साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल इकाई,दैनिक लेखन क्रमांक :- 6
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#दोहा
दिनाँक 31/10/2020(शानिवार)
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पानी मोल अमूल्य है, जल जीवन का सार।
सोच समझ कर कीजिए, जल का नित व्यवहार।।
आज करोगे बचत तो, होंगे कल खुशहाल।
याद करेंगे आप को, अपने खुद के बाल।।
खुशी रहें वह दीन भी, जिसके घर मे नीर।
बिन पानी धनवान भी, लगता एक फ़क़ीर।।
✍️ मनोज कुमार पुरोहित
अलीपुरद्वार, पश्चिम बंगाल
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नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय : पानी
विधा : गद्य
बिना जल, कहाँ है कल
(लघुकथा)
आज रामनगर का ग्राम पंचायत बड़े-बड़े सरकारी अफसरों की अगुवाई कर रहा था। लोग सरकारी बाबुओं को उम्मीद की नज़रों से देख रहे थे। आखिर हो भी क्यों न ? पहली बार जो इस ग्राम पंचायत में एक बड़ी -सी पानी की टंकी का उद्घाटन स्थानीय विधायक द्वारा किया जा रहा था।
झामलाल का पूरा परिवार, जिसके भरण-पोषण का एकमात्र साधन किसी समय में मछलियों का व्यापार हुआ करता था, अपनी लाचार आँखों से पानी की टंकी को निहार रहा था। किसी समय में रामनगर ग्राम पंचायत मछली उत्पादन का प्रमुख केन्द्र हुआ करता था। नदियाँ उफान पर रहा करती थी। तालाब और कुएँ जल से लबालब भरा रहता था। दूर-दूर तक जल ही जल नज़र आता था और इसीलिए मछली पालन यहाँ का मुख्य व्यवसाय था।
झामलाल मछली पकड़ने में निपुण था। उनकी अधिकतर ज़िन्दगी जल के बीच ही बीता करती थी। वे अक्सर कहा भी करते थे कि जल के बिना मेरे जीवन का कोई अस्तित्व नहीं। अपनी तीन बेटियों में से दो की शादी झामलाल ने मछली पालन से ही किया था। सबसे छोटी बेटी रजिया कुपोषण के कारण अक्सर बीमार रहा करती थी। मछली का कारोबार बंद होने के कारण झामलाल मजबूर हो गया था। रजिया अब शादी के लायक हो चुकी थी और उसके हाथ पीले करवाना झामलाल की बड़ी समस्या थी।
वर्षों की अकाल ने जल स्तर को इतना नीचे पहुँचा दिया था कि किसी समय जल के बीच पलने वाला यह गाँव आज बूँद-बूँद का मोहताज था। चापाकलों ने पानी देना बंद कर दिया था। मछली पालन तो दूर लोग ढंग से खेती भी नहीं कर पा रहे थे।
झामलाल इससे आगे कुछ और सोच पाता उसकी बेटी रजिया ग्राम पंचायत का बुलावा लेकर उसके पास पहुँच गई। झामलाल अनमने भाव से उद्घाटन स्थल पर पहुँचा। नेताजी लोगों को जल का महत्व समझा रहे थे। झामलाल के आँखों में आँसू थे। वो पीछे मुड़ा और मन में कुछ बुदबुदाया। उनकी आवाज़ पीछे खड़ी बेटी रजिया को ही सुनाई दी।
झामलाल के शब्द थे : "बिना जल, कहाँ है कल।"
✍️ कुमार नवीन "गौरव"
मधुबनी, बिहार ।
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#साहित्य_संगम_संस्थान
#विषय_पानी_नीर_जल
#विद्या_कविता
पंचतत्व से बना हम सबका यह शरीर।
अधूरा है पंचतत्व भी यदि ना हो नीर।
नीर सदा नीचे की और ही बहता रहता।
जीवन में झुकना चाहिए सीख हमे देता।
पानी पात्र के अनुरूप अपना आकार ले लेता।
परिस्थितियां अनुसार बदलना हमे सिखलाता ।
नीर जैसे बनकर रहना चाहिए सदा शीतल ।
शुद्ध, साफ, स्वच्छ निर्मल पावन गंगा जल।
पानी की हर बूँद की कीमत है समझनी।
आनेवाली पीढ़ी को यह सीख हमे है देनी।
बिन रंगों का नीर भी कितने रंग दिखलाता।
कभी बाढ़ कभी सूखा से हाहाकार मचाता।
नीर बिना यह सृष्टि रहेगी सूनी और अधूरी।
नीर की कीमत समझ इसे बचाना है जरूरी।
✍️ कलावती कर्वा
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#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विधा _ कविता
#विषय _ पानी / जल
जल की एक बूंद भी है बहुत अनमोल
प्यासे के लिए जल है अमृत का स्रोत
जल है तो कल है यहीं है अटल सत्य
जल का संचय करो जल ही जीवन
जल से खेतों में फसलें लहराती
जल से चहुं ओर हरियाली छाती
जल से जीव प्यास अपनी बुझाते
जल से है प्राणी प्राण अपने पाते
जीवन हेतु अति आवश्यक जल
पंच महातत्व में जल है अहम
जल के बिना सकल जगत में
नहीं है जीवन किसी का संभव
जल की कीमत तुम पहचानो
व्यर्थ ना तुम इसको बहाओं
जल संरक्षण नित्य करो
बूंद बूंद प्रतिदिन बचाओ
जल ही जीवन का आधार
यह बात सदा याद रखो
जल की बूंद बूंद बचाओ
आज नहीं कल बचाओ।।
✍️ प्रेमलता चौधरी
फालना, पाली राजस्थान
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#नमनसाहित्यसंगमसंस्थानपश्चिमबंगालइकाई
#दिनांक- 31 अक्टूबर 2020
#दिन- शनिवार
#विषय- पानी
#विधा- पद्य
जल-संकट
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सत श्री अकाल,
पड़ा अकाल,
जल न मिला,
हुआ बेहाल।
गया कूप समीप,
नहीं दिखा जल-द्वीप,
हुआ हैरान,
कूप-जल गया कहाँ?
बौखला कर आगे बढ़ा,
दूर से दिखा ,
सुंदर सा तालाब,
हुआ समीप,
नहीं दिखा जल-द्वीप।
आँखे खुली---
सपना था बहुत खराब,
संकल्पित होना पड़ेगा,
जल बचाओं का अभियान,
सपने में भी न पड़े जलाकाल
क्योंकि
जल ही जीवन है।
✍️ सुरेश सौरभ ग़ाज़ीपुरी
रामपुर फुफुआव,जमानिया,
ग़ाज़ीपुर,उत्तर प्रदेश।
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#साहित्य संगम संस्थान
#पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक 31-10-2020
विषय पानी
जल जीवन का स्रोत है,
इसका करो जतन।
अगर इसे बर्बाद किया
तो...
जीवन होगा कठिन।
पानी बिन अनाज ना होंगे,
ना बुझ पाएगी प्यास।
कैसी फले फूलेगी ज़िन्दगी हमारी,
अगर जल का होगा नाश?
चलो जल संरक्षण के लिए
करें एक अच्छी पहल।
वन और पेड़ो को बचाने के लिए
उठाएं सार्थक कदम।
ताकि...
अकाल और बाढ़ जैसी विपदा से
सुरक्षित हो हम
और...
हमारा आने वाला कल।
जल संसाधन की अपनी है एक सीमा।
व्यर्थ ना बहाओ जल को
क्योंकि...
यही है हमारे सुनहरे कल का बीमा।।
✍️ रजनी हरीश
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नमो साहित्य संगम संस्थान,प०बंगाल,
विषय - पानी ,
विधा - हाइकु,
नाम - गिरीश इन्द्र,
पता - श्री दुर्गा शक्ति पीठ, अजुवाॅ, आजमगढ़, ऊ ०प्र०-२७६१२७.
दि०-३१-१०-१०२० ई ०
पानी तू ही है,
मानव का जीवन।
इस जग में ।।
प्यास जब भी,
अन्तर्मन में जगी,
पानी जीवन ।।
बहुत बड़ा,
उपकार जग में।
पानी रखना ।।
पानी उतरा,
कभी नहीं चढ़ता।
कुछ भी करो ।
पानी के बिना,
आदमी नहीं होता।
कहीं भी देख ?।
०००
✍️ गिरीश इन्द्र
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नमन मंच
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनाँक 30/10/2020
विषय पानी
कविता
अरे तुम सुनो कहानी
कितना जरूरी हैं पानी
खेत खलयान पेड़ पौधे
सब को जरूरी पानी
बिन पानी के नही कोई
जगत में कहानी
जैसे मर जाती बिन
पानी के मछली
सिसक सिसक कर
जान निकली
कितना जरूरी है पानी
बिन पानी के जीवन असंभव
पानी से जीवन है संभव
आओ चले करें विचार
जल संचित करें प्रचार
जल व्यर्थ करें न बर्बाद
जीवन सबका रहें आबाद
नीति का यही है नितांत
✍️ अमित कुमार बिजनौरी
स्योहारा बिजनौर उ०प्र०
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#साहित्य_संगम_संस्थान_बंगाल_इकाई
#विषय_प्रवर्तन
#शनिवार
#विषय # पानी
#विधा #स्वैच्छिक
संगम साहित्य संस्थान पं. बंगाल इकाई
31 अक्टूबर 2020
विषय-पानी
विधा-सायली छंद
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1.
पानी
कह रहा
मत करना बर्बाद
वरना आऊंगा
याद
2
पानी
आंखों का
जब हो खत्म
निकले जाये
दम
3
पानी
रंगहीन, गंदहीन
और हो स्वादहीन
तैरती जहां
मीन
4
पानी
पीना जमकर
बच जाओगे रोग
वरना नहीं
निरोग
5
नहीं
बढ़कर अमृत
पानी के सामने
समझाओ गांव
ने।
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स्वरचित, नितांत मौलिक
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✍️ होशियार सिंह यादव
मोहल्ला-मोदीका, वार्ड नंबर 01
कनीना-123027 जिला महेंद्रगढ़ हरियाणा
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नमन मंच
# साहित्य संगम संस्थान बंगाल ईकाई
विषय - पानी
विधा- पद्य
दिनाँक - 31/10/2020
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📚✒️
**पानी**
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पानी पानी हो रहा
मान और सम्मान ,
पानी बिन मिल रहा
हर तरफ अपमान |
पानी की रक्षा में
सदा रहें तैयार ,
पूरी सृष्टि के लिए
पानी है भगवान |
कण कण में पानी बसा
बिन पानी सब सून ,
जीवन को पाना है तो
पानी को ही चुन |
दुनियाँ में सब मिलेगा
इसमें ना संदेह |
पानी बिना ना मिले ,
भोजन भी दो जून |
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✍️ एम. एस. अंसारी (शिक्षक)
कोलकाता-24
पश्चिम बंगाल
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🔷जल 🔷
जल है तो कल है
जल ही मानव जीवन की
कई समस्याओं का हल है
जल से ही खेती का बल है
लेकिन कब तक
जब तक कि जल
कूल किनारों के बीच
मर्यादा पूर्वक बह रहा है
किनारों को छोड़ते ही
जीवन रक्षक जल
विध्वंसक बन जाता है
बाढ़ का विकराल रूप ले
जीवन भक्षक बन जाता है
🔶🔷🔶🔷🔶🔷🔶
ऐसे ही मनुष्य का मन है
मन यदि नियम संयम की
मर्यादा में रहे तो मनुष्य
धरती पर देवता कहलाता है
कभी महावीर तो कभी राम
कहलाता है
श्रद्धा से पूजा जाता है
संयम की मर्यादाओं को तोड़ दे
तो रावण कौरव कंस की तरह
दुत्कारा जाता है
🔶🔷🔶🔷🔶🔷🔶🔷
इसलिए जल कहो या पानी
मनुष्य का मन हो या उसकी
बाणी
कभी ना करो मनमानी
संयम का बांध ही है
जल और मानव मन को
आनंद की राजधानी
🔷🔶🔷🔶🔷🔶🔷
🎄साहित्य मित्र 🎄
विधानाचार्य ब्रःत्रिलोक जैन
वर्णी गुरुकुल जबलपुर
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#सहित्यसंगमसंस्थान पश्चिम बंगाल
#विषय-पानी
#विधा-पद्य
जल ही जीवन का है आधार,
जल के बिना जीवन बेकार,
जल को यूँ ही न व्यर्थ गँवाये,
जल है तो जीवन हो साकार।
जल ही है तो सुरक्षित कल है,
जल के बिना न चले हल है,
जल हो तो खेतों में हरियाली हो,
जल बिन साँसें अचल है।
जल के महत्व को समझे सब,
जल को न व्यर्थ बहाये अब,
जल अमूल्य निधि है धरा पर,
जल को सुरक्षित रखें सब।
जल प्रकृति का अमूल्य संसाधन है,
इसकी तुलना में नही कोई धन है,
पंच तत्वों में शामिल है ये जल
जल के बिन कैसे स्वच्छ तन है।
जल के महत्व को पहचाने सभी,
जल सुरक्षित रखे ये जाने सभी,
जल प्राणों को देता आधार है,
बिन जल प्राण नही माने सभी।।
✍️ रूचिका राय
,सिवान बिहार
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साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई
#जय_माँ_शारदे
#मंच_को_नमन
#विषय: पानी
#विधा: कविता
पानी पानी होने से बचना है ,तो पानी को बचाए
अनावश्यक पानी को ना , हे मित्र ! आप व्यर्थ बहाए।
बिना जरूरी कभी भी ना, नल खोल बतियाए
जरूरत से अधिक ना ,जल से आप नहाए।
लाख टके की बात को समझे, बारम्बार दोहराए
जल ही जीवन' 'जल ही कल' इसे न व्यर्थ बहाए।
सृष्टि की रक्षा करने हेतु अब वृष्टि के जल भी बचाए
सबसे मूल्यवान संसाधन को मूर्खता के बलि ना चढ़ाए।
पानी पानी होने से बचना है ,तो पानी को बचाए
अनावश्यक पानी को ना , हे मित्र ! आप व्यर्थ बहाए ।
जल अपचय कर भावी पीढ़ी से शत्रुता ना निभाए
जल का मोल समझना हो तो कभी मरुभूमि हो आए।
मृगतृष्णा के छलावा का कभी तो आनंद उठाए
'जल बिन तड़पे मछली' कही हम पर हावी ना होजाए ।
जल की किल्लत से मानव जाति तड़प तड़प ना मर जाए
जल संचय कर जीवन रक्षक चलो हम सब बन जाए।
पानी पानी होने से बचना है ,तो पानी को बचाए
अनावश्यक पानी को ना , हे मित्र ! आप व्यर्थ बहाए ।
कूड़ा, कर्कट, वर्ज पदार्थों को जो नदियों में बहाए
जलीय जीव का हत्यारा मुझे तनिक भी ना भाए।
बिन भोजन तो कुछ दिन जीया भला भी जाए,
बिन जल बिन प्राण पखेरू तड़प तड़प उड़ जाए।
जल प्रदूषण नियन्त्रण हेतु चलो हाथ मिलाए,
अद्वितीय माँ धरणी को सूखने से बचाए ।
पानी पानी होने से बचना है ,तो पानी को बचाए
अनावश्यक पानी को ना , हे मित्र ! आप व्यर्थ बहाए
भौतिक सुख संसाधनों से धरा की तपिश ना बढ़ाए
बर्फीले पर्वतों बिन सदागामिनी नदियाँ कहाँ से आए?
जल संरक्षण करने हेतु नई तकनीको को भी अपनाए
जल वैश्विक महामारी होने से पूर्व सभी सम्भल जाए ।
'जल है जीवन' इस जीवन को मित्रों यूँ ही न मिटाए
माँ धरणी की चिन्ता अपनी मूर्खता से ना बढ़ाए।
©® ✍️ स्वाति पाण्डेय 'भारती'
कोलकाता पश्चिम बंगाल
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नमन...मंच
साहित्यसंगमसंस्थान असम इकाई
विषय... पानी
विधा.....गीत
दिनांक.....31/10/2020
बढ़ती है आबादी हरदम , पानी घटती जाये रे !
बूँद-बूँद जल संचय करके , आव-आओ बचायें रे !!
पानी से ही चलता जीवन ,
बिन पानी सब सूना ;
बिन पानी के रहे न कुछ भी ,
बिन पानी हम तूँ ना ;
पशु पक्षी अब वृक्ष चराचर , बिन पानी मर जाये रे !
बूँद-बूँद जल संचय करके , आव-आओ बचायें रे !!
सबसे ज्यादा जल आवश्यक ,
तभी तो भोग विलास है ;
सब होकर भी पानी नहिं तो ,
होता सृष्टि विनाश है ;
बिन पानी यह शहर मरुभूमि , पलभर में बन जाये रे !
बूँद-बूँद जल संचय करके , आव-आओ बचायें रे !!
जगह-जगह पर आहर-पोखर ,
कूँआ तालाब बनाएँ ;
जहाँ - तहाँ जल संग्रह करके ,
जल - स्तर को और बढ़ायें ;
पानी की महिमा में बंधू , और कहा क्या जाये रे !
बूँद-बूँद जल संचय करके , आव-आओ बचायें रे !!
व्यर्थ न पानी खर्च करें हम ,
अब व्यर्थ न इसे बहाएँ ;
पानी के उपयोगों को हम ,
समझें भी औ समझायें ;
कतरा-कतरा पानी का भी , मुश्किल ना हो जाये रे !
बूँद-बूँद जल संचय करके , आव-आओ बचायें रे !!
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✍️ आचार्य धनंजय पाठक
पनेरीबाँध
डालटनगंज , झारखंड
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नमन मंच
साहित्य संगम संस्थान
बंगाल इकाई
विषय ...पानी
31-10-20 शनिवार
पानी को तुम तुच्छ ना समझो , पानी ही जीवन आधार।
जब पानी संसार ना होगा' , तो जीवन सारा बेकार।
भोजन से पहले पीजिए , या आधे घंटे के बाद ।
बीच बीच ना पानी पीजिए, पेट का होता विकार ॥
पानी से ही फसल उगें , बिन पानी सब सून ।
फसलें सब बेकार हों , तो कैसे मिटेगी भूख ।
खड़े न पानी पीजिए, पीजे घुटने टेक
ना मानो तो हो जायेंगे , तुमको रोग अनेक
बारिश में तुम लीजिए , पानी को खूब उबाल ।
ठंडा करके पीजिए , ना रोग का कोई बबाल ।
पानी करके गुनगुना , उसमें एक नीबू मिलाओ ।
दिन में तुम दो बार लो , प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाओ ।
तांबे के एक पात्र में ,पानी भरिये तुम रात ।
सुबह पेट खाली पियो, असर राम के बाण ।
पानी जितना चाहिये , उतना ही करिये खर्च ।
बिन मतलब पानी वहे , ये घोर पाप का मर्ज ।
मान का पानी तुम रखो , कहीं ना हो अपमान ।
चाह कर भी ना जाईये , जहाँ न हो सम्मान ।
पानी तुम अंदर रखो , स्वाभिमान का रूप ।
मधुर मान ऊंचा रखो , ना अभिमान स्वरूप ॥
✍️ सुधा चतुर्वेदी ' मधुर'
मुंबई
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#साहित्य संगम संस्थान प बंगाल इकाई
#दिनांक ३१-१०-२०२०
विषय पानी
विधा कविता
पानी कहें या जल कहें, होता है अनमोल।
बिन जल के जीवन नहीं, सच्ची बातें बोल।।
पानी की रक्षा करें, बिन पानी बेजान।
पानी में ही निहित है, प्राणिजनों के प्रान।।
बूँद बूँद है कीमती, जल से होत जहान।
हरा भरा इससे जगत, इसमें जग की शान।।
पानी से कल सुरक्षित, पंच तत्व को मान।
कम यह होने पाए ना, रखिए इसका ध्यान।।
जलद जलधि सरिता सुलभ, पोखर झील आकाश।
पृथ्वी तल में सुरक्षित , जल जीवन की आस।।
✍️ फूल चंद्र विश्वकर्मा
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नमन मंच
दिनांक-31 अक्टूबर 2020
दिन-शनिवार
विषय-पानी
विधा-स्वतंत्र
पानी की भी क्या बात है
आँखों से बह जाए..तो
आँसू।
कलम की धार से बह जाए.. तो
पंक्ति।
बादलों से फूट आए..तो
बारिश।
पहाड़ियों से बह निकले ..तो
नदी।
गागर में भर जाए ..तो
जीवन।
ईश्वर को चढ़ जाए ..तो
जल।
✍️ वर्तिका अग्रवाल
वाराणसी
उ.प्र.
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नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक 31/10/ 2020
#विषय- पानी/जल
विधा- आलेख
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प्रकृति के पांच मूल तत्वों में जल का अपना अहम स्थान है। कहा भी गया है जल ही जीवन है। क्योंकि जल के बिना कोई भी जीव ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह सकता। जीव शरीर का लगभग सत्तर फीसदी भाग जल ही होता है। हमारी जैविक क्रियाएं जल के बिना संपादित ही नहीं हो सकती। किसी भी प्राणी को जीवित रहने के लिए हवा के बाद जो दूसरा महत्वपूर्ण तत्व है वह जल ही है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार बिना जल के मनुष्य ज्यादा से ज्यादा तीन से पांच दिन ही जीवित रह सकता है। जैविक क्रियाओं के परिणाम स्वरूप हमारे शरीर में अनेकों विषैले पदार्थों जैसे मल- मूत्र, पसीना आदि का उत्पादन होता रहता है। इन हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।शरीर के विभिन्न अंगों में मौजूद जहरीले तत्व जल में घुल कर पेशाब के जरिए बाहर निकल आते हैं।यदि शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा न पहुंचे तो ये हानिकारक तत्व शरीर में जमा होते रहते हैं और एक-एक करके अंगों के कार्य को बाधित कर उन्हें बीमार कर देते हैं। इतना ही नहीं पानी शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है।यह मनुष्य व अन्य सभी प्राणियों को चुस्त-दुरुस्त रखता है। शरीर की थकान को मिटाता है।शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है जिससे रोग दूर होते हैं।भारत जैसे गर्म देशों में एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना कम से कम तीन लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए। जिससे कि शारीरिक गतिविधियां सुचारू रूप से चल सकें।शरीर में पानी की कमी होने पर भूख न लगना, थकान महसूस होना,मूत्र ज्यादा पीला आना और बदबूदार होना, प्यास लगना, अपच होना, मांसपेशियों में दर्द होना, मोटापा होना, कुछ अच्छा न लगना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि से जल एक रासायनिक पदार्थ है जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों से मिलकर बना है। सामान्य रूप में जल पूरी तरह से तरल रंगहीन एवं स्वादहीन पदार्थ है। धरती पर एकमात्र जल ही ऐसा पदार्थ है जो द्रव, ठोस और गैस तीनों रूपों में पाया जाता है वह भी प्राकृतिक रूप से। ऐसा कोई दूसरा पदार्थ नहीं है।धरती पर प्रचुर मात्रा में जल विद्यमान होने के बावजूद भी पीने योग्य जल की मात्रा मात्र तीन प्रतिशत ही है,शेष जल सागरों और महासागरों में अपेय जल के रूप में मौजूद है। जीव धारियों के जीवन के लिए इतना महत्वपूर्ण होने के बावजूद भी लोग पेयजल के सदुपयोग के प्रति उदासीन हैं। अपनी उदासीनता के चलते लोग रोजाना हजारों लाखों लीटर पानी बर्बाद करते हैं। नहाने के लिए सावर व बाथटप का उपयोग, ब्रश करते समय नल को खुला छोड़ना, मोटर गाड़ियों को धोने के लिए स्वच्छ पेयजल का उपयोग करना आदि तरीकों से हम प्रतिदिन पेयजल का दुरुपयोग करते हैं। जल स्रोतों के अत्यधिक दोहन व जल के अविवेक पूर्ण उपयोग के कारण पेय जल की मात्रा दिनों दिन घटती जा रही है और जल संकट की समस्या बढ़ती जा रही है।वर्तमान जल संकट को देखते हुए हम सभी का नैतिक दायित्व बनता है कि जाने-अनजाने अपने आस-पास हो रही पानी की बर्बादी को रोकने के लिए हम अपने स्तर से प्रयास करें। यदि समय रहते हम न चेते तो निकट भविष्य में इस धरा से अपने अस्तित्व को मिटाने के जिम्मेदार हम ही आप होंगे और कोई दूसरा नहीं।
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✍️ सुनील कुमार
जिला- बहराइच,उत्तर प्रदेश।
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#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक 31.10.2020
बिषय - पानी
विधा - पद्य
शीर्षक - पानी
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पानी कहो या जल नीर कहो
सारंग सलिल अम्बु वारि कहो,
वियाबान हो जाये हरा - भरा
चाहे मुझको पीर कहो ।
कभी मैं यहाँ कभी वहाँ
धनरस बन घूमा सारा जहाँ,
जेम्सवाट ने उदक शक्ति से
रोशन किया सारा जहाँ ।
जल ही जीवन सर्व सत्य है
फीसद हो सत्तर या नब्बे,
शम्वर प्रवाह के वेग से
उजड़ जाते कुनबे के कुनबे ।
काक आचार पानी-पानी होय
वदराह तन वन अपना खोय ,
प्रतिगामी प्रहसन का पात्र
प्रसाद प्रार्थी सम स्वभाव तोय ।
शून्य सर्वमुख संचय कर
विष अमृत को दिया पनाह,
बड़भागी मैं चन्द्रमौलि का
धोता रहता सबका गुनाह ।
बन अवलम्ब सबको पाला
हिस्सा बनाये क्षीर का ग्वाला,
मधुशाला में बैठ 'हिन्द'
विन आब पय पीये हाला ।
✍️ जय हिन्द सिंह 'हिन्द'
आजमगढ़, उ0 प्र0
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#नमनमंच
#साहित्यसंगमसंस्थानपश्चिमबंगाल।
#दिनांक -31/10/2020
#विषय- पानी
#विधा-कविता
*********पानी की किल्लत ******
पानी पानी हाय रे पानी,
तेरी सबसे अजब कहानी।
आए दिन अब सही न जाए,
पानी तेरी ये मनमानी।।
तू आए तो आए जान,
तेरे बिना दुखी इंसान।
तुझ से ही जीवित सब प्राणी,
पानी तेरा कोई न सानी।।
तू क्यों आंख मिचोली करता,
थोड़ा आता फिर क्यों जाता।
जला नहीं है चूल्हा आज,
तुझसे पत्नी जी नाराज ।।
कहां से नहाएं कहां से धोयें,
खाने की मत पूछो बात।
बच्चे स्कूल ना जा पाये ,
साहब भी छुट्टी पर आज।।
इक दिन आए छै दिन गोल,
सुनता सबके गंदे बोल।
बेशर्म दुखी सब तुझसे।
फिर भी पानी तू अनमोल।।
****फिर भी पानी तू अनमोल****
✍️ बेलीराम कनस्वाल घनसाली,
टिहरी गढ़वाल,उतराखण्ड ।
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नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय शब्द: पानी
विधा: कविता
दिनांक:31\10\20
##############
नदी की बहती निर्मल धारा,
पत्ते पर पड़ी ओस की बूंदें,
बादल में भरा है पानी,
पानी की महिमा सबने पहचानी।
जानवर को भी चहिए पानी,
पेड़ पौधों का जीवन पानी,
धरती भी तो सूख जाती,
जब ना बरसाएं बादल पानी।
ठहरा रहता कुएं का पानी,
वो गंदा हो जाता है,
बहती रहती है नदी हरदम,
साफ और सुन्दर इसका पानी।
सागर के पास अथाह पानी,
वह निर्मल नहीं, खारा पानी,
बेकार है वो बिना काम का पानी,
प्यास ना बुझा पाए सागर का पानी।
आंँखों में भी होता है पानी,
शर्म, हया का सुन्दर पानी,
जिसने उतार दी आंँखों से इसे,
वो सब जगह हो जाएं पानी पानी।
+++++++++++++++++
✍️ अभिलाषा "आभा"
गढ़वा (झारखंड)
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नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक - 31-10-2020
विषय - पानी
विधा- पद्य
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पानी के बिन कैसा जीवन
पानी हैं तो जीवन हैं।
पानी से ही पेड़-पौधे हरे-भरे रह पाते हैं।
पानी से ही खेतों में फसले लहराती हैं।
पानी में ही कमल हैं खिलता
कितना प्यारा फिर हमें लगता हैं।
पानी के बिन उस रेगिस्तान को देखो
कितना विरान सा लगता हैं।
पानी के बिन घर की रसोई को देखो
खाना भी नहीं बन पाता हैं।
पानी की हर बुन्द हैं कीमती
इसको व्यर्थ ना गवाना हैं।
बहता पानी निर्मल होता।
ठहरा गन्दा हो जाता।
पानी से तु सिख ले बन्दे
नित्य आगे तुझे बढ़ना हैं।
✍️ मोहन लाल मीणा
सेमारी, जिला- उदयपुर
( राजस्थान )
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# साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाइ
नमन मंच
विषय- पानी
विद्या -आलेख
पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए मूल आवश्यकताओं में जल भी हैl जल प्राकृतिक संसाधन है lपृथ्वी पर 70 प्रतिशत भाग जल पाया जाता है, फिर भी पानी की इतनी किल्लत क्यों होती है? क्योंकि कुल जल का लगभग 97% सागरों में, 2% ध्रुवीय भागों में बर्फ के रूप में, तथा 1% नदियों, तालाबों तथा पृथ्वी के नीचे सतह में पाया जाता हैl जिसे हम भूमिगत जल कहते हैंl इसी भूमिगत जल का उपयोग सभी जीवधारी करते हैंl जिसे हम बोरवेल तालाब को आदि के माध्यम से उपयोग करते हैं lमनुष्य के उपयोग हेतु कुल जल का 0.01 प्रतिशत भाग ही उपलब्ध होता हैl इसलिए हमें इसे बर्बाद नहीं करना चाहिएl
सभी जीवो के जीवन निर्वहन के लिए भी जल आवश्यक हैl यह जीवों में पाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण घटक है l हमारे शरीर में भी भार की दृष्टि से लगभग 70 प्रतिशत जल पाया जाता है lजीव धारियों अंदर होने वाली विभिन्न क्रियाओं के लिए जल बहुत ही आवश्यक होता हैl
अन्य जीवों में भी शरीर के भार के अनुसार जल पाया जाता है जैसे हाथी 80%, पेड़ 60%, आलू 80% आदिl जल हमारे शरीर में भोजन को पचाने के लिए तथा उसे शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाने के लिए बहुत ही आवश्यक होता हैl इन्हीं जल के साथ हमारे शरीर में पाए जाने वाले अपशिष्ट और हानिकारक पदार्थ शरीर से बाहर निकलते हैंl
इस प्रकार हम देखते हैं कि, पानी के बिना जीवन संभव नहीं है lपानी की उपलब्धता भी बहुत कम है इसलिए हमें पानी को बेकार नहीं करना चाहिएl
कई लोग पानी की फिजूलखर्ची करते हैं lगाड़ी धोते वक्त पानी रोड पर बहाते हैं, एक घूंट पानी पीने के लिए गिलास पानी लेकर फेंक देते हैं, हमें ऐसा नहीं करना चाहिएl
समय रहते यदि हम सचेत नहीं हुए तो आने वाले समय में हमें पानी के समस्याओं से जूझना पड़ेगा lहमें बरसात के पानी को इकट्ठा करने का भी उपाय सोचना चाहिए जैसे कि वाटर हार्वेस्टिंगl
✍️ चंद्रमुखी मेहता( विज्ञान शिक्षक)
जिला बलरामपुर छत्तीसगढ़
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#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल मंच को नमन।
#दिनांक : 31अक्टूबर 2020.
#दिन : शनिवार
#विषय : पानी।
#विधा : पद्य।
पानी से ही तो जिंदगानी है,
नहीं तो, खत्म यह कहानी है,
पानी प्रकृति का अनुपम उपहार,
इस से ही जीवन पाता संसार।
जल से ही तो चलता है हल,
जल के बिना सब खेत बीकल,
बिना पानी के जैसे हो नल,
जल ना होता, जग जाता जल।
नीत हम करते इसका दुरुपयोग,
जीससे फैलता तरह तरह के रोग,
डीप बोरिंग कर खींच रहे हम पानी,
अंदर से धरती होती जा रही बेपानी।
अगर बचानी है यह जीवन इंसानी,
मत बर्बाद करो व्यर्थ में यह पानी,
अगर समाप्त हुआ यह पानी धरा से,
खत्म हो जाएगी जीवन की निशानी।
मत काटो वन उपवन, हरियाली बचाओ,
हरी-भरी धारती रहे, पर्यावरण बचाओ,
धरती को मरुस्थल बनने से बचाओ,
जितना ज्यादा हो सके, पानी बचाओ।
✍️ दामोदर मिश्र बैरागी,
मेदिनीनगर पलामू झारखंड।
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#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय-पानी
#विधा-स्वछंद
#दिनांक३!-१०-२०
अमूल्य बहूमूल्य हे।
जल जीवन का सार।
सोच समझ कर किजिये।
आप इसका व्यवहार।
जल संचय कर लिजिये।
आये वक्त पर काम।
सुखा जब पड़ जाता।
देता जीवन आराम।
जरूरी सबके लिये।
जीवन में है नीर।
चाहे कोई अमीर हो।
हो चाहे वो फकीर।।
पंचतत्व से बना हुआ।
यह है शरीर।
पंचतत्व है अधूरा।
वगैर नीर।
पानी सदा बहता रहता।
निचे ही की ओर।
देता सबको सीख ये।
झुककर रहे जरूर।।
नीर जैसे बने रहे।
सदा शुद्ध निर्मल।
आप पवित्र रहे सदा।
जैसे गंगाजल।।
✍️ चन्द्र भूषण निर्भय
बेतिया पश्चिम चम्पारण
बिहार
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#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
# दैनिक सृजन
#दिनांक-31/10/2020
#विषय - पानी
#विधा – स्वैच्छिक
#दिवस – शनिवार
#विषय प्रदाता –आ० मिथिलेश सिंह मिलिंद जी
#विषय प्रवर्तन- आ० स्वाति “सरु” जैसलमेरिया जी
पानी जिसका कोई रंग,आकार,प्रकार नहीं होता है। पानी शब्द को लेकर अनन्त भावनाएं मन में उत्पन्न होती हैं। पानी को जिसके साथ भी हम मिला दें वैसा ही रंग पानी का हो जाता है। कहा भी गया है-
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, जिसमे मिला दे मेरा रंग वैसा।
मानव का जीवन भी ऐसा ही होना चाहिए। जैसा भी समय है उसके अनुसार उसे अपना जीवन बना लेना चाहिए।
रहीम जी ने भी कहा है –
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरे , मोती, मानुष , चून ।।
पानी शब्द के तीन अर्थ बताएं हैं । यहां पर मोती के लिए पानी का अर्थ चमक होता है। दूसरा पानी मनुष्य के लिए इसका अर्थ बताया है इज्जत, तीसरा पानी का अर्थ होता है जल । अगर आटे में पानी डालेंगे तो ही हम उसे गोंद करके खाना बना सकते हैं। पानी शब्द को लेकर बहुत सारी कहावतें, लोकोक्तियां, मुहावरे मन में उभर करके आते हैं । जैसे- पानी में डूब मरना, पानी पानी होना, पानी के लिए तरसना ,पानी पर तैरना, पानी में डूब मरना ,पानी फैलाना जैसे अनेक मुहावरे लोकोक्तियां संसार में प्रचलित हैं।
पानी शब्द के अनेक अर्थ हैं-नीर, अंबू, जल, तोय ,वारि, हर शब्द का अपने अपने स्थान पर प्रयोग किया जाता है। जैसे नीर शब्द आंखों में निकलने वाले आंसू नीर कहलाते हैं। दूसरा बादल जल बरसाते हैं। जबकि तोय का मतलब भी पानी होता है।पानी शब्द को सुनते ही तीन अवस्थाएं मन में उत्पन्न होती हैं। ठोस ,द्रव्य, गैस पानी की तीन अवस्थाएं होती हैं । जब पानी को हम जमाते हैं बर्फ बनाते हैं, तो पानी जम कर के अपना ठोस रूप धारण कर लेता है। वही पानी जब पिघल जाता है तो तरल रूप में प्रकट हो जाता है ।जब पानी गर्म होता है ,चाहे वह अग्नि के द्वारा या सूर्य की किरणों के द्वारा भाप बनकर के उड़ता है, पानी भाप का रूप धारण कर लेता है।
पानी के अर्थ को लेकर मनुष्य को पानी की तरह जीवन नहीं जीना चाहिए। क्योंकि जब पानी बहता है उसके सामने कोई भी कठिनाई या बाधा आती है, तो पानी अपना रास्ता बदल लेता है। कठिनाई वहीं पर रह जाती है ।मनुष्य को बताया गया है कि कठिनाई को छोड़ना नहीं है। उसे नष्ट करके आगे बढ़ना है। इसीलिए कहा गया है –
वह जिंदगी क्या जिंदगी, जो सिर्फ पानी सी बहे ।
पानी के समान बहने वाली जिंदगी को जिंदगी नहीं माना गया है।पानी ही जीवन देता है, बिना पानी सब कुछ सूना है। जीव जंतु वनस्पति सभी को पानी की आवश्यकता होती है। लेकिन जब पानी की बहुतायत हो जाती है ।तो पानी ही जीवन को हर लेता है। पानी के साथ प्रयुक्त होने वाले मुहावरे जैसे अच्छे अच्छों को पानी पिलाना। लेकिन जब भगवान शिव पर चढ़ाया जाए तो जल कहेंगे। जल अर्पण करना, जलाभिषेक करना। पृथ्वी पर जब चारों तरफ पानी ही पानी हो जाता है, तो वहां पर पानी अर्थ जल है।कहा भी गया है जल ही जीवन है ।वनस्पति, जीव- जंतु ,पेड़- पौधे, मानव ,पशु -पक्षी सभी जल के ऊपर ही निर्भर रहते हैं ।
✍️ रतन कुमार शर्मा
राजुला, अमरेली, गुजरात।
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#साहित्यसंगमसंस्थान #पश्चिमबंगालइकाई
#दिनांक-31/10/2020
#विषय- #पानी
#विधा- #स्वतंत्र
#पानी
पानी जीवन के लिए, होता है अनमोल,
बिन पानी जीवन नहीं ,लाख टका दो मोल ।
बूंद बूंद से भरत है ,घड़ा सुनो मेरे भाय,
पानी की रक्षा करो , व्यर्थ न इसे गवांय।
लाख टके की बात है ,जानत है सब कोय,
जल आवश्यक तत्व है, जल बिन जीवन ना होय।
जल जीवन का सार है ,जल बिन जीवन बेकार,
जल के महत्व को समझो ,जल प्राण आधार।
जल अमूल्य निधि धरा का ,जल से खेती होय,
जो जल ना हो तो ,भूखे मरे सब कोय।
जल के महत्व को पहचानो ,जल तभी सुरक्षित होय,
पंचतत्व से बने इस शरीर को, जल बिन बचा सका ना कोय।
✍️ रंजना बिनानी
गौलाघाट असम
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#साहित्य संगम संस्थान,पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय:-पानी
#विधा:-पद्य
#नमन मंच
सभी की प्यास को है तृप्त करता सर्वदा ये जल।
सभी की आस में विश्वास भरता जब बहे कल-कल।।
यही आधार प्राणी मात्र के जीवन का आज व कल।
यही भव में है तारणहार और यही है गंगाजल।।
यही नदियों में नालों में,यही चाय के प्यालों में।
यही चावल में दालों में,यही सबके निवालों में।।
यही बहता है झरनों में,करे आवाज कल कल कल।
यही बरसाते इन्द्रदेव,करें खेतों में छलाछल।।
कभी बहता है माँ की आँख से बनकर यही अश्रुधार।
कभी बहता है नवयुवती के मुखचन्द्र पर बन सुकोमल धार।।
यही हथियार भी बनता कभी सबकी गृहस्थी में।
यही एक स्रोत बन जाता दही की प्यारी लस्सी में।।
सभी को प्राण जितना प्रिय औऱ कहीं निश्छल।
सभी को प्राणवायु के समान ही है जरूरी जल।।
सभी पितरों को संताने पिलाती तर्पण रूपी जल।
अभी से हो सचेत संचय करो तब ही मिलेगा कल।।
चाहे मटका सुराही या कोई ठंडी सी हो बोतल।
बुझेगी नीर की ये प्यास यदि मिल जाए शीतल जल।।
यही सन्देश देता है रहो मेरी तरह निर्मल।
कहीं बन नीर भी हरता, सभी की टीस मन की जल।।
✍️ ----राम प्रकाश अवस्थी(रूह)
.जोधपुर,राजस्थान🙏
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🙏नमन मंच??
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय-पानी
#विधा-कविता
***पानी***
भू-तल से वायुमंडल तक
सभी जगह पानी-पानी है,
पानी से दिनचर्या है जुड़ी
पानी से ये चढ़ी जवानी है।
हर रोज हर दिन पानी पर
इक बनती नव कहानी है,
सिचाई के लिए कही पेय
खूब पानी की मेहरबानी है।
नहरों-नदियों पर दंगे होते
देते लोग यहाँ कुर्बानी है,
पानी से जीवन चले अपना
खिलवाड़ न करों नादानी है।
कई इलाकों मे नहीं पहुंचता
आती नित बड़ी परेशानी है,
पानी प्रलय-जीवन दोनों है
सदुपयोग करो पानी-पानी है।
✍️विकाश बैनीवाल
हनुमानगढ़(राजस्थान)
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नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
दिनाँक-31.10.2020
विषय-पानी
विधा-हाइकु
हाइकु
◆◆◆◆◆
बिन पानी तो
एक दिन सबका,
उतरा पानी।
पानी प्राण है
विचार करो भैय्या,
बर्बादी क्यों?
समझ नहीं
मरना तो पड़ेगा,
पानी के बिना
बर्बाद करो
रोना तो पड़ेगा ही,
किसी दिन तो।
मूर्ख नहीं हो
पानी बचाते चलो,
खुश रहोगे।
समय अभी
सचेत हो ही जाओ,
बच्चों के लिए ।
●✍️ सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा(उ.प्र.)
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माँ शारदा
नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय-पानी
#विधा-दोहे
दिनांक-31-10-2020
दिन-शनिवार
मात्रा भार-13+11=24 24
(1)
पानी को संचय करे, जीवन का आधार।
पानी पर टिका सभी, जीव भरा संसार।।
(2)
काया माटी का बना, पानी ही आधार ।
बिना पानी के जीव,करता हाहाकार।।
(3)
पानी सब संचय करे, कभी न करे बेकार।
धरा पर पानी न रहे, जीव सभी लाचार।।
(4)
जीवन सबका अनमोल, पानी ही आधार ।
बिना पानी सब जीव,करते हाहाकार ।।
✍️ गौतम सिहं "अनजान "
पश्चिम मिदनापुर
पश्चिम बंगाल
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नमन मंच🙏🙏
# साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
# विषय- पानी
# विधा- कविता
जल ही जीवन हैं
सुना तो होगा
प्यास हमारी
बुझाता जो
एक बूंद का भी
मोल है अनमोल
भोजन पकता
स्वच्छ रहते
पानी है तो
स्वस्थ रहते
पानी बिना
कुछ न होता
खूब पानी पी लो
औषधि है ये
मान लो
कांतिमय रखता
सयाने बन जाओ
कीमती है यह
समझो और समझाओ
संकट तो तब आता
कूड़ा करकट
पानी में बहता
मानव तुम भी न
इतना नासमझी न करो
असंभव जो हो जाएगा
पानी बिन जीना
जो पर जाएगा
पानी जो बह रहा
थोड़ा पेड़ों को पिला दो
काम इतना आते वो
ज्ञान की ये बात है
बिजली इतनी प्यारी
जगमग रोशनी करती
पानी का मूल्य
तब भी क्या
समझ में आती
लहलहाते खेत
बिन पानी सूने
जीवन रक्षक बनता ये
पानी का मोल वही जाने
अब भी संभल जाओ
पानी को व्यर्थ न बहाओ
जीवन प्रदान करता है
इसकी महत्ता को समझना है
✍️ प्रियंका प्रियदर्शिनी
फरीदाबाद हरियाणा
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#साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल
दिनांक-३१/१०/२०२०
विषय-पानी
हर प्राणी की जरूरत है पानी
पानी बिन नहीं जीव जिन्दगानी
खेतो की सिंचाई पानी से हरियाली
पानी फूल पौधे को देता है माली
पानी मिले ना हमें तो जीवन नहीं
पानी नहीं तो जग सृष्टि सृजन नहीं
बेकार ना गवावों ऐसे आप पानी भाई
पानी से खुश होवे घर अंगनाई भाई
✍️ शैलेन्द्र गौड
अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश
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#साहित्यसंगमसंस्थानपश्चिमबंगालइकाई को सादर नमन
#दिन- शनिवार
#दिनांक- ३१/१०/२०२०
#विषय-पानी
#विधा- दोहा
बिन पानी ना जिंदगी,पानी बिन सब सून।
पानी से ही देह है,पानी से ही खून।।
पानी के दो अर्थ हैं,जल,मर्यादा मान।
पानी बिन मर जात है,सदा मान सम्मान।।
जल सूना है मीन बिन,जल बिन यह संसार।
जल की महिमा होत है,साधू अपरम्पार।।
पानी से पंक्षी पशू ,पानी से परिवार।
पानी से हैं खेत सब,देत हमें आहार।।
✍️ प्रमोद यादव ”रंजन गोण्डवी”
जनपद- गोण्डा अवध उत्तर प्रदेश
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#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय-पानी
#विधा-स्वछंद
#दिनांक३१-१०-२०
जीवन का है सार जल।
इससे ही है सबका कल।।
जीवन का सारांश है।
इसके बिना विध्वंस है।।
उपयोग करो तुम सोच के।
वरना मिलेगा खोज के।।
संचित जल को कीजिए।
काम वक्त पर लीजिए ।।
जीवन मैं यदि नीर है ।
कोई नहीं फिर पीर है।।
सबके लिए जरूरी है।
गरीबी या अमीरी है।।
पंचतत्व में शामिल है।
फिर भी मानव गाफिल है।।
दुरुपयोग करे है वह।
नहीं कभी भी डरे है वह।।
नीर बहाता रहता है।
चाहे कष्ट वह सहता है।।
कम ही जल है विश्व में।
नहीं मिले भविष्य में।।
अब भी चेत जाओ मानव।
बनो नहीं अब तुम दानव ।।
नीर बचा रहेगा कल।
सबको मिलता रहेगा जल।।
✍️ राजा बाबू दुबे
जबलपुर मध्य प्रदेश
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नमन मंच
# साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
# दिनांक : ३१ / १० / २०२०
# दिन : शनिवार
# विषय : पानी
# विधा : कविता
पानी तेरा अद्भुत कहानी
ना रंग तेरा ना गंध कोई तुझमें
ना रूप कोई है समाया
जीवन के लिए तुम सबसे हो उत्तम
विज्ञान ने सबको है बताया ।
इतिहास में है तेरा ही वर्णन
नदी घाटी सभ्यता में भी है दर्शन
जहाँ तक है तेरा जग में बसेरा
पशु पक्षी जीवन डाले हैं डेरा
तुझसे ही रातें तुझसे ही है सबेरा ।
तुम हो विकास का हर पैमाना
नदियों के मुहाने पर डैम बनाकर
जलधाराओं से विद्युत ऊर्जा बनाकर
सारे जग में प्रकाश फैलाना
तुझसे ही जगमग रौशन जहाँ ।
सागर का पानी बादल में समाए
बारिश उनको धरा पर गिराए
सूखी धरती प्यासी नदियाँ
गर्मी की तपिश दूर तूझसे ही होती
तेरा राह तकतीं किसानों की अँखियाँ ।
जल का संरक्षण सबसे जरूरी
चाँद पर पानी मंगल पर पानी
ये सपनों की बातें लगतीं अधूरी
धरती पर जीवन बचाएगा पानी
मानव का अस्तित्व भी बचाएगा पानी ।
✍️ सत्य प्रकाश चौबे
सहायक प्राध्यापक, अंग्रेजी
डी ए वी इंजीनियरिंग कॉलेज
मेदिनीनगर , झारखंड
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नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 31/10/2020
दिवस :- शनिवार
विषय :- पानी
विधा :- स्वैच्छिक
प्रदाता :- आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी
विषय प्रवर्तक :- आ. स्वाति "सरु" जैसलमेरिया जी
पानी ही जीवन है ,
जिसकी जरूरत
क्षण क्षण है ।।
पानी से ही खिली प्रकृति
और वन है ,
पानी बिना कहां
चलने वाला ये मन है ।।
तब सब प्रसन्न हैं ,
पानी तो कण कण है ।
पानी तो अनमोल धन है ,
पानी ही तो जीवन है ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
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#साहित्य_संगम_संस्थान_बंगाल_इकाई
#विषय_प्रवर्तन
#शनिवार (31-10-2020)
#विषय # पानी
#विधा #कविता
पानी ही जीवन का अनमोल रतन है
पानी से हुआ सृष्टि का उदय पानी ही
प्रलय घन है
बादल अमृत सा जल लाता
अपने घर- आँगन बरसाता
पानी का करो सदा सदुपयोग
करो ना इसका दुरुपयोग
पानी से अन्न फल फुल पुष्पित
सुन्दर उपवन है
पर्यावरण को ना बचाया गया
तो वो दिन जल्दी आयेगा
जब धरती पर हर इन्सान बस
पानी-पानी चिल्लाएगा
बिन पानी सब सून जगत में
यह अनुपम धन है
पानी ही जीवन का अनमोल रतन है!!
✍️ आभा सिंह , लखनऊ उत्तर प्रदेश
#साहित्य_संगम_संस्थान_बंगाल_इकाई
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#साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई
शनिवार/31/10/2020
विषय-पानी
विधा -दोहे
••••••••••••••
पारदर्शी पानी अति,
पावन निरमल मेह।
पानी के आभास से,
बिखरे जग में नेह।१।
पानी मन का कीमती,
नहीं इसका कोई मोल।
ईश्वर का उपहार है,
खर्चो इसको तोल।२।
पानी है गुणी अति,
है जीवन आधार।
तृष्णा जग की दूर करे,
त्रिय ताप सम्हार।३।
बूँद बूँद है कीमती,
ना करना बर्बाद।
पानी से ही संसार है,
लेवो इसको साध।४।
पानी हृदय माहीं धरो,
ये मोती की सी आब।
पानी बिन लज्जित हुआ,
जग,सम्मान और ताब।५।
••••••••••••••••••••••
✍️सुखमिला अग्रवाल
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मंच को नमन
दिनांक 31/10/20
विषय पानी
विधा। कविता
पानी है अनमोल रे
व्यर्थ इसे न खोल रे
जीवन का यह सार रे
इसके बिना सब हार है
अमृत अंबु यह धरती का
आप वारि यह जीवन का
आधार बिंदु यह पोषण का
पानी सार है लाइफ का
प्राण जीविका का आधार
उदक तोय यह सबका सार
व्यर्थ गंवांये तो है हार
जल जान से बढकर अति सार
जिन्दगी जल बिन नहीं है
सलिल पय सब सार यह है
क्षीर को समझें नहीं तो
फिर तो जीवन हार समझो
✍️ डॉ प्रकाश चमोली
श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड भारत
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#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
मंच को नमन
#विषय:पानी
दिनांक:31/10/2020(शनिवार)
#विधा:कविता
शीर्षक :जल
*जल*
जल के बिना कैसा कल
पांचो तत्व मे एक तत्व है जल
जल है तो पर्यावरण है
पर्यावरण है तो जीवित हम सब है
तभी पूरा संसार लेता सांस
जल बिन ना रहे जीवन
पर्यावरण जल एक ही,
सिक्के के है दो पाट
एक दूसरे बिना नहीं रह सकते
जैसे जल बिन मछली आज
जल से ही जीवित सब है जीव,जंतु और प्राणी
जल नहीं तो हम सब नहीं कल दुनिया मे,
नदी, नालों, समुन्द्र के जल को,
है कूड़े कचरे से बचाना
तभी स्वच्छ जल पीने को मिलेगा,
स्वस्थ रहेगा यह जल और जीवन
इस दुनिया मे होगा कल,
प्रकृति, मानव का सर्वनाश
इस मंजर का अंदाजा लगाओ,
सबका होगा विनाश
भविष्य मे जल को बचाना होगा,
विनाश के कल को रोकना होगा
✍️ ---शिवशंकर लोध राजपूत ✍️
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नमन मंच
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल ईकाई
बिषय- पानी
विधा- कविता
दिनाँक - 31-10-2020 शीर्षक- पानी
पानी बिना मानव जीवन अधूरा है,
न किया करो जल का दुरूपयोग।
संरक्षण करना मानव धर्म है,
जल रोको अभियान में करो सहयोग।।
मानव हमेशा रखना याद तुम,
बिन पानी जीवन सब सून है।
सबसे अनमोल पृथ्वी पर जल,
प्यासे को मिला पानी आत्मा को मिला सकून है।।
पानी पी कर तृप्त होते प्राणी,
खुशी -खुशी से जीवन बिताते है।
धरती के अमूल्य रत्न है वारि,
जल से ही काया की मुक्ति कराते है।।
मत काटो पेड़ों को तीव्र वर्षा होती है,
बारिस से पानी एकत्रित होती है।
पानी से ही खेती होती है ,
बिना पानी के फसले रोती है।।
अभियान चलाओ, पानी बचाओ,
जन - जन तक संदेश पहुँचाओ।
जगह -जगह बाँध बना कर,
जल संरक्षण को लोगों को समझाओ।।
✍️ देबीदीन चन्द़वँशी
ग्राम -बेलगवाँ
तह0पुष्पराजगढ़
जिला अनूपपुर
म0प्र0-
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#नमन साहित्य संगम संस्थान #पश्चिम बंगाल इकाई
#दिनांक-31/10।2020
#दिन- शनिवार
#विषय- पानी
#विधा- कविता
पानी की एक - एक बूंद अमृत समान,
पानी की स्वर्णिम बूंदे हृदय को तृप्त करती हैं।
पानी की बूंदे प्यास कसक को दूर कर,
चराचर के जीवन को सुखमय करती है॥
पानी है जीवन आधार हमें सुरक्षित करना है,
पानी नित धरा की प्यास कसक बुझाती है,
पानी जेष्ठ की तीक्ष्ण तपन में राहगीर के,
प्यासे लबों की संताप को सदा मिटाती है॥
पानी जीवन तल को अभिसिंचित कर,
जीवन को सुरभित, मुखरित करती है।
पानी जीवन चमन में खुशबू बिखेर कर,
पानी पादप जगत को नित संतृप्त करती है॥
पानी की अविरल शुचि धारा व्यर्थ ना जाए,
हमें नित जन-जन में अलख जगाना है।
मानव जीवन में निर्मल जल है तो कल है,
जल संरक्षण का जन जागृति फैलाना है॥
जल की धवलमय कल -कल निर्मल धारा,
अखिल विश्व में है प्राण आधार।
पानी को दूषित ना कर निष्ठुर, मूढ़ मानव,
पानी जीवन में लाता है बसंत बहार॥
✍️ मनोज कुमार चंद्रवंशी
बेलगवाँ जिला अनूपपुर मध्यप्रदेश
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🙏#नमन_साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई_मंच🙏
🌷विषय : #पानी ; विधा : #स्वैच्छिक🌷
🌹दिनाँक : 31/10/2020 ; दिन : शनिवार🌹
बादलों के झुरमुट से आज बरसा पानी है।
धरती माँ जी तर हो गयीं आई इक रवानी है।।
नीले - नीले आसमां में काली घटा छाई है।
मलयज खुशबू लिए आयी पुरवाई है।।
शीतल सी हवायें हैं ठंडा - ठंडा पानी है।
धरती माँ जी तर हो गयीं आई इक रवानी है।।
बादलों के झुरमुट से आज बरसा पानी है।।
पर्यावरण शुद्ध हो गया कली फूल हो गई है।
दुनिया में खुशी आई मस्तियों में खो गई है।।
पक्षियों के कलरव से आई इक जवानी है।
धरती माँ जी तर हो गयीं आई इक रवानी है।।
बादलों के झुरमुट से आज बरसा पानी है।।
गाँव के किसानों की बात अब निराली है।
चेहरे पे खुशी छा गई खुश घरवाली है।।
खेतों में हल चल रहे बहता हुआ पानी है।
धरती माँ जी तर हो गयीं आई इक रवानी है।।
बादलों के झुरमुट से आज बरसा पानी है।।
गुलशन में फूल खिल गए मौसम बहारा है।
मन मयूर नृत्य कर रहे हैं खुशी इजहारा है।।
भ्रमरों के संगीत पर छायी इक कहानी है।
धरती माँ जी तर हो गयीं आई इक रवानी है।।
बादलों के झुरमुट से आज बरसा पानी है।।
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-माँ श्री राधारानी के पावन श्रीचरणों की पावन ' रज '
"कृष्णप्रेमी" गोपालपुरिया प्रमोद पाण्डेय
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2. आ.कुमार नवीन "गौरव"
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4. आ.प्रेमलता चौधरी
5. आ.सुरेश सौरभ ग़ाज़ीपुरी
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15. आ.सुधा चतुर्वेदी ' मधुर
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