🌹🌹🌹
सुनीता मुखर्जी
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश
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इदन्नमम पुस्तक :-
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आ. सुनीता मुखर्जी इदन्नमम पुस्तक का विमोचन
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रोशन कुमार झा
https://youtu.be/C-2j2EB9quw
इदन्नमम
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आ . कलावती कर्वा दीदी जी व आ. शिव शंकर लोध राजपूत जी
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YouTube
https://youtu.be/qQXCwA7JQGU
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
वीडियो आज
पश्चिम बंगाल इकाई
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काव्य मंच
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फेसबुक - 2
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वीडियो
फेसबुक -1
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आ. प्रमोद पाण्डेय जी
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https://youtu.be/coiOYwfQEHc
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कोलफील्ड मिरल आसनसोल
27/04/2021, मंगलवार
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्षा कलावती कर्वा जी की वर्षगांठ बड़े धूमधाम से मनाया गया ।
26 अप्रैल 2021 , सोमवार को 26 अप्रैल 1956 को जन्मी आ. कलावती कर्वा दीदी जी की 65 वीं वर्षगांठ बड़े धूमधाम से मनाया गया । उगते सूरज की बहार, हिंदी जगत का उजियारा ,घर परिवार की पतवार,
आदरणीया कलावती जी श्रेष्ठ काव्य कलम की धनी, और हम सभी मित्रों का प्यार, आएं आज बधाई देने ज़ूम पर करने प्यार का इज़हार । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , महागुरुदेव आ. डॉ राकेश सक्सेना जी, पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा, आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सतीश लाखोटिया जी, आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी एवं संस्थान के समस्त इकाईयों के पदाधिकारियों व साहित्यकारों अपने अपने शुभकामनाएं ज़ूम ऐप के माध्यम से सायं चार बजे व्यक्त किए , संस्थान द्वारा इन्हें इदन्नमम पुस्तक भेंट दी गई , जिस पुस्तक में कलावती जी की स्वंय की रचनाएं है , जिसका विमोचन आ. सुनीता मुखर्जी , साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई उपसचिव के करकमलों से काव्य मंच पर किया गया , कार्यक्रम के अंत में कलावती कर्वा दीदी जी सभी सम्मानित साहित्यकारों को धन्यवाद व्यक्त करते हुए कार्यक्रम को संपन्न किए ।।
27/04/2021, मंगलवार , कविता :- 19(79)
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कोलफील्ड मिरल आसनसोल
27/04/2021
रांची विश्वविद्यालय के निर्मला कॉलेज से सम्मानित हुए आर. के कॉलेज मधुबनी राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वंयसेवक पूजा और हसन ।
रांची विश्वविद्यालय के निर्मला कॉलेज 22 मार्च से 24 मार्च , 2021 तक तीन दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय वेबिनार कार्यक्रम का आयोजन किया गया रहा, आदरणीया डॉ रंजू कुमारी कार्यक्रम संयोजिका रहीं ।
जिस कार्यक्रम में देश के हर एक क्षेत्र के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वंयसेवकों ने भाग लिए रहें , इस वेबीनार में सामाजिक जागरूकता में राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वंयसेवकों का क्या भूमिका होती है , और किस ज़िम्मेदारियों के साथ कोविड - 19 को रोका जा सकता है बताया गया , इस कार्यक्रम में शामिल हुए सभी प्रतिभागियों को सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया , ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी के राष्ट्रीय सेवा योजना के सक्रिय स्वंयसेवक मो० एहतेशामुल हसन और पूजा कुमारी को सोमवार 26 अप्रैल 2021
को सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया । रोशन कुमार झा , उत्कर्ष , शिवशंकर, पूर्व छात्र नेता मिंटू यादव और भी स्वंयसेवकों ने भाग लिया रहा , उन सभी को भी सम्मानित किया जाएगा । इस राष्ट्रीय वेबिनार में भाग लिए सभी स्वंयसेवकों को आर.के कॉलेज की प्रधानाध्यापक डॉ अनिल कुमार मंडल जी, 34 वीं बिहार बटालियन एनसीसी के लोकप्रिय ए.एन.ओ , एनएसएस जिला नोडल अधिकारी डॉ राहुल मनहर व प्रोफेसर अशोक कुमार जी ने हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान करते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामनाएं किये ।।
27/04/2021, मंगलवार , कविता :- 19(79)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 26/04/2021
दिवस :- सोमवार
विषय :- हौसला
विधा :- हाइकु
विषय प्रदाता :- आ. कलावती कर्वा जी
विषय प्रवर्तक :- आ. स्वाति सरु जैसलमेरिया जी
बिना हौसला
से कब कौन चला
बताओ जरा ।।
साथ चाहिए
मेहनत के बाद
थोड़ा हौसला ।।
ये देता कौन
दिल के साथ मन
रखों हौसला ।।
अपने आप
में रहोगे प्रसन्न
फिर हो बड़ा ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
साहित्य संगम संस्थान , पश्चिम बंगाल इकाई (सचिव )
मो :-6290640716, कविता :- 19(78)
ये कल ही लिखें ।
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27/04/2021, मंगलवार