साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई की प्रथम दैनिक लेखन


साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई की प्रथम दैनिक लेखन

#नमन ,🙏 :- साहित्य संगम संस्थान  , पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 26/10/2020
दिवस :- सोमवार
#विधा- स्वैच्छिक
#विषय - श्री गणेश
विषय प्रवर्तक :- आ. रोशन कुमार झा
विषय प्रदाता :- आ. मिथिलेश सिंह मिलिंद जी
किसी भी कार्य को शुभारंभ करने से पहले हम श्री गणेश जी को याद करते है, गणेश महराज हम सभी की इच्छा पूरी करने वाले सर्वश्रेष्ठ देवता हैं ,तो  सम्मानीय रचनाकारों से अनुरोध है, अपनी श्री गणेश पर आधारित रचना इसी कमेंट बॉक्स मे प्रेषित करें व अन्य रचनाओं पर भी अपनी प्रतिक्रिया अवश्य व्यक्त करें ।
हैश टैग का अवश्य प्रयोग करें)
__________________________________________

माँ सरस्वती , साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई, श्री गणेश महराज को नमन करते हुए आप सभी रचनाकारों को सादर प्रणाम 🙏💐💐💐
__________________________________________

रंग रूप बदल देते वेश ,
माँ सरस्वती संग श्री गणेश

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई की प्रथम दैनिक लेखन

__________________________________________
#साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई
#दिवस - #सोमवार (२६-१०-२०२०)
#विषय - #श्री_गणेश

ॐ गणेशा, प्रभु ॐ गणेशा!
बन्द ना करूँ कभी, तेरी मैं वंदना।।ॐगणेशा, प्रभु ॐगणेशा!
उर में भर दो, मेरे प्रभु संवेदना।।ॐगणेशा, प्रभु ॐगणेशा!

मन में विकार, छाया है अंधकार।
मुखरित यह वासना, करती पुकार।।
मन का आलोक मिटा, विकट घना।
बन्द न करूँ कभी, तेरी मैं वंदना।।
ॐ गणेशा, प्रभु ॐ गणेशा!

निर्भय हो मेरी, उर अनुभूति।
श्रेष्ठ कर्म की, हो अभिव्यक्ति।।
माया के रण में, प्रभु विजयी बना।
बन्द न करूँ कभी, तेरी मैं वंदना।।
ॐ गणेशा, प्रभु ॐ गणेशा!

अंत: में प्रभु मेरे, उद्गार बहुत है।
अविरल अरु, अविराम निहित है।।
रहे कृपा प्रभु बस, यही प्रार्थना।
बन्द न करूँ कभी, तेरी मै वंदना।।
ॐ गणेशा, प्रभु ॐ गणेशा!

स्नेह सुमन प्रभु, अर्पित है।
सेवा में "मिलिंद" समर्पित है।।
मन मर्यादित, रहे सद्भावना।
बन्द न करूँ कभी, तेरी मै वंदना।।
ॐ गणेशा, प्रभु ॐ गणेशा!

✍️ मिथलेश सिंह मिलिंद
आजमगढ (उ.प्र.)

__________________________________________
जय माँ शारदे
#नमन_साहित्य_संगम_संस्थान
#विषय_श्री गणेश
#विधा_स्वैच्छिक
दिनाँक - 26/10 /2020
दिवस - सोमवार

साहित्य संगम संस्थान की बंगाल इकाई के उद्घाटन के पश्चात आइये हम सब अपने रचनाधर्मिता का प्रस्तुतिकरण का इस मंच पर श्रीगणेश करें।

सर्वप्रथम सभी कलमकारों , सृजनकर्ताओं , माँ शारदा के वरद पुत्रों, भगवती सरस्वती स्वरुपा बहनों आप सबका साहित्य संगम संस्थान की बंगाल इकाई में हार्दिक स्वागत है, अभिनन्दन है।

कल बंगाल प्रदेश इकाई समुह के उद्घाटन समारोह में आप सभी का भरपूर सहयोग मिला जिसके लिए बंगाल इकाई समुह आप सभी का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए आपके उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करता हैं।

आइए आज हमसब अपना सर्वश्रेष्ठ व्यक्त करनें का प्रयास करें। मन के सुंदरतम भाव को प्रेम-अनुराग  से ओत-प्रोत करते हुए साहित्य के उपवन में रंग बिरंगे कुसुम क्यारियों के अनेकानेक बहुरंगी पुष्पों से भ्रमर की भाँति श्रेष्ठ पराग संकलित सुपोषित कर मधुघट को संजोए पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करें। आप कलमकारों की बहुरंगी कल्पनायें निश्चित रुप से विषय पर मुक्त विधा में  सृजन के रूप में सरगम सुनायेंगी और लेखनी प्रभावी एवं बलशाली होगी।

आप सभी का बंगाल इकाई के सृजन के प्रथम दिवस के सुअवसर पर हार्दिक  स्वागत करते हुए  विषय पर मुक्त विधा में अपने  सृजन  के साथ आपको आमंत्रित करते हुए मैं गर्व की अनुभूति कर रही हूँ।

अनुरोध है कि आप अपनी रचनायें कमेंट बॉक्स में पोस्ट करें साथ ही स्वतंत्र रूप से पटल पर भी पोस्ट करें।

अपनी पोस्ट के साथ #हैश टैग का प्रयोग अवश्य करें
आप सभी अपनी रचना को इसी पोस्ट के कॉमेंट बॉक्स में प्रेषित कर पृथक भी पोस्ट कर सकते है

✍️ कलावती कर्वा

__________________________________________
#नमन_साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई
#विषय_प्रवर्तन
#दिनांक - २६/१०/२०२०
#दिन - #सोमवार
#विषय - #श्री_गणेश
विधा - वंदना
-----------------------------------------

जय जय गणपति दीनदयाला
रुप  चतुर्भुज  नयन  विशाला।

मोदक  प्रिय  मुद  मंगलदाता
कीरति तेरी जगत विख्याता।

उमा - महेश्वर  सुत  कहलाते
सुर,नर,मुनि,जन तुमको ध्याते।

प्रथम पूज्य तुम देव हमारे
सबके बिगड़े काज संवारे।

एकदंत,  गजकण,  गणराया
सकल चराचर में तेरी माया।

जय  गणेश  तुम  बुद्धि  विधाता
तुम प्रताप सब जन सुख पाता।

ऋद्धि पति प्रभु सिद्धिविनायक
भुवनपति तुम अति सुखदायक।

लंबोदर  तुम  शुभगुणकानन
विघ्नेश्वर  हैं  विघ्नविनाशन।

शरण तुम्हारी जो जन आए
सो नर मनवांछित फल पाए।

✍️ रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)

__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल मंच को नमन।
#दिनांक 26 अक्टूबर 2020।
#दिन :  सोमवार।
#विषय : श्री गणेश।
#विधा : स्वैच्छिक।

        ।रचना।

सिद्धिविनायक नाम तुम्हारा,
संकट हरना है काम तुम्हारा।
शिव शंकर के  आंख के तारे,
हे प्रथम पूज्य, विनायक न्यारे।

हे गौरी सुता, विघ्नहर्ता सुनो,
पूरी दुनिया अब तुम्हें पुकारे,
मानवता आज  खतरे में प्रभु,
हे लम्बोदर भक्तों को बचा ले।

जब जब याद करता प्रभु कोई,
तुमने उन सबके काज संवारे,
कोरोना काल के इस संकट में,
अब तेरे सिवा हम  किसे  पुकारें?

तेरी  शरण सब आए, हे गणपति,
अब तो तुम को आना ही होगा,
दया के सागर, मातृ भक्त तुम,
सुरक्षा- वचन  निभाना ही  होगा।

       ✍️     दामोदर मिश्र, पलामू, झारखंड।
__________________________________________
सादर नमन आदरणीय मंच
#साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई
#दिनांक -26/10/2020
#दिवस -सोमवार
#विषय -#श्री_गणेश
#विधा- दोहा

                  "श्री गणेश"

करता हूँ तुमको नमन, है गणपति महराज,
हरो विघ्न  मेरे  सभी,  पूरण  कीजे  काज।

  परथम  पूजन  आपका,  गौरी  पुत्र  गणेश,
  विघ्न  आप हरते सदा, शेष  न कोई क्लेश।

पारवती  के आप सुत, शिव शंकर के लाल,
जहां  आप  चाहें वहीं, ग्रह  चलते  हैं  चाल।

भक्तनके तुम जब कभी,सुनते करुण पुकार,
धाय  देत  हो  तुम  तभी, मूषक पीठ सवार।

बड़े चाव से खात हैं, लडुवन का  प्रभु  भोग,
अपने भक्तन  के सदा,  हरते  सकल कलेश।

आज  तुम्हारे  जन्म पर, नमन  है  बारम्बार,
भवसागर  से  गजवदन, कर  दो  बेड़ा  पार।

                ✍️         ✒️नरेश चन्द्र उनियाल,
                        ग्राम जल्ठा, (डबरालस्यूं),
                     पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड।

      

__________________________________________
#नमन_साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई
#विषय_प्रवर्तन
#दिनांक >26/10/2020
#दिन > सोमवार
#विषय > श्री गणेश
#विधा - वंदना
—————————

शिव गौरी नंदन हे गजानन,
प्रथम तुझे करूँ मैं वंदन।
श्री गणेश तुम विघ्न के हर्ता,
तुम्हें नमन भोले के नंदन।

हे नाथ गजानन गणपति,
हे गणनायक गणराज।
विघ्न हर मंगल करो,
सबका पुरन करजो काज।

रिद्धि सिद्धि सहित घरे पधारो,
तेरी कृपा भी ख़ूब अपार।
श्री गणेश द्वार आते भक्त है,
चाहे मिली जीत या हार।

हे नाथ गजोधर लम्बोदरा,
एकदंत शिव पूत।
भीड़ पड़ी है दर पे तेरे,
मची दर्शन की तेरे लूट।

नम्र विन्नती तुम्हें हे देवा,
गौरी पुत्र श्री देव गणेश।
विपदा आन पड़ी भक्तों पे,
हर लो उनका पूरा क्लेश।

मची धूम चहूँ और दिशाऐ,
भक्ति की बड़ी है धूम।
भक्त भी पागल है तेरे,
सभी वो नशे में गाते झूम।

✍️  सुधीर सोनी बाली ज़िला पाली राजस्थान

__________________________________________
नमन मंच
# साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक 26/10/ 2020
दिन-सोमवार
#विषय- श्री गणेश
विधा-पद्य/ वंदना
************************************
हे गौरी सुत गणेश
हर लो मेरे कलेश
विघ्नहर्ता तुम सारे जग के
फिर काहे की है अब देर
हे गौरी सुत गणेश
हर लो मेरे कलेश।
भक्तों के हो तुम रखवाले
बिगड़ों के सब काज संवारे
तनिक करो न अब तुम देर
हे गौरी सुत गणेश
हर लो मेरे कलेश।
मूषक की करते तुम सवारी
हरते सबकी विपदा सारी
सुन लो आज अरज हमारी।
************************************

✍️  सुनील कुमार
जिला- बहराइच,उत्तर प्रदेश।

__________________________________________
नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक-26.10.2020
दिन -सोमवार
#विषय-श्री गणेश
विधा-अतुकांत कविता

कुछ करना होगा
++++++++++
हे गणपति,गणेश,गजानन
हे संकटहर्ता हे विघ्नहर्ता
हे विघ्न विनाशक गणपति बप्पा
अब आप आ ही गये हो तो
हमारा भी कल्याण करो
हार रहा है अब प्राणी
हे लम्बोदर कुछ तो ख्याल करो।
हे एकदंत हे सिद्ध विनायक
जन जन का अब उद्धार करो
हे रिद्धि सिद्धि के दाता
अब नहीं सूझता मार्ग कोई
हे गणाधीश हे शिव सपूत
अब तुमको ही कुछ करना होगा,
कोरोना के संकट को अब
हे शक्ति पुत्र
तुम्हें ही हरना होगा।
अक्षत चंदन रोली पुष्पों संग
हाथ जोड़ हम विनय करें,
अपने बच्चों के  खातिर बप्पा प्रभु
तुम्हरे मूसल की मार से ही अब
कोरोना को मरना होगा।

✍️  🖋सुधीर श्रीवास्तव
         गोण्डा, उ.प्र.
     
__________________________________________
नमन मंच 🙏 साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल
दिनांक-26/10/2020
विषय-गणेश
विधा-वर्ण पिरामिड (स्वैच्छिक)

हे
गौरी
नंदन
करती हूँ
बारंबार मैं
नमन तुमको
गजानन पधारो।।

हे
सुत
पार्वती
हरो विघ्न
भक्तजनों के
पूर्ण करो काज
कर दो बेड़ा पार।।

✍️ सुमन राठौड़
झाझड

__________________________________________
#नमन साहित्य संगम संस्थान #पश्चिम बंगाल इकाई
#दिनांक-26/10/2020
#दिन- सोमवार
#विषय- श्री गणेश
#विधा छंद मुक्त  (कविता)

हे! गौरी  नंदन  स्वामी  सकल  जग वंदन,
हे! गजानन स्वामी रिद्धि - सिद्धि के दाता।
मेरे  हृदय  में  विराजो   लंबोदर  महाराज,
हे! विघ्न विनाशक  प्रभु सद्बुद्धि प्रदाता॥

हे!  सकल  चराचर  के  स्वामी  गणाध्यक्ष,
तुम प्रथम  पूज्य प्रभु  जग  में  शिव नंदन।
सकल  कार्य सिद्ध  करो  सिद्ध  विनायक,
चतुर्भुजधारी  हरण  करो  भव  का बंधन॥

तुम  हो  प्रभु  मोदक  प्रिय  चतुर्भुज  धारी,
सबकी मनोकामना पूर्ण करो दुख के हर्ता।
सबके  उर    कलिमल   हरण   करो  प्रभु,
हे! एकदंत   स्वामी  तुम सर्व मंगल कर्ता॥

पुष्पगुच्छ,  अक्षत,  चंदन  सादर अर्पित है,
हे! गणपति  देवा  सकल जगत बलिहारी।
प्रातःवंदनीय प्रभु जगत में तुम  शिरोमणि,
गजानन   ज्ञानी, ध्यानी  सबके हितकारी॥

                     
✍️       मनोज कुमार चन्द्रवंशी
बेलगवाँ जिला अनूपपुर मध्यप्रदेश
__________________________________________
जय माँ शारदे
नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान
#पश्चिम बंगाल इकाई
#दिवस -सोमवार
#दिनांक - 26/10/2020
#विषय -श्री गणेश
#विधा - पद्य /वंदन
*********************
हे, गौरी सूत बलशाली, विद्यावर्धि गणनायक,
नमन करूं पद कमल, समाना||

हे,कपिल कृपा कर नंदन, देवतकनाशी करे,
जनकल्याणा||

हे, सर्व सिद्धांता,  विघ्नविनाशक, विनायक स्वेद् रूप समाना ||

हे, विधावारिधि उमा प्रिय, शुभ गुण कानन,  कीर्ति समाना ||

✍️  स्वेता गुप्ता "स्वेतांबरी"(कोलकाता)

__________________________________________
#नमन मंच
साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 26/10/2020
दिवस :- सोमवार
#विधा- स्वैच्छिक
#विषय - श्री गणेश

भाद्र शुक्ल की चतुर्दशी,
मनत है गणपति त्योहार।
सवारी जिनका मूषक डिंक
मोदक है उनका प्रिय आहार ।।

उमा सुत है प्रथम पूज्य,
कहलाते गजानन महाराज।
ऋद्धि सिद्धि संग पधार,
पूर्ण करो मेरे सब काज।

प्रिय मोदक संग चढ़े इन्हे,
दूर्वा, शमी और पुष्प लाल।
हे लंबोदर ! हे विध्न नाशक !
आए हरो मेरे सब काल।।

हे ऋद्धि, सिद्धि दायक,
हे एकदंत ! हे विनायक !
गणेश उत्सव को द्ववार पधारो
बनो सदा हमारे सहायक।।

बप्पा गणपति पूजा हेतु,
दस दिवस को आए ।
पुत्र शुभ लाभ संग पधार,
सारी खुशियां भर लाए।।

फूल, चंदन संग अक्षत, रोली,
हाथ जोड़ बप्पा हम करते वंदन।
हे गणाध्यक्ष!, हे मेरे शिवनंदन,
करो स्वीकार अब मेरा अभिनन्दन।।

✍️  अंकुर सिंह
चंदवक, जौनपुर,
उत्तर प्रदेश-222129
__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान
#पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक 26-10-2020
विषय श्री गणेश
विधा पद्य

वंदन करूं मैं बारम्बार।
सुन लो श्री गणेश भक्त की पुकार।
सुत तुम गौरी महेश,
महिमा तुम्हारी अति विशेष।
ऋद्धि सिद्धि समृद्धि दाता।
सबसे पहले तुम्हे पूजा जाता।
विघ्नहर्ता सब सुख करता।
मोदक का भोग तुम्हे है भाता।
मूषक राज तुम्हारा है वाहन।
तुम्हारी महिमा है अति ही पावन।
शुभ लाभ के जनक गजानन।
मूर्ति तुम्हारी परम सुहावन।
पूरे करते वांछित काज।
रखते हो भक्तों की लाज।

✍️  रजनी हरीश
__________________________________________
#सहित्यसंगमसंस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिवस -सोमवार
विषय-गणेश

लंबोदर विनायक शुभारम्भ कर्ता गणपति देवा,
कर दो उद्धार हम सबकी हम करें तेरी सेवा,
हो कृपा तुम्हारी हम सदा सफल हो,
बुद्धि बल आरोग्य प्रदान करो यही है मेवा।

दीनों के तुम बनो सहारा,
दिखे उनको भी किनारा,
हे गणपति विनायक गजानन,
काज सफल हो पालनहारा।

वंदन सदा तुम्हारी जय हो देवा,
पान पुष्प अर्पित संग में है मेवा,
हे  गौरी नंदन हे शंकरसुत वंदन,
माता पिता का करूँ मैं सेवा।

✍️  रूचिका राय,सिवान बिहार
__________________________________________
जय माँ शारदे
#नमन_साहित्य_संगम_संस्थान
#पश्चिम_बंगाल_इकाई
#विषय_श्री गणेश
#विधा_स्वैच्छिक
दिनांक - 26/10 /2020
दिवस - सोमवार

गौरीनंदन का कर अभिनन्दन
माँ शारदे का फिर हुआ वन्दन ।
शरद ऋतू के महानवमी के पावन दिन
बंगभूमि में हुआ साहित्यिक अभिनन्दन।

मन प्रफुल्लित, तन उत्साहित
उत्साहित सारा संगम परिवार हुआ ।
श्री गणेश करने हेतु साहित्य प्रेमी सभी
साहित्यकारों का कलम तैयार हुआ ।

नमन करता है मन बारम्बार,
विशिष्ट अतिथि, मुख्य अतिथि
अध्यक्ष, मिडिया सहयोगी या
जुड़े जो भी क़लमकार ,
सबने ही काव्योत्सव में किए चमत्कार।

बंग से ही गीतांजलि लिख
कवि गुरु ने पाया नोबेल पुरस्कार
इस मंच से जुड़े लाखों साहित्यकार
यही कामना करती 'स्वाति' बारम्बार।

सराहनीय हर कर्म होगा
साहित्य संगम संस्थान मंच से जुड़े,
और जोड़े कलमकारों को भी तभी
हिन्दी साहित्य का उन्नयन होगा।

✍️  स्वाति पाण्डेय 'भारती'
कोलकाता, पश्चिम बंगाल
#साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल
__________________________________________
नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई
विषय -श्री  गणेश

गणराज गजानन आओ
म्हारी सभा मे रंग बरसाओ
...
मैं अर्ज करूँ हरि थाने
म्हारों काज सँवारण आओ
..
हरि बेगा बेगा आओ
संग रिद्धि सिद्धिजी ने लाओ..
...
साहित्य संगम संस्थान री
बंगाल इकाई में छा जाओ
...
ए भक्त सगळा पुकारे
देवी देवताओं ने संग में लाओ

गणराज गजानन आओ
म्हारी सभा मे रंग बरसाओ

✍️  स्वाति'सरु'जैसलमेरिया
__________________________________________
#नमन #साहित्यसंगमसंस्थान
#पश्चिमबंगालइकाई
#दिनांक-26/10'/2020
#विषय-#श्री गणेश
#विधा- #भजन

          "श्री गणेश".

प्रथम गुरु की वंदना ,द्वितीय आदि गणेश,
तृतीय सुमिरू शारदा ,कारज करो महेश।

तर्ज-  जन्म जन्म का साथ है तुम्हारा हमारा........

आज घणे ही चाव से म्हे, थाना बुलाया, म्हे थाने बुलाया,
आज पधारो हे गणनायक ,चोखो भजन सुनावां।.....

  ऊंचे आसन आज थे  , बेगा आय  विराजो,
गाजा बाजा साथ थे, बांध बागड़ी आज्यो,
पश्चिम बंगाल इकाई  माही ,थाने आज बुलावां,

आज  घणे ही चाव सू ,म्है थानेबुलावा....

थे आईज्यो रिद्धि सिद्धि न लाईज्यो,
कारज सफल बनाइज्यो, .......
पश्चिम बंगाल इकाई पे ,कृपा कीज्यो,
दिन दूनी रात चौगुनी, उन्नति कीज्यो......

  आज घणे ही चाव सुं ,म्हें थाने बुलावा........

भर भर लडू पेड़ा ,चांदी थाल सजाया,
थारे खातिर प्रेम सुं,   म्हे नागर पान मंगाया,
भक्ता रे ,घर रूच रूच जीमो ,थारे भोग लगावां.....

आज  घणे ही चांव से, म्हे थाने  बुलाया......

✍️ रंजना बिनानी
गोलाघाट असम
__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
मंच को नमन
#विषय:श्री गणेश
#दिनांक :26/10/2020
#दिन:सोमवार
#विधा :कविता

*श्री गणेश*

देवों मे प्रथम पूजनीय
श्री गणेश आप
शिव और गौरी के लाल
मूषक की सवारी करते
बहुत ही प्रिय तुम्हें भोग है
मोदक व लडडू
खाते बड़े चाव से आप
रिध्दि -सिद्धि के तुम दाता हो
ज्ञान सागर मे अपार हो तुम
शुभ-लाभ दोनों पुत्र है तुम्हारे
हम सबके भाग्य विधाता हो तुम
जो पूजा करते सच्चे मन से तुम्हारी
उनके सब विघ्न हो तुम हरते
गणेश चतुर्थी भाद्रमाह चतुर्थी को आती
हर्सोउल्लास से मनाते सब नर नारी
अछत,रोली,मौली,लड्डू,मोदक,दुर्बा,कपूर,फूल
जो तुम्हें चढ़ाते वो मनावांछित फल पाते
बुधवार होता दिन आपका
बुद्धि के देवता हो तुम
महाभारत के लेखक थे आप
प्रतियोगिता ब्रम्हाण्ड परिक्रमा तीन चक्कर की
जब प्रारम्भ हुई कार्तिकेय और आप मे
माता-पिता की परिक्रमा करके तीन
प्रथम विजेता हुए आप
अनेकों नाम है तुम्हारे
एकदन्त, विनायक, गजानन, लम्बोदर आदि
शुभ कार्य जो चाहे हो
शुभ विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश,दुकान,मकान
या कथा भागवत  प्रथम पूजनीय हो आप
आप को कोटि कोटि मेरा प्रणाम
श्री गणेशाय नमों नमः

✍️ शिवशंकर लोध राजपूत
(दिल्ली)

__________________________________________
#नमन साहित्यसंगमसंस्थान पश्चिम बंगाल
#विषय प्रवर्तन
#दिनांक-26/10/2020
#विषय-श्री गणेश

🙏जय श्री गणेश🙏
****************
जय गणपति जय गण राजा।
मंगल भरण करन शुभ काजा

विश्व विनायक बुद्धि  प्रदाता।
गण नायक गुण ज्ञान विधाता।।

शंकर सुवन  भवानी के नंदन ।
कर परिक्रमा प्रथम पूज्य वंदन।।

अनंत कोटि सूर्य रश्मि सम प्रभा।
सर्व जगत व्यापि तुमरौ आभा।।

एकदंत वक्रतुण्ड गजशुंड सुहावन
त्रिपुंड भाल सोहे अति मनभावन

शीश मुकुट मणि उर मुक्ता माला।
गजानन गजकर्ण नयन  विशाला।।

पान फूल रक्तसिंदूर सुगंधिम ।
मेवा मोदक भोगं अति प्रियम।।

रिद्धि सिद्धि भार्या चंवर डुलावे
मूषक वाहन सोहत तुमरे  द्वारे।।

सर्व कार्य सफल  विघ्नविनाशा।
सब  करें वंदना रख कर आशा।।

जय जय जय गणपति गुण गाएं
नभ से सुर मुनि  सुमन बरसावें।।
------------ ✍️  मोनिका प्रसाद

__________________________________________
#नमन_साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई 🙏🏻
#विषय_प्रवर्तन
#दिनांक - 26/10/2020
#दिन - सोमवार
#विषय - श्री गणेश
#विधा - वंदना
_______________________________________

हमारे ईष्ट श्री गणेश प्रथम पूज्य आप है।
दूर करते सभी विघ्न, क्लेश, सन्ताप है।
एकदंत, सुंदर कानन, मोदकप्रिया आप है।
माता पार्वती, पिता महादेव नन्दन आप है।
पधारे रिद्धि सिद्धि पत्नियों संग आप है।
शुभ, लाभ के पिता जगत पालनहार आप है।
गजकर्ण में व्याप्त वैदिक ज्ञान भी आप है।
सूंड में धर्म और आँखों का लक्ष्य भी आप है।
बाएं हाथ का अन्न, दाएं का वरदान आप है।
पेट में सुख समृद्धि नाभि का ब्रह्मांड आप है।
मस्तक में ब्रह्मलोक चरणों में सप्तलोक आप है।
भक्तों को प्रदान करते सुख, समृद्धि, प्रताप है।
सुखकर्ता, दुखहर्ता, विघ्न विनाशक आप है।
सँसार के दूर करते आप सभी अनिष्ट, पाप है।

✍️  सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश

__________________________________________
# नमन साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई ।
# विषय - प्रवर्तन ।
# दिनांक .26 .10 .2020 .
# सोमवार ।
# विषय .श्री गणेश ।
# विधा . वंदना ।
प्रथम देव तुझे ,वंदन करुँ बारम्बार ।
सभी मनोरथ पूर्ण कर , अरज करुँ शीश झुकाय  ।।
रिद्धी सिद्वी के दाता , पुरा करजो काज ।
इस मंचपटल को विश्व में ,करजो तुम विख्यात ।।
इसको सब अपने आँखो ,की तारा बना दें ।
जन जन का दुलारा बन कर ,बहुत प्रसिद्धि पाय ।।
कवियों की गंगा बहे ,इसके भीतर अविरल ।
कम समय में महिमा बढे ,इस मंच के आदर्श की ।।
पहले दिन से महकने लगे ,यह मंच बने विशाल ।
ऐसी कृपा बरसा दो ,गजानंद महाराज ।।

✍️ बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि
,अमदाबाद ,गुजरात ।
__________________________________________
जय माँ शारदे
#सम्मानीय_मंच_साहित्य_संगम_संस्थान_सादर_नमन
#विषय_श्री_गणेश
#विधा_स्वेच्छिक

तीन देव सुमिरन करू, ब्रह्मा, विष्णु, महेश।
ध्याऊं शारद मात को, मनाऊँ देव गणेश।।

बंगाल प्रदेश साहित्य संगम हुआ उद्घाटन।
साहित्यकार करे आराधना प्रभु गजानन।
आप विराजो आसान रखना सबका ध्यान।
वरदान दो प्रभु संगम को मिले ऊँचा स्थान। 
समुह के प्रथम दिवस गणपति देव मनाते।
प्रथम पूज्य देव की वंदना से मंच सजाते।
आप पधारो देवा पटल पर कृपा बरसाओं।
संगम के उद्देश्य में हमे कामयाबी दिलाओ।
हिन्दी को राष्ट्रभाषा दर्जा मिले विनती करते।
भक्तों का कारज सिद्ध, प्रभु आप दुख हरते।
प्रार्थना यही साहित्यकार संगम से जुड़ते रहे।
कलमकार की कलम धार बढ़े नित सृजन करे।
देश बने हिंदू देश, हिन्दी को राष्ट्रभाषा का मान।
देवो के देव गणनायक पूरा करना यह अरमान।
रक्षा करना बेटियाँ और सीमा पर तैनात प्रहरी। 
देश की लाज बचाना, खत्म करना भ्रष्टाचारी।
प्रभु सबको स्वस्थ रखना, कोरोना दूर भगाना।
देश वासियों में प्रेम रखना, भक्ति भाव जगाना।

✍️  कलावती कर्वा "षोडशकला"
कूचबिहार
पश्चिम बंगाल
__________________________________________
नमन मंच
#सहित्यसंगमसंस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक: 26.10.2020
दिन: सोमवार
विषय: श्री गणेश
विधा: स्वैच्छिक
विधा: दोहे
शीर्षक:
मंगलमूर्ति गजानना
🏵🏵🏵🏵🏵

मंगलमूर्ति गजानना,
सुखकर्ता गणनाथ ।
जग में उसका नाम हो,
तुम हो जिसके साथ ।।

शिव-गौरी के लाल जो,
लम्बोदर कहलाय ।
मन से जो पूजा करे,
भक्त वो बुद्धि पाय ।।

लड्डू जिसकोे प्रिय लगे,
गजानन एकदंत ।
सबपे हो तेरी कृपा,
तेरी कथा अनंत ।।

आज्ञा पालन मातु के,
दीन्हा शीश कटाय ।
वचन दिया जो मात को,
टूट नहीं वो पाय ।।

चरणों में माँ-बाप के,
बसते चारों धाम ।
दुनियां को यह सीख दी,
बारम्बार प्रणाम ।।

जग में तब से आपकी,
पहली पूजा होय ।
ले आपका नाम शुरू,
काज करे सब कोय ।।

विघ्नहर्ता तुम पर है,
भक्तन को विश्वास ।
बड़ी कृपा हो गर मिले,
शुभ चरणों में वास ।।

गणपति बप्पा मोरया,
गूंजे नभ में आज ।
मूषक पर आ बैठके,
मंगल कर सब काज ।।
   ✍️ ✒ विनय कुमार बुद्ध,
न्यू बंगाईगांव (असम)
__________________________________________

__________________________________________

नमन मंच
#सहित्यसंगमसंस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक: 26.10.2020
दिन: सोमवार
विषय: श्री गणेश
साहित्य संगम संस्थान
विषय-श्रीगणेश
विधा -कविता
********************
करे श्रीगणेश आज से,
करने सभी शुभ काम,
सबसे पहले ले लेते हैं,
गणेश जी का ही नाम।

विघ्र हरते हैं इंसान के,
करे पल में अड़चन दूर,
सारे जग में उस देव की,
फैला हुआ है बड़ा नूर।

देवों में सर्वप्रथम जिनका,
लेते हैं सभी देव जन नाम,
कितना ऊंचा काम कर ले,
उस बिन न हो पूर्ण काम।

आओ गणेश जी चलकर,
मेरा आंगन कर रहा पुकार,
भक्त तुम्हारा कहलाता हूं,
आकर दे दो थोड़ा प्यार।।
******************
✍️ *होशियार सिंह यादव
मोहल्ला-मोदीका, वार्ड नंबर 01
कनीना-123027 जिला महेंद्रगढ़ हरियाणा
 
__________________________________________
जय माँ शारदे
नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान
#पश्चिम बंगाल इकाई
#दिवस -सोमवार
#दिनांक - 26/10/2020
#विषय -श्री गणेश
#विधा - दोहा मुक्तक
**************************************
विघ्न विनाशक गजवदन, गणनायक गणराज।
करूँ आज आराधना, पूर्ण करो सब काज।
एक दंत शुभ-लाभ प्रभु , रिद्धि सिद्धि दातार।
प्रथम पूज्य संतति सुखद, हर्षित करो समाज।

✍️ मनोज कुमार पुरोहित
अलीपुरद्वार, पश्चिम बंगाल
__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान,पश्चिम बंगाल इकाई
#दिनाँक:-26/10/2020
#दिन:-सोमवार
#विषय:-श्री गणेश
#विधा:-आलेख

नमन मंच

श्री गणेश हिन्दू समाज के प्रथम पूज्य देव हैं। शास्त्रानुसार शिव एवं पार्वती के पुत्र हैं श्री गणेश। गण का अर्थ है समूह अर्थात इन्हें गणों का स्वामी माना जाता है।इनका वाहन डिंक नामक मूषक है।संसार के समस्त साधनों के स्वामी श्री गणेश को ही माना जाता है।
मान्यतानुसार श्री गणेश की दो पत्नियाँ रिद्धि एवं सिद्धि हैं।इनके दो पुत्र शुभ एवं लाभ माने जाते हैं।
शिवपुराण में श्री गणेश की अवतरण तिथि भाद्रपद माह,कृष्ण पक्ष चतुर्थी बताया गया है परंतु गणेशपुराण के अनुसार शुक्ल पक्ष चतुर्थी को अवतरण माना गया है।
गणेश चतुर्थी हमारे देश में प्रमुखता से मनायी जाती है।महाराष्ट्र में इसका विशेष महत्व है।
ज्योतिष में श्री गणेश को एक छाया ग्रह माना गया है जो राहु नामक छाया ग्रह के विरोध में रहता है।
सत्य है विरोध बिना ज्ञान नहीं,ज्ञान बिना मुक्ति असम्भव।
प्रथम पूज्य गणपति की लघु कथा कि ये प्रथम पूज्य क्यों कहे जाते हैं,एक बार शर्त लगी कि कौन सर्वप्रथम पूरी दुनिया का चक्कर पूर्ण कर सकता है सभी देवों के पास तेज गति के साधन थे।
श्री गणेश ने अपने पिता एवं माता की परिक्रमा शीघ्रता से की एवं विजेता बनें क्योंकि माता पिता ही बालक हेतु प्रथम दुनिया है।
अंत में श्री गणेश जी को बारम्बार प्रणाम।

✍️  राम प्रकाश अवस्थी,रूह
जोधपुर, राजस्थान🙏

__________________________________________
$नमन मंच
#साहित्यसंगमसंस्थानपश्चिमबंगालइकाई ।
#दिनांक- 26/10/2020
#विषय -श्री गणेश
#विधा-कविता।

मूषक की हो सवारी ,
                       कृपा दृष्टि है तुम्हारी ।
विपदा हमारी सारी,
                         हरो हे गजानन ।।

आए हैं तुम्हारे द्वारे,
                     भक्त हम हैं तुम्हारे।
देव तुमको पुकारे,
                     सुनो हे गजानन ।।

आसरा तुम्हारा नाथ,
                      मिले हमें दिन रात,
सर पर हमारे हाथ,
                     रखो हे गजानन।।

हाथ जोड़ के खड़े हैं,
                     प्रभु तुम ही बड़े हैं।
शरण तेरी पड़े हैं,
                     सुनो हे गजानन ।।

    ********सुनो हे गजानन********

✍️ बेलीराम कनस्वाल घनसाली,टिहरी गढ़वाल,उतराखण्ड ।
__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विधा _ कविता
#विषय _ श्री गणेश

हाथ जोड़ करती वंदन
शिव पार्वती के नंदन
प्रथम पूज्य देवता आप
बुद्धि का देते वरदान
करते मूषक की सवारी
मोदक लगते बहुत प्यारे
दुख संताप सारे हरते
जो  नित्य पूजन करते
रिद्धि सिद्धि के दाता
सर्व सुख मंगल विधाता
वचन दिया जो माता को
उसको सदा निभाया
आज्ञा पालन करते हुए
शीश अपना कटवाया
गज का शीश लगाकर
गजानन कहलाए आप
काम करें कोई प्रारंभ
लेते प्रथम आपका नाम
कार्य हो सारे सफल
यहीं आशीष देते विनायक
करती नमन बारम्बार
हे गणपति महाराज।।

✍️  प्रेमलता चौधरी
__________________________________________
मंच को सादर नमन
#साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई
विषय-श्री गणेश
विधा-वंदना गीत

गणपती बप्पा आइए
संग में खुशियाँ लाइए
प्रथम पूज्य हैं आप हमारे
मोदक भोग लगाइए

मंच हमारा सजा, हे भोले के लाला
दर्शन आके दो, मै पहनाऊ माला
प्रथम काज हैं आज हमारे पूरन किजिए
हो सफल हमारी मनोकामना आशीष दिजिए
देरी ना करो प्रभु अब तो आजाइए!

आस लगी है आपपे हम सब हैं दास
यूं ना तडपाओ प्रभु ,होता मन उदास
आप भरोसे काम है हम सबका सुनिए
सफल काज हो हमारा पैर तो रखिए
पहली पुकार है आपकी लीला तो दिखाइए!

✍️  शैलेन्द्र गौड
अंबेडकर नगर (उत्तर प्रदेश)
__________________________________________
नमन मंच #साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई
दिनांक - २६/१०/२०२०
विषय - #श्री_गणेश

तुमने ही सिखलाया जग को।
मात पिता का आदर करलो।
तुम हो ज्ञानी सिखलाते हो।
सहज राह भी बतलाते हो।

मूषक वाहन लेकिन तुमने।
नापी दुनिया मिनटों ही में।
प्रथम पुज्य तुम गणनायक हो।
खुश होते बस मोदक से हो।

विघ्न विनाशक तुम हो बप्पा।
तुझ बिन कोई काज न चलता।
गौरीनंदन शंकर प्यारे।
जो ध्यावे वो वारे न्यारे।

लम्बोदर तुम गजमुख बाबा।
चतुर्भुजी एकदंत शोभा।
वक्रतुण्ड तुम महाकाय हो।
दीन हीन पर तुम सहाय हो।

करे विनती जो उठ तेरा।
मिटता उर से हर अंधेरा।
स्वीकार करो मेरा वंदन।
शुर्पकर्ण ओ पार्वती नंदन।

✍️ बरनवाल मनोज अंजान
धनबाद, झारखंड
__________________________________________
#नमन_साहित्य_संगम_संस्था_पश्चिम_बंगाल
#दिनांक - २६/१०/२०२०
#विषय_प्रवर्तन
#विषय - श्री गणेश
#दिन - सोमवार
#विधा - गीत
*******************

आओ  हे  प्रथम  पूज्य गणेश
घर  घर   कष्ट  हरो   भगवान
मूषक पर  सवार हो कर  तुम
पधारो  जय  श्री   लम्बोदरम

आओ  आज  विराजमान  हो
करू वंदना  ले गणपति  नाम
दिप  जलाऊं  भजन  मैं गाऊं
पधारो  माँ   गौरी   तू   नन्दन

आओ  रिद्धि  सिद्धि  के  संग
अपने पावन  चरण  कमल ले
मंगल  कर  दे मंगल  के दाता
पधारो  गजकर्णक  मेरे  बप्पा

आओ  हे  दयावंत   विनायक
मोदक   मिश्री   भोग   लगाऊं
ढ़ोल ताशे और  गुलाल उड़ाऊं
पधारो  विध्न-विनाशक स्वामी

आओ समृद्ध  सौभाग्य प्रतीक
सुन प्राथना शिव  सुत  विनती
पूर्ण  करों अब  भक्तन इंतजार
पधारो  उमा तनया  चंद्र  भाल

आओ  जग   के  सम्पूर्ण  ज्ञान
मस्तक   चंदन   पुष्प   समर्पण
सज  गए रंगोली  हर घर  द्वारा
पधारो हे  कृपा  सिद्धि  निधान

✍️ पुजा कुमारी साह
जमशेदपुर, झारखंड।

__________________________________________
नमन साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
विषय प्रवर्तन
दिनांक 26/10/ 2020
विषय- श्री गणेश

प्रथम पूज्य गणेश
सब देवों में देव आप
मां गौरी के सुत दुलारे..
शिव शंकर के लाल तुम
कार्तिकेय भ्राता प्रिय..
मोदक के लड्डू अति प्रिय..
मूषक वाहन गणपति लाला..
नयन विशाला कहलाते..
विघ्नहर्ता मंगल कर्ता
मंगल मूर्ति कहलाते..
गणेश उत्सव मनाएं हम सब..
मंगल सारे काज करें..
श्री गणेश पूजन के बिना..
होय न जगत में कोई शुभ काम..
श्री गणेशाय नमः
शुभ मंगल सर्व काम..
श्री गणेशाय नमः मंगल मूर्ति नमः

✍️ आरती तिवारी सनत
दिल्ली
__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय-श्री गणेश
#विधा-कविता
#दिनांक-26-10-2020
#दिन-सोमवार


सिद्धिदाता,गजानन प्रिय पुत्र महेश,
कृपा करें मंगलकर्ता श्रीगणेश  ।
मुश्क वाहन आपको अति  प्यारे,
जग चलता प्रभु  आपके   सहारे।
प्रथम  पूज्य शुभ कार्य में हमारे,
माता पार्वती के सदा ही  दुलारे ।
वाक्रतुणड, महाकाय,सिद्धिदाता,
बिना कृपा के कोई कुछ नहीं पाता।

साहित्य मंच कृपा करो कृपानिधान,
साहित्य मंच  सदा पायें सम्मान ।
हम करते  सदा आपके जयगान,
आपकी कृपा सदा जग में महान ।
हे! सिद्धिविनायक सब सुखदाता,
करें  चरणों में बारम्बार   प्रणाम ।
संकटहरन कोरोना करो  संहार,
धरा पर शांति  का  करो  संचार।

✍️  गौतम सिहं "अनजान "
महासोल शालवनी पश्चिम मिदनापुर (पश्चिम बंगाल)
__________________________________________
#नमन ,🙏
# :- साहित्य संगम संस्थान  ,
#   पश्चिम बंगाल इकाई
# दिनांक :- 26/10/2020
# दिवस :- सोमवार
# विधा- स्वैच्छिक
# विषय - श्री गणेश

हे गणेश गौरा के प्यारे,
कैसे तुम्हें मनाऊं मैं।
कैसे करूं तुम्हारे दर्शन,
कैसे तुमको पाऊं मैं।।
मन मेरा बेचैन तेरे लिए,
तेरे बिन है शांति कहां।
नयन बंद कर ध्यान करूं जो,
वो भी ना कर पाऊं मैं।।
तेरा वंदन करूं मैं कैसे,
कुछ भी मेरे पास नहीं ।
कुछ भी नहीं है पास मेरे,
जो तुझ को भोग लगाऊं मैं।।
बहुत उलझनें हैं जीवन में,
उनको कैसे समझाऊं ।
सोचा सारे दुख ही अपने,
तुझे अर्पण कर जाऊं मैं ।।
जीवन मेरा भोग में रत  है,
इससे ना वो दूर हुआ।
इस विलास की अभिलाषा को,
कैसे दूर  भगा ऊं  मैं ।।
चरणों की को धूल मिले ,
चंदन समझ लगा लूंगा।
इससे अपने जीवन के,
सारे संताप मिटाऊं मैं ।।
व्याप्त तुम ही जीवन में मेरे,
मेरे संकट दूर करो ।
तुम बिन अपने जीवन के,
कैसे कष्ट मिटाऊं मैं ।।

✍️ राजा बाबू दुबे
जबलपुर (म. प्र.)
__________________________________________
नमन मंच 🙏🏻🙏🏻
श्री गणेश को शत शत नमन 🙏🏻🙏🏻
# साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल  इकाई
# विषय  - श्री गणेश
# विधा -  कविता

शुभारंभ करूँ कोई भी काम का
लूँ श्री गणेश के नाम का
विध्न हरता जग जानता
ध्यान लगाऊँ
विश्वास ऐसा जगता
भक्ति हमारी
आस से भर जाती
जब श्री गणेश की बात होती
मोदक का प्रसाद चढ़ाऊँ
आरती बड़े प्रेम से गाऊँ
मन का कोना कोना
हर्षोउल्लासित हो जाता
गणेश की कृपा
बरस जब जाती
माता पिता के वो प्यारे
आज्ञा उनकी कभी न टालें
हमें सीख दे जो जाते
कल्याण का भाव
सब पर बरसातें
विन्रमता से भरे ये
शान्ति का पाठ पढ़ाते
मृदुल भाषी इतने
मन में बस संगीत ही सुनाते
कृपा रखो गजानन
तेरी शरण में रहेंगे हरदम
जीवन पथ पर चले जो
तेरे नाम के साथ बढ़ते रहे जो

✍️ प्रियंका प्रियदर्शिनी
फरीदाबाद हरियाणा
__________________________________________
नमन मंच
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल ईकाई
विषय -श्री गणेश जी
विधा- कविता
दिनाँक 26-10-2020
                शीर्षक -गणेश जी
हे! गजानन स्वामी कष्ट विनायक,
प्रथम पूज्यनीय इस जगत में।
आराधना करने से लम्बोदर का,
मन वांछित फल मिलता भजत मे।।
माता पार्वती के सुता कहलाते हो,
महा देव जी हैं पिता तुम्हारे ।
दु:खियों की कष्टो को हरण करते,
गजानन स्वामी रक्षा करते हमारे।।
चक्र, शंख और कमल हाथों में,
जगत के स्वामी चार भुजा धारी।
रिध्दी, सिध्दी जिसकी साथ में हो,
भक्तो के रक्षा करती है चूहे की सवारी।।
इस संसार में अधिष्ठाता देवता हैं,
गणेश जी को लोकनायक कहते हैं ।
अज्ञान मिटा कर ज्ञान भर देता है,
भक्त जनो के साथ हमेशा रहते हैं।।
श्री गणेश जी के पूजा अर्चना करने से,
सुख, शांति, यश और ज्ञान मिलता है।
निर्धनो को धन,दौलत  प्राप्ति होती है,
जीवन भर हमेशा सुख मिलती है।।
                         
               ✍️        देबीदीन चन्द़वँशी
                        ग्राम- बेलगवाँ
                           तह0 पुष्पराजगढ़
                            जिला अनूपपुर
                                 म0 प्र0
__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान प बंगाल इकाई
दिनांक २६-१०-२०२०
विषय श्री गणेश
विधा  गीत

जय जय हे गणपति गणनायक शत शत बार प्रणाम।
संकट काटो व्यथा मिटाओ  हरो कष्ट बलधाम।।

दीन हीन हम तुम्हें पुकारे
हम सब हैं अब तेरे सारे।
आकर रक्षा करो हमारी संकट है अविराम।।

लंबोदर हे गिरिजानंदन।
करता है जग तेरा वंदन।
रिद्धि सिद्धि के दाता हे प्रभु बिनवउँ सुबहो शाम।।

हे गजमुख हे एकदंत प्रभु।
दुखहर्ता सुखदाता हे प्रभु।
तुममें है ब्रह्मांड समाया दो भक्ती निष्काम।।

✍️ फूल चंद्र विश्वकर्मा
__________________________________________
नमन ,🙏 :- साहित्य संगम संस्थान  , पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 26/10/2020
दिवस :- सोमवार
#विधा- स्वैच्छिक
#विषय - श्री गणेश
विषय प्रवर्तक :- आ. रोशन कुमार झा
विषय प्रदाता :- आ. मिथिलेश सिंह मिलिंद जी

रंग रूप बदल देते वेश ,
माँ सरस्वती संग श्री गणेश ।।
अभी तो शुरू , अभी कहां शेष ,
गणपति महाराज का ही तो
भारत अपना देश ।।

जहां भी न होने का
वहां पर भी हो जाता प्रवेश ,
सब पर दया बरसाने वाले हैं , गणेश
संग ब्रह्मा विष्णु महेश ।।
कभी भी न किसी को पहुंचाते ठेस ,
धन्य है प्रभु श्री गणेश ।।

✍️       रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,

__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#दिनांक- 26-10-2020
#विषय- श्री गणेश
#विधा -स्वैच्छिक (हाईकु)
     वर्ण-5-7-5
1.
          गणेश देव
     रहना आप साथ
          बन उदार।
2.
         बढ़े प्रतिष्ठा
      मान सम्मान मेरा
        इस जग में।
3.
           करेंगे नाश
      अहं अभिमान का
           मेरे दिल से।
4.
            हे लंबोदर
       हे सिद्धि विनायक
            दो वरदान।
5.
           रहूं प्रसन्न
      विपरीत स्थिति में
          कृपा निधान।
  6.
          प्रभु गणेश
      इतनी शक्ति देना
         सम्भलूं खुद।
7.
          आपकी भक्ति
        करूं श्रद्धा भाव से
         अच्छे कर्मों से।
------------------*--------------
          ✍️    सुनीता रानी राठौर
          ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विषयश्री गणेश
#विधा-वंदना
#दिनांक26-10-20

नमन करूँ गणेश जी।
शिवशंकर के पूत।
माँ पार्वती की रखवाली।
बनकर करते दूत।
शुभ लाभ के देवता।
रिद्धि सिद्धि के दाता।
लक्ष्मी के पतिदेव तुम।
तेरी अजब है गाथा।
शुभ कार्य में प्रथम पूजा।
होती है श्री गणेश की।
शुभ मंगल करते हो तुम।
दूर करते कष्ट क्लेश जी।
मात पिता के भक्त।
मूसक है सवारी।
तेरा तीर्थ धाम सारा।
मात पिता अगारी।

✍️ चन्द्र भूषण निर्भय
बेतिया पश्चिम चम्पारण
बिहार
__________________________________________
नमन मंच
#साहित्यसंगमसंस्थानपश्चिम बंगाल इकाई
दि026/10/2020
#विषय--श्रीगणेश
#विधा--वंदना(गीत

जय गणपति वन्दन  सुरनायक
जय सिद्धिविनायक गणनायक

प्रथम विराजे गणपति घर पर
मंगल   मूरति  हे   गणनायक।
बंदन   बार   लगे   घर    द्वारे
कष्ट  हरो   हे  विघ्नविनाशक।

पार्वती  शिव   के  तुम  प्यारे
सब भक्तन  के  तुम  रखवारे
रिद्धि-सिद्धि के तुम दाता हो
तुम भक्तों के हो प्रतिपालक।

विद्या वारिधि मन  के  स्वामी
सुरमुनि पूजित जग के स्वामी
भवसागर  से   पार  लगा  दो
सकल अमंगल के तुम नाशक।

एकदंत     तुम    गौरी   नंदन
कृपा तुम्हारी पाऊँ  निश-दिन
हे  लंबोदर  तिमिर  विनाशक
जै जै जै  हो तव  सुखदायक।

जय गणपति वन्दन  सुरनायक
जय सिद्धिविनायक गणनायक

✍️ रोशन बलूनी🌹
कोटद्वार  पौडीगढवाल
       उत्तराखण्ड

__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई दिनांक _26/10/ 2020
विषय_ श्री गणेश
विधा_ स्वतंत्र

हे पीतांबर! हे लंबोदर
हे गौरीसुत! से विध्नेश्वर ,

शुक्ल चतुर्थी को तुम जन्मे
माता-पिता को सृष्टि माने,

एक वरदहस्त बड़ा सुखदायक
तुम हो बुद्धि के अधिनायक,

एकदंत ,दयावंत ,गणपति
गणेश, गणनायक
बालस्वरूप अति सुखदायक,

मां पार्वती के नयन के तारें
गणपति नायक विध्न को तारे,

एक वरद हस्त बड़ा सुखदायक
तुम हो बुद्धि के अधिनायक,

सृष्टि से तुमको तृष्णा अधर्म
प्रतिदिन प्रतिफल हरने है

जो सत्कर्मी और है सज्जन
उनके ही हित करने हैं,

तुम सत्य धर्म के हो दर्पण
तुम शिवांश तुम गौरी नंदन,

दूब,सिंदूर, मोदक का भोग लगाएं
मूषक वाहन तन मंगल मूरत भाएं

रिद्धि सिद्धि के साथ पधारो
भक्तों के सब बिगड़े काम सवारों।।
***************************

✍️  सुनीता जौहरी
वाराणसी

__________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#दिनांक :  26/10/2020
#दिवस  : सोमवार
#विधा  : स्वैच्छिक
#विषय   : श्री गणेश
विषय प्रवर्तक : आ०रोशन कुमार झा
विषय प्रदाता : आ० मिथिलेश सिंह मिलिंद जी
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।
गणेश जी की महिमा अपरंपार है इनकी लीला निराली है कई नामों से प्रसिद्ध गणपति, गजानन, लंबोदर,विनायक, गज वक्त्राय,भालचंद्राय ,शिव सुताय, हेरंबाय, कार्तवीर्याय,महावीर्याय, विघ्नविनाशक, उपेंद्राय, एकदंताय अनेक नामों से प्रसिद्ध है। सभी देवताओं में सबसे प्रथम पूजनीय हर कार्य में सबसे पहले वंदनीय, सभी विघ्नों को हरने वाले ,कष्ट बाधाओं को दूर करने वाले ,गणपति जिनकी पूजा सर्वप्रथम की जाती है । संसार में चाहे किसी भी देवता, देवी का अनुष्ठान किया जाए, कोई भी मांगलिक कार्य किया जाए, भवन निर्माण, मंदिर पूजा, शादी विवाह ,वाहन आदि का क्रय विक्रय, भूमि पूजन ,कूप निर्माण आदि। प्रत्येक स्थान पर लंबोदर को प्रथम निमंत्रण दिया जाता है। और इनका पूजन किया जाता है।जिसके कारण हर कार्य सुख समृद्धि पूर्वक शांति से परिपूर्ण होता है ।सिद्धि और रिद्धि सहित हर व्यक्ति सिद्धि बुद्धि को देने वाले गणपति की आराधना करते हैं।
गणेश जी के रूप का संक्षिप्त विवरण मैं करना चाहूंगा कि जब शिव जी स्नान करने के लिए गए हुए थे। पीछे से पार्वती घर में अकेली थी। उसी समय जब एक ऋषि उनके घर पर भिक्षा के लिए आए ।घर से ऋषि को निकलते हुए देख कर शिव के मन में शंका पैदा हुई और उस समय क्रोध में आकर उन्होंने अपने पुत्र का सिर काट दिया था। उसके बाद पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने गज का मुख अपने पुत्र को लगाया था ।तभी से गजमुख गणपति प्रसिद्ध हुए। गणेश जी बहुत बुद्धिमान देवता हैं।
एक बार शंकर और पार्वती जी दोनों बैठे हुए थे दोनों ने अपने पुत्र गणेश जी और कार्तिकेय को बुलाया ।दोनों की बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए कहा कि आप जाइए और दोनों पूरे पृथ्वी की परिक्रमा करके आइए ।दोनों में जो भी प्रथम आएगा वही विजेता होगा और उसे ही हम बुद्धि का ज्ञाता ,दाता ,बुद्धिशाली कहेंगे। यह सुनकर कार्तिकेय बहुत जल्दी निकल गया और भ्रमण करके शीघ्र आने की आशा व्यक्त की। गणेश ने यह देखकर वहां बैठे अपने दोनों माता-पिता को उनकी सात परिक्रमा करने के पश्चात तुरंत वहां पर आ गए ।शंकर और पार्वती की द्वारा पूछने पर कि तुम परिक्रमण पर क्यों नहीं गतुम इतनी जल्दी यहीं परिक्रमा लगाकर आ गए ।तो गणेश जी ने कहा कि जहां पर मेरे माता-पिता हैं वही मेरे लिए पूरा संसार है। पूरा जगत है। पूरा ब्रह्मांड है ।जब मैंने आप की परिक्रमा कर ली इसका मतलब मैंने पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा कर ली ।यह सुनकर शिव और पार्वती बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने गणपति की बुद्धि की प्रशंसा की ।तभी से हर कार्य में पहले गणेश जी की वंदना की जाती है। गणपति जी के प्रसन्न होने से घर में चारों ओर सुख समृद्धि रहती है। धन धान्य का भंडार भरा रहता है ।किसी भी चीज में कमी नहीं आती है ।हर चीज में बरकत होती है। वृद्धि होती है। यह प्रभाव होता है गणेश जी का ।मैं गणपति जी के चरणों में शीश नवाकर सादर नमन करता हूं।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुर प्रियाय ।
लंबोदराय सकलाय जगध्दिताय।
नागाननाय श्रुति यज्ञ विभूषिताय।
गौरी सुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

✍️  रतन कुमार शर्मा
वरिष्ठ हिंदी शिक्षक
राजुला, अमरेली, गुजरात।
__________________________________________
#     साहित्य संगम संस्थान
          पश्चिम बंगाल
       # विधा _ स्वैच्छिक
            
                    गणराया
       
           हे  सुखकर्ता , विघ्नहर्ता
           बाप्पा मोरया , बाप्पा मोरया
           हे गणराया ले रिद्घि सिद्धि ने संग
            प्रभु पधारों म्हारा द्वार ,
            हाथ जोड़ प्रार्थना करू प्रभु
              संवारो म्हारा काज ......
              स्थापना आपकी करने आतुर
               मेरा मन , जल्दी आन विराजो
               प्रभु दर्शन करने आतुर  मेरा मन
                स्थापना संग कर पाऊं
                मैं कुछ स्वयं परिवर्तन ......
                 मैं मानव अज्ञानी
                 आप बुद्धि के दाता
                  राग , द्वेष , इर्ष्या ,लोभ के
                  अंधकारमय जाल में मैं फंसा
                   हे मूषक वाहन , वरदान दो प्रभु मुझको
                   मूषक आकर कांटे ,
                   अंधकार के मेरे जाल को ....
                   स्वच्छ , निर्मल आत्मा हो जाऊं
                  पचा पाऊं मैं हर बात को
                    कर से मेरे सदा  होवे नेक कार्य
                    मोदक सी मीठी वाणी कर दो ,
                     दुखी ना होवे कोई जन मन
                     हाथ जोड़ करू विनती
                   कृपा बरसा दो प्रभु आप तो
                     कृपा बरसा दो प्रभु आप तो ।
                        
          ✍️        राजश्री राठी
                                अकोला
__________________________________________
#साहित्य_संगम_संस्थान
#विषय_श्री_गणेश
#विधा_स्वेच्छिक

श्री गणेश जी
तर्ज:- म्हाने  काजलियो बना लो
म्हारे आंगनिये पधारो, सारा कारज  थे  ही सारो
आज आओ जी आओ म्हारे आंगणे
ऊंचे आसन पर थाने बिठावालां, कुमकुम केसर रो तिलक लगावालां
हो§ थारे आया सू होवे म्हारे मंगल ही मंगल हो§-2
हमारे घर में खुशियां छाई ,म्हे तो बांटा आज बधाई
मंदिर में बिठाय थाने राखेला हो§-2
म्हारे उत्सव री डोर थे थामोला,
रिद्धि सिद्धि र सागे थे आवोला
हो थारे आया सूं होवे म्हारे मंगल ही मंगल हो §-2
थाने माला म्हें पहरावा,
लड्डूवन को भोग लगावांला
हिवडे में बिठाय थाने राखाला
मारा अटक्योड़ा काज थे   सारोला, म्हें जीवन भर गुण थारा गांवाला
थारे आयासुं होवे म्हारे मंगल ही मंगल
म्हें तो अर्जी लगा दी, थे मर्जी सुना दो
नैनन में बसाय थाने राखलां हो§-2
            ✍️      सुमित्रा चाँङक
__________________________________________
नमन् मंच
#साहित्य_संगम_संस्थान
#पश्चिम_बंगाल_इकाई
#दिनांक_२६_१०_२०
#बिषय_श्री_गणेश
#विधा_वंदना

ध्यान धरें और नाम जपें हम गौरी सुत शुभ राशि का।
पूजन कर लें अर्चन कर लें
भय नहीं यम की फांसी का।
एक दंत गज वदन विनायक
कृपा सिंधु भय नासी का ।
राग रहित अनुराग सहित
हम भजन करें अविनाशी का।
दर्शन कर लें अर्चन कर लें
नागानन हिमवासी का।
वंदन कर लें चिंतन कर लें
विघ्न हरण  भय नासी का।

✍️ विजय शंकर, कानपुर

__________________________________________

______________________________________

#साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई

#विषय_श्री_गणेश

#विधा_स्वैच्छिक

#दिनांक_26_10_2020

**************************


                दोहा छंद



एकदंत मूषक वाहन,गणनायक गणराज।

गणपति वंदन आपको,सकल सुधारों काज।


बुद्धि विधाता कृपाशर, गजानन महाराज।

महागणपति लम्बोदर,गौरी सूत अधिराज।


विघ्न विनाशक उमा पुत्र,शुभ गुणकानन कवीश।

सिद्धि विनायक चतुर्भुज, भालचंद्र अवनीश।


मंगलकरण क्षेमकरी,विघ्नहर विघ्नराज।

प्रथम निमंत्रण नाथ को,पूरे करना काज।


बालगणपति महाकाय, बुद्धि नाथ गणराज।

पहला वंदन आपको, विनायक विघ्नराज।


विद्यावारिधि हेरम्ब, मंगल मूर्ति प्रमोद।

वीर गणपति सिद्धिदाता,भीम भूपति सुबोध।


रिद्ध सिद्ध के दातार,नाव लगा दो पार।

कृपा कर नाथ दीन पर,हो भव सागर पार।


✍️  डॉ. भगवान सहाय मीना

बाड़ा पदमपुरा,जयपुर,राजस्थान


________________________________________

(1) आ. मिथलेश सिंह मिलिंद 

(2) आ. रिपुदमन झा "पिनाकी"

(3) आ.दामोदर मिश्र

(4) आ.नरेश चन्द्र उनियाल

(5) आ.सुधीर सोनी बाली

(6) आ.सुनील कुमार

(7) आ.सुधीर श्रीवास्तव

(8)आ.सुमन राठौड़ 

(9) आ.मनोज कुमार चन्द्रवंशी

(10) आ.स्वेता गुप्ता "स्वेतांबरी

(11) आ.अंकुर सिंह

(12) आ.रजनी हरीश

(13) आ.रूचिका राय

(14) आ.स्वाति पाण्डेय 'भारती'

(15)आ.स्वाति'सरु'जैसलमेरिया

(16)आ.रंजना बिनानी

(17)आ.शिवशंकर लोध राजपूत

(18)आ.मोनिका प्रसाद

(19)आ.सोनल ओमर

(20)आ.बृजमोहन रणा ,कश्यप

(21) आ.कलावती कर्वा "षोडशकला

(22)आ.विनय कुमार बुद्ध

(23)आ.होशियार सिंह यादव

(24)आ.मनोज कुमार पुरोहित

(25)आ.राम प्रकाश अवस्थी,रूह

(26)आ.बेलीराम कनस्वाल घनसाली

(27)आ.प्रेमलता चौधरी

(28)आ.शैलेन्द्र गौड

(29)आ.बरनवाल मनोज अंजान

(30)आ.पुजा कुमारी साह

(31) आ.आरती तिवारी सनत

(32)आ.गौतम सिहं "अनजान 

(33)आ.राजा बाबू दुबे

(34)आ.प्रियंका प्रियदर्शिनी

(35)आ.देबीदीन चन्द़वँशी 

(36)आ.फूल चंद्र विश्वकर्मा

(37)आ.रोशन कुमार झा

(38)आ.सुनीता रानी राठौर

(39)आ.चन्द्र भूषण निर्भय

(40)आ.रोशन बलूनी

(41)आ.सुनीता जौहरी

(42)आ.रतन कुमार शर्मा

(43)आ.राजश्री राठी 

(44)आ.सुमित्रा चाँङक

(45)आ.विजय शंकर, 

(46)आ.डॉ. भगवान सहाय मीना

__________________________________________

__________________________________________




Popular posts from this blog

08/05/2021- 09/05/2021 , साहित्य संगम संस्थान

कैलेंडर - 2021

वाणी का महत्व विषय की सम्मान पत्र