साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के दैनिक लेखन क्रमांक :- 3


साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के दैनिक लेखन क्रमांक :- 3

दिनांक :- 28/10/2020

दिवस :- बुधवार

विषय :- गौ माता

विधा : स्वैच्छिक

विषय प्रदाता :- आ. स्वाति 'सरु' जैसमेरिया जी

विषय प्रवर्तक :- आ. राजवीर सिंह मंत्र जी




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#साहित्यसंगमसंस्थानपश्चिमबंगालइकाई

#गौमाता 


विषय प्रवर्तन से पूर्व कुछ आवश्यक बातें रखूंगा। सबसे पहले तो यह कि #विषयप्रवर्तन का मतलब होता है कि विषय के बारे में जानकारी प्रदान करना। जिससे लोग उसके बारे मैं अपना मंतव्य दे सकें। लोगों को लिखने के लिए आह्वान/निमंत्रण आदि। कुछ लोग इस शब्द का मतलब समझे बिना दिनभर अपनी रचना के ऊपर #विषय #प्रवर्तन लिखते रहते हैं। जबकि केवल संस्थान का नाम और विषय लिखकर गैस टैग लगाकर अपनी रचना पोस्ट करनी चाहिए। कुछ लोग दिनांक लिखते हैं। उनकी बीसवीं सदी की मानसिकता नहीं जा रही। अरे, दिन-तारीख और समय सहित सब कुछ यह नई तकनीकि बता देती है। कोई एक लाइक भी करता है तो दुनिया को पता चल जाता है कि फलां व्यक्ति ने फलां समय पर फलां पोस्ट को लाइक किया है। ये वैसे ही लोग हैं कि अभी भी मो० और गैजेट्स के जमाने में  हाथ में घड़ी लटकाकर घूमते हैं। मुझे उन लोगों से बड़ी आपत्ति होती है जो चार सालों से सोए थे और आते ही ज्ञान बघारने लगते हैं। इतने सुझाव बिना बुद्धि के देते हैं कि काम पीछे पड जाते हैं उन निर्बुद्धियों को समझाने में सारा खाली समय व्यतीत हो जाता है। जबकि बार-बार निवेदन किया जाता है कि सुझाव नहीं सहयोग चाहिए। ऐसे लोग खुद तो न कभी किसी का पढ़ते और सुनते/देखते हैं सिर्फ अपने मन का फितूर निकालते रहते हैं। इसके लिए हमारे एक संपादक जी ठीक ही बोलते हैं कि "ऐसे लोग जब बोलते हैं मुंह से गोबर निकालते हैं।" अतः विनम्र निवेदन के साथ पुनः कहना चाहता हूँ कि #सुझाव #नहीं #सहयोग #चाहिए। 


विषय प्रवर्तन- 


आज गौ माता पर लिखना है। गाय हमारी संस्कृति की अनमोल अंग है। इसीलिए इसे माता की संज्ञा प्रदान की गई है। भैंस को माता नहीं कहते। आज पाश्चात्य वादियों की वजह से और उनकी देखा-देखी भारतवर्ष में बुजुर्ग माता - पिता का बड़ा बुरा हाल है। ये अनाथालय और वृद्धाश्रम में पाए जाते हैं। ऐसे लोग ही बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और संभ्रांत कहलाते हैं, जिनके माता - पिता वृद्धाश्रमों में पड़े रहते हैं। मेरी माताश्री को मैं बोलते रह गया, गांव में रहते हुए उनकी इहलीला समाप्त हो गई पर गाय के कारण मेरे पास सुखोपभोग के लिए नहीं आईं। गाय का दूध अमृत होता है और रोगों को दूर भगाता है। आज संसार तमाम बीमारियों और महामारियों का शिकार हो रहा है। इसके पीछे इन्हीं पाश्चात्य वादियों का विकासवादी अज्ञान है। सावधान होने की महती आवश्यकता है। 


यह हो सकता है कि हम नौकरीपेशा होने के कारण गौ सेवा न कर सकें। पर गाय का दूध तो खरीदकर पी सकते हैं। इससे गाय की मांग बढ़ेगी और गायों का संरक्षण हो सकेगा। हम आप चाहें तो डेयरी वालों को भी दो तरह के पैकेट बनाने पड़ेंगे। एक गाय के दूध का और दूसरा भैंस के। पर ऐसी आवाज़ एक के लगाने से बुलंद नहीं होगी। जब पूरा देश कहेगा कि हमें गाय का दूध पीना है वही चाहिए। तभी परिवर्तन संभव है। कविता करते रहिए और आकर्षक प्रमाणपत्र बटोरते रहिए, पर यदि आपके लेखन से सामाजिक परिवर्तन नहीं होता तो वह कूड़ा है। 


अतः आज कुछ ऐसा लिखें जो अविस्मरणीय हो और कारगर हो। भले उसके लिए प्रमाणपत्र मिले न मिले। प्रमाणपत्र देने वाले तो सबको सम्मानित करना चाहते हैं और वे भी व्यक्ति ही हैं। जब आप अच्छा लिखते रहेंगे तो इन प्रमाणपत्रों की कौन कहे पूरी दुनिया आपके समक्ष नतमस्तक होगी। 


१- गो माँ हिंसी 

रोला- विधान- ११-१३ मात्राएं प्रति चरण 


गाय   हमारी   मात,  पूजते  भारतवासी । 

कृष्ण हुए भगवान,  चराई बन वनवासी ।। 

देश बने बलवान, गाय का पालन करके । 

दर्शन-गोबर-मूत्र,  काम का है घर-घरके ।। 


दुग्ध तो अमृत होत, पिए जो स्वस्थ रहे जी ।

पालक पाए लोक,  स्वर्ग  का  मस्त रहे जी ।। 

मंगल होता धाम,   जहाँ  पर  गैया   रहती ।

बिगड़े बनते काम,  यही श्रुति मैया कहती ।। 


आई  जो  सरकार,   अभी  वह  गोरक्षक  है ।

मक्खन-घृत अरु तक्र, दूध की वह पक्षक है ।। 

आओ मिल सब दूध,  दही का सेवन कर लें । 

गो माता को पाल,  सुखों  की  झोली भर लें ।। 


राज वीर सिंह

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नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय -गौ माता 

"गौ माता की पुकार ""

युगों युगों से गौ माता ने बहाई है अमृत धारा
तभी हिन्दू संस्कृति ने इसे माँ कहकर पुकारा

कैसे मिटाएगी मन अंत:करण की, देह के कल्पेष को
कहीं नहीं मासूम हृदय ,जो जाने माँ की पीड़ा को
हर दुश्चिन्तन के विरोध में ,माँ का हृदय हाहाकारा

तभी हिन्दू संस्कृति ने, इसे माँ कहकर पुकारा

भाव मन के प्रेम का ,क्यों निर्झर किया तुमने
क्यों कसाइयो के हाथ में ,सौप दिया है हमे
हमे चाहिए केवल निश्छल, सरल समर्पण तुम्हारा

तभी हिन्दू संस्कृति ने इसे माँ कहकर पुकारा

किलकिला उठी माता , अपने बिखरते आँगन को
दया धर्म सब कहाँ गया , फेशन की होड़ मिटाने को
वही माँ जो वांड्मय बनकर ,देती अमृत की धारा

तभी हिन्दू संस्कृति ने इसे माँ कहकर पुकारा

देश के जवान जाग ! शोर्य स्वाभिमान जाग
राष्ट्र संस्कृति, समाज भाग्य के विधान जाग
शुभ सहज अमृत से , हर मनुज का मन संवारा
तभी हिन्दू संस्कृति ने इसे माँ कहकर पुकारा

✍️  स्वाति "सरू" जैसलमेरिया
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#साहित्य_संगम_संस्थान_नमन_मंच
#विषय_गौ_माता

गाय, गंगा, गायत्री, है हमारी माता।
जो इनकी सेवा करता भव तर जाता।

चारधाम का पुण्य गौ सेवा से मिलता।
वेद पुराण ऋषि मुनि माता का गुण गाता।

माँ के दूध, दही, घी से पोषक तत्व मिलता।
गोबर, गौ मूत्र में भी ओषधि गुण है रहता।

आज माँ के जीवन में यह कैसा संकट आया ।
कत्लखाने में गाय कट रही घोर कलयुग छाया ।

हमे अपनी गाय माता की रक्षा करनी होगी।
आनेवाली पीढ़ी के लिए यह धरोहर बचानी होगी।

गाँव गाँव शहर शहर गौशाला बनवानी होगी।
गौ माता को बचाकर जीवन रक्षा करनी होगी।

✍️  कलावती कर्वा
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#साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल
#दिनांक-28/10/2020
#विषय-गौ माता
विधा-आलेख

    शीर्षक-गौ माता

हमारी भारतीय संस्कृति के मुताबिक आज भी घरों में हर रोज जब सुबह रोटी बनती है तो पहली रोटी गाय के लिए अलग से निकाल उसे खिलाई जाती है। बृहस्पतिवार को लोई में हल्दी लगाकर गौ माता को खिलाने से पुण्य की प्राप्ति होती है ऐसा हमारे पुराणों में माना गया है। बचपन से देखते आए  दादी ,नानी , मां की परंपरा को हम आज भी पूर्ण श्रद्धा से निभा रहे हैं । हर रोज रोटी पर घी लगाकर अपने हाथों से गौ माता को खिलाते हैं। पुरातन संस्कृति में गाय को रोटी खिलाने के पीछे ऐसी मान्यता रही है की इससे जीवन में शुभता व वैभव की प्राप्ति होती है।
पुराणों के अनुसार गौ माता में समस्त देवताओं का वास माना जाता है ।गाय को रोटी व गुड खिलाने से देवता प्रसन्न रहते हैं। इंसान की हर मुराद पूर्ण होती है और परिवार में प्रेमभाव बढता व खुशियां की सौगात आती है।

हमारे हिन्दू धर्म में गाय को सताना घोर पाप माना गया है।भारत में हम गाय को माता का दर्जा देते आए हैं, जिसका प्रमाण है दिवाली के दूसरे दिन घरों में गौवर्धन पूजा में गाय को महत्व देना।गाय समृद्धि का मूल स्त्रोत मानी जाती है  और सकारात्मक उर्जा का भंडार होती है।घर में गाय रखने से आसुरी शक्तियां नष्ट हो जाती है ऐसा हमारे पुरखे हमें बताते आए हैं।

✍️  सुमन राठौड़
झाझड
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नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
# गौ माता
विधा :- कविता
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सत्य सनातन संस्कृति ने
गौ को गौ माता माना है ।
तेतीस कोटि देवताओं का
गौ माता घर ठिकाना है ।।

नख से शिख तक देवताओं
ने छिपकर प्राण बचाये ।
तब से ही पूज्य गौ माता का
दूध अमृत कहलाये ।।

हिन्दू धर्म में गौ का दान कर
वैतरणी पार लगाये ।
शादी-ब्याह में गौ दे बेटी को
दूध का महत्व समझाये ।।

गौ अपनी है पालनहारी वक्त
में साथ निभाये ।
अंत समय में भवसागर से गौ
माता पार लगाये ।।

अमृत जैसा दूध मां देती रोगी
का रोग मिटाये ।
पंच गव्य माता देती है तन मन
निर्मल कर जाये ।।

जिस घर में गौ मां की हो सेवा
वो घर स्वर्ग कहाये ।
रोग दोष कभी पास नही आते
गौ गोबर से अंगना लिपाये ।।

गौ का गोबर है अति पावन जो
जन जान जस गाये ।
लक्ष्मी वास सदा रहता है सरल
सोच समझ समझाये ।।
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✍️  सीताराम राय सरल
टीकमगढ मध्यप्रदेश
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नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
#विषय प्रवर्तन
दिनांक-28.10.2020
दिन-बुधवार
विषय-गौ माता
विधा-संस्मरण

              मूक रिश्ता
             =======
        अब जब भी वह दिखती है अनायास ही बीता समय चलचित्र की तरह घूम जाता है।अभी अधिक समय बीता भी नहीं है।लेकिन ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो।
           पिछले वर्ष 28 जुलाई 2019 को माँ के देह त्याग के दिन तक किसी गांव वाले की एक लगभग नव बुजुर्ग गाय रोज नियम से सुबह सुबह मेरे दरवाजे से गुजर कर भोजन की तलाश में निकलती थी। मेरा मोहल्ला चूंकि गांव से सटा है इसलिए इस तरह जानवरों का आना जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी।कुछ पालतू कुछ आवारा पशुओं से हमारी गली हमेशा गुंजायमान रहती है।खैर....(उस गाय को इस घर से जोड़़ने में कड़ी बना हमारा भांजा जो बचपन में हमारे साथ था।वह दिन में कई बार जैसे उस गाय को देखता, बुलाता और रोटी देता।शायद इसीलिए उसे हमसे,हमारे घर से इतना नेह हो गया।)
        वह गाय पुनः घूम फिर कर 1-1.5घंटे बाद वापस आती थी।तब वह मेरे दरवाजे पर आती अगर दरवाजा अंदर से बंद नहीं है तो अपने सिर से दरवाजा ढकेल कर अगले पैर अंदर कर खड़ी जाती और कुछ देर कुछ पाने का इंतजार करती,थोड़ा विलम्ब या ध्यान न दे पाने की हालत में घुसती हुई कमरे से अंदर बरामदे तक भी बिना संकोच पहुंच जाती और खाने को मिल भी जाता तो भी वह बिना जाने के लिए कहे बिना हिलती तक नहीं थी और यदि दरवाजा अंदर से बंद है तो सिर से दस्तक देकर अपने होने का संकेत भी देती।बहुत बार सुबह इस चक्कर में रोटी लिए हुए जब दरवाजा खोला तो किसी व्यक्ति को पाकर शर्मिंदगी भी हुई।हालांकि हमें इससे कोई खास असुविधा भी नहीं थी शायद इसमें हमारा स्वार्थ भी था कि इसी बहाने गऊ माता के दर्शन, स्पर्श, नमन का मौका भी अनायास मिल जाता था। मेरी माँ अपनी आदत के अनुसार सोने खाने के समय के अलावा सामान्यतः बाहर वाले कमरे में दरवाजे के पास और सुबह शाम बाहर कुर्सी पर बैठती रहीं।वह गाय आती और माँ के मुँँह के पास मुँह करके चुपचाप खड़ी रहती।माँ उसका सिर सहलातीं तो वह बड़े शांत भाव से खड़ी रहती।कुछ पा जाती तो भी बिना दुबारा आने के लिए सुने बगैर हिलती भी नहीं थी।बहुत बार तो चुपचाप दरवाजे पर बैठकर आराम भी करती और अपनी इच्छा होने पर चली जाती।यह क्रम माँ की मृत्यु तक अनवरत लगभग 10-12 वर्षों से चल रहा था।
            माँ की मृत्यु के बाद से उसका आना अनायास कम लगभग न के बराबर रह गया है।अब तो बुलाने पर भी जैसे आना नहीं चाहती।हाथ में खाने के लिए रोटी दिखाने पर भी जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता था,जबकि पहले ऐसा नहीं था। अब तो वह दरवाजे से गुजरती है तो मन किया आ गई नहीं तो कोई बात नहीं,जैसे माँ के जाने के बाद वह इस घर से विमुख सी हो गई हो।उसके उदास चेहरे को देख कर महसूस होता है कि जैसे उसनें मेरी माँ नहीं अपने किसी आत्मीय को खो दिया हो।
          बहरहाल आज एक साल बाद भी उस मूक गऊ माता के भावों को महसूस कर पाने का असफल क्रम जारी है।फिर ऐसा भी लगता है जैसे उसका मेरी माँ के साथ पूर्व जन्म का रिश्ता रहा है।
         बस यहीं धरती का सबसे बुद्धिमान प्राणी अपने को असहाय पाता है।जैसे प्रकृति नें उसे नंगा कर दिया हो।
गऊ माता को नमन वंदन के साथ.....।.     

✍️  🖋सुधीर श्रीवास्तव
         गोण्डा, उ.प्र.,
       8115285921
©मौलिक, स्वरचित
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साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई
#जय_माँ_शारदे
#मंच_को_नमन
#विषय: गौ माता
#विधा: कविता
धन्य हमारी संस्कृति, धन्य है भारत माता ,
अतिथि यहाँ देवता और मैया गौ माता  ।
हर देवी-देवता को गौ में ही पाया जाता
गोरस का पान अमृत तुल्य समझा जाता ।

'गौ-रक्षा' मातृत्व रक्षा-सा जो नहीं समझ पाता
वह पापी माँ हत्यारा के श्रेणी में गिना जाता ।
जिस गैया को मातृ पूरक ही माना जाता
भक्षण कर क्या उसे कोई मातृॠण से मुक्त हो पाता?

कृष्ण'भी गौ पालक बन गोपाल कहलाते।
गैया चराने वृन्दावन में नित्य ही वे जाते ।
गैया के दुग्धपान से वे इतना मजबूत हो जाते
कंस मामा को धरा पर पटक- पटक मुस्काते।

सभ्यता के सीढ़ी पर हम भले ही चढ़ते जाते
फिर भी आदिमानवों की प्रवृत्ति से मोक्ष न पाते!
मजहब के नाम पर आखिर क्यों पशु बलि दिए जाते ?
गौ माता समेत अनगिनत  पशु क्यों हत्या किए जाते ?

ईश्वर के संग सवारी रूप में भिन्न पशु-पक्षी पूजे जाते ,
हमारे पूर्वज मनु स्वयं जीव रक्षा की पाठ पढ़ाते।
वाणी का उपहार अगर सभी जीव जगत पाते
तो मनुष्य 'भद्दे और असभ्य' नाम से नवाज़े जाते।

✍️  स्वाति पाण्डेय 'भारती'
कोलकाता,पश्चिम बंगाल
#साहित्य_संगम_संस्थान
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#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
विषय-गौ माता
विधा-काव्य

दे दो कुछ निवाले हमें
हम तो बेजुबान है।
करते है फरियाद कि
हम मे भी जान है।
रहते है भटकते कुछ
आवारगी मे भी हम,
दुत्कारते तिरस्कार से
यूँ हमें ये जहान है।
रहते है भूखे प्यासे
बेरहमी दुनिया में,
हमारे दुखों से सब,
अजनबी,अंजान है।
आते नही है लूटने
कोई घरबार तुम्हारे,
बासी ही रोटियों के
करो चाहे अन्नदान है।
सुनलो पुकार हमारी
कातर सी है निगाहें,
लेलो सुध हम सबकी
तो बहुत मेहरबान है

✍️  सुशील शर्मा🌹
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नमन मंच
# साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
# विषय- गौ माता
विधा- छंद मुक्त रचना
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हे इंसान
मैं पशु हूं बेजुबान हूं
मैं बहुत परेशान हूं
अपने बछड़े के हिस्से का
दूध तुम्हें पिलाती हूं
पशु होकर भी मां के
सारे फर्ज निभाती हूं
चुपचाप खूंटी पर बंधी हूं
आंख होकर भी अंधी हूं
जूठन तेरा खाकर भी
मेरा दूध पवित्र है
अच्छा भोजन खाकर भी
क्यों तेरा रक्त अपवित्र है?
मेरे तन  के दूध से
मिठाई और पकवान बनाते हो
अपनी तो बात छोड़ो
देवों पर भी मुझे चढ़ाते हो
जीते जी मैं काम आती हूं
तुम्हारे काम की कितने वस्तु
मर कर भी मैं बनाती हूं
जाति धर्म से परे
मैं रखती सब का मान
धर्म विशेष के नाम पर
क्यों मुझको मिलता अपमान?
तुमसे भले तुम्हारे पूर्वज हैं
मेरी सेवा में सुख अपना तजते हैं
तुम्हें गोबर से बदबू आती है
वे देवता मान माथे लगाते हैं
जब तक काम आती हूँ
माता मुझको कहते हैं
आसक्त हो जाता तन मेरा जब
कसाई खाने भेजते हैं
फिर भी मैं तुम्हें
दुआएं ही देती हूं
माता  हूं न !
माता का फर्ज निभाती हूं
फिर भी दया ना आती तुमको
निर्दई ही क्यों रहते हो?
चंद पैसों की खातिर
गाड़ियों में मुझको भरते हो
अपनी मां का ही तन
करते हो तुम छलनी
क्या तुम्हें कभी नहीं
होती आत्मग्लानि?
न पाल सको तो,
न पालो तुम
पीकर मेरा दूध ही
मुझ को सम्मान दिला दो तुम
पीकर मेरा दूध ही
मुझको सम्मान दिला दो तुम

✍️  चंद्रमुखी मेहता
जिला बलरामपुर छत्तीसगढ़
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. #नमनमंच # #साहित्यसंगमसंस्थान #पश्चिमबंगालइकाई
#विषय -#गौमाता
#दिनांक-28/10/2020
#विधा- स्वतंत्र

          " #गौमाता की #पुकार"

"गौ माता" करती #पुकार, सुन लो मेरा क्रंदन।
दूध ,दही और  घृत देती हूं ,हर घर- घर हर आंगन।।
दूध पिलाती बच्चों को मैं, तृप्त  उन्हें करती हूं।।
फिर भी मेरी दयनिता देखो, बेमौत मरती हूं।।
घास- फूस और रोटी .चारा है, मेरा प्रिय भोजन।
फिर भी ना जाने क्यों ,खाना पड़ता है पॉलिथीन।।
कचरा देते साथ -साथ मे, प्लास्टिक मुझे खिलाते।
खाने से मेरा दम घुटता है ,क्यों नहीं समझ वो पाते।।
मै भी हूँ,तेरे मां के जैसी, मेरा पेट भी दुखता है।
इतनी बात समझ नहीं आती, कहती "#गौमाता "है।।
सुन लो गौ की करुण #पुकार, यह सब को समझाना है।
" गौ माता" के क्रंदन को ,घर-घर पहुंचाना है।।

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✍️  रंजना बिनानी
गोलाघाट असम
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#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#मंच को नमन
#विषय:#गौ_माता
#विधा:#कविता
#दिनांक:28/10/2020 (बुधवार)

*गौ माता*

हमारी भारतीय संस्कृति सभ्यता है निराली
गौ माता यहाँ पूजी जाती
वेदों, शास्त्रों, पुराणों मे भी
गौ माता की महिमा का है बखान
दूर करती निर्धनता उन्नत हमें बनाए
जो गौ माता की करता सेवा भवसागर तर जाए
कामधेनु लेकर आती जीवन मे उजाला
हर घर मे हो गौ माता और गाँव मे हो गौशाला
दूध,दही,घी, गौमूत्र, उपला, है गुणकारी
बहुत सारी दवाइयाँ इससे है बनती
हर मंगल कार्य मे गौ माता का
घी, दही, दूध, उपला काम मे है आता
घर मे हो गौमाता का वास अगर
तो वास्तुदोष सब मिट जाता
सब देवी देवताओं का होता
इसमें वास ऐसा पुराणों मे बतालाया
खाने से पहले पहली रोटी गौ माता को देनी चाहिए
उनका आशीर्वाद व आशीष लेना चाहिए
गौ माता है ग्रामीण अर्थव्यवस्था मे रीढ़ की हड्डी
इनकी सेवा करो मन से अच्छी
चारों धाम का पुण्य है मिल जाता
गौ माता की हत्या करके खाते जो माँस
उनको सख्त से सख्त सजा दो आज
अंत समय में भी गौ माता को जो है छूता
विधि विधान से सीधा मोक्ष प्राप्त हो जाता

✍️   शिवशंकर लोध राजपूत
(दिल्ली)

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सादर नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय-गौ माता
#विधा-दोहे

मात्रा भार-13+11=24 ,24

1/वेद करते गुणगान, गौ को देवी  मान।
दुध सदा करती दान,माँ  की कृपा महान ।।

2/गौ माता का उपकार, जीवन का आधार।
माँ की कृपा अपार,हम सभी  कर्जदार ।।

3/गौ की सब सेवा करे, जीवन सुखी होय।
माँ सदा कृपा करे,दुःख कभी न होय।।

4/मोहन गौ पालक बने, माँ मान बढ़ाये ।
कर्म  शिक्षा दे करके, गौ सखा कहलाये ।।

5/गौ को माँ मानिये, सेवा करना काम।
जन्म से मुक्ति मिले,पाये स्वर्ग धाम।।

✍️   गौतम सिहं "अनजान "
पश्चिम मिदनापुर
पश्चिम बंगाल
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# सादर नमन -
# साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई #
विषय - गौमाता
विधा- कविता
भारतीय सभ्यता की पहचान है गौमाता,
ऊँ की तरह सृष्टि का सार है गौमाता,
चिर काल से देवताऔ एंव जन मानस की प्राण रक्षिणी बनी गौमाता,
तभी तो सारा ब्रह्मांड गौमाता में है समाता,
पोषक भी है रक्षक भी है अमृत दायिनी भी है अपनी गौमाता,
थोड़ी क्षणिक सेवा से ही खुश हो जाती गौमाता,
एक रोटी रोज खिलाकर मानस भी अपना सौभाग्य बढ़ाता,
भोली भाली सीधी सादी सादगी में भी लगती प्यारी गौमाता,
नतमस्तक हूँ अपने देश संस्कृति को जहाँ पूजी जाती गौमाता,
भारतीय सभ्यता की पहचान है गौमाता,
ऊँ की तरह सृष्टि का सार है गौमाता।

✍️   संध्या सेठ
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नमन मंच
#विषय-गौ माता

भारतीय संस्कृति में पूजनीय है,
हम सबके लिए वंदनीय है,
हिन्दू धर्म के आस्था से जुड़ी,
गौ माता आदरणीय है।

इनका दूध अमृत समान,
मूत्र का औषधि रूप जान
गोबर खेतों की उर्वरा शक्ति बढाती
इसे है तू माँ समान मान।

छतीस करोड़ देवताओं का इस पर वास् है,
हर घर मे  इसका निवास है,
है सदा पूजन हर त्योहार में इसका होता,
हिंदुओ का गौरव संम्मान है।

दूध दही घी इसका है उत्तम,
यह हमारे लिए है सर्वोत्तम,
पशु नही है हमारी शान है
इसका ख्याल करे उत्तम।

गौ माता हमारी माता है,
इसको समझना भी आता है।

✍️  रुचिका राय,
सिवान बिहार
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साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई
#जय_माँ_शारदे
#मंच_को_नमन
#विषय: गौ माता
#विधा: कविता

अंग -अंग में गौ माता के
सब देवों के धाम हैं
गौ माता के श्री चरणों में
मेरा बारम्बार प्रणाम है
ये केवल गाय नहीं धरा पर
सबसे पावन एक प्राणी है
यह अर्थतंत्र है जीवन का
भारत की मुखरित वाणी हैं
जिसको तैंतीस करोड़ देवता
पूजते आठों याम हैं
गौ माता के श्री चरणों में
मेरा बारम्बार प्रणाम है!!

ये सारे जग की माता हैं
गौ सेवा का पुण्य प्रताप
ऋषि मुनियों ने भी गाया है
गौ माता के आगे तो खुद
मोहन ने शीश नवाया है
अब गौ माता की रक्षा का प्रण
हम सबको करना होगा
धर्म,धर्म और धर्म की खातिर
अब हम सबको लड़ना होगा
वेद पुराण उपनिषद भी जिसकी
महिमा बताएं गुण गातें हैं परशुराम
गौ माता के श्री चरणों में
मेरा बारम्बार प्रणाम है!!

✍️  आभा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश
#साहित्य_संगम_संस्थान
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नमन मंच 🙏
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
#विषय -गौ माता
विधा -आलेख
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       शीर्षक -गौ माता

वैदिक संस्कृति में गौ माता का बड़ा महत्व रहा है| वेदों में गाय का इतना महिमा मंडन किया गया हैं कि गाय को गो माता कहने या मानने का विचार ही लोगों को वेद के गाय के प्रति श्रद्धाभाव से मिला हैं|गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता|मनुष्य अगर अपने जीवन में गौ माता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह काफी संकट से बच सकता हैं|
अथर्ववेद में गाय के बारे में कहा गया हैं -"गावो भगो गाव इंद्रो में "अर्थात  "गाये ही भाग्य और गाये ही मेरा ऐश्वर्य हैं |
गाय का वैज्ञानिक दृष्टि से बड़ा महत्व हैं गाय की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी सर्वरोगनाशक ,
सर्वविनाशक होती हैं|गाय का दूध और गोबर भी लाभदायक होता हैं पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध,दही,घी,मूत्र,गोबर द्वारा किया जाता हैं|वर्तमान समय में गाय का सरंक्षण नहीं हो पा रहा हैं उन्हें ऐसे ही छोड़ दिया जाता हैं हम सब को मिलकर गौ माता की सेवा व संरक्षण करना चाहिये |
"गवोपनिषद" में 'महर्षि वसिष्ठ'
ने गाय को महत्व देते हुये कहा हैं -यया सर्वमिदं व्याप्तं,
         जगत स्थावरजगंमम |
   ताम धेनुशिरसा वन्दे,
         भूतभव्यस्य मातरम ||

✍️ श्वेता बिष्ट रौतेला
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
____________________________________________
#साहित्यसंगमसंस्थान पश्चिम बंगाल इकाई #गऊ माता

प्राचीन काल से सुनता आया
गऊ  हमारी  माता  है।
हिंदु धर्म अनुसार आज भी
जिसको पूजा जाता है।।

गोबर भी पावन है जिसका
मूत्र  औषधी  का भंडार
अमृत घी को कहा गया है
दूध में गुण हैं कई हजार
इनका सेवन मानव तन से
व्याधि दूर भगाता है...
हिंदु धर्म अनुसार आज भी
घर घर पूजा जाता है।

पावनता का नाम जुडा है
ऋषि मुनि कहते आये
गौशाला के निमित सुधीजन
दान यहां करते आये
सेवा करना गऊ माता की
पुण्य कर्म बन जाता है..
हिंदु धर्म अनुसार आज भी
घर घर पूजा जाता है।

गली गली शहरों में मां को
भीख मांगते देखा है
कूडा कचरा पन्नी तक भी
इन्हें  फांकते देखा है
चारा तक न नसीब में जो
अब की दशा बताता है..

नर किंतु जल्लाद बडा है
करता इनसे कमाई है
गऊ मांस व्यापार हिंद में
ये भी एक  सच्चाई है
करतीं हैं व्यापार शक्तियाँ
जानता 'रोज़' विधाता है।

✍️  कुमार रोहित 'रोज़'

https://youtu.be/P_bmiPmdk_M
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#साहित्य संगम संस्थान,पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय:-गौ माता
#विधा:-काव्य

नमन मंच

माँ शब्द चमत्कारी है,
माँ शब्द पीड़ाहारी है।
पुकारते हैं गाय को माता,
क्योंकि ये पूज्यनीय हमारी है।।

गाय के शरीर में हैं देवता विराजते,
करो स्पर्श सब पाप धुल जाते हैं।
महिमा गौ माता की क्या मैं बखान करूँ,
पकड़ पूंछ इनकी भव सागर तर जाते हैं।।

गौ दुग्ध अमृत के समान है निधि,
नित्यप्रति अमृत माँ हमें पिलाती है।
शिशुओं को गाय दूध देता नवजीवन,
गौ माता कामधेनु भी तो कहाती है।।

घास फूस खाती गाय शुद्ध शाकाहारी है,
करो यदि नित्य सेवा देती आशीष है।
चारों धाम करने की उसे नहीं मजबूरी,
यदि नवायें नित्य गौ माता को शीश है।।

सभी वेद शास्त्र यहाँ इनकी ही महिमा गाएं,
पालो गौ माता यदि परिवार फलेगा।
कभी ना विपत्ति रूपी शत्रु आए सामने,
जो गौ माता का सम्मान यहाँ करेगा।।

✍️  राम प्रकाश अवस्थी,रूह
जोधपुर, राजस्थान🙏

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#साहित्य संगम संस्थान
# पश्चिम बंगाल ईकाई
दिनांक 28-10-2020
विषय गौ माता
विधा वर्ण पिरामिड

गौ
माता
पवित्र
कामधेनु
ममतामयी
अमृतदयिनी
प्रतीक संस्कृति की

है
धन्य
संस्कृति
सनातन
माता सदृश
अमृतदयिनी को
आदर से पूजते

✍️  रजनी हरीश

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#साहित्य संगम संस्थान,पश्चिम बंगाल
विषय-गौ माता
विधा-छन्द
••••••••••••••••
गऊ माता सचराचर जगत में,
पुण्य सात्विक एक नाम,
रूखा सूखा खाकर जो ,
देती है जीवन सँवार।

देती है जीवन सँवार,
ऊर अमृत की धार,
करूणा की मूरत भोली,
देव भी करें प्रणाम।

देव भी करें प्रणाम,
नित वात्सल्य छलकाये,
व्याधियाँ दूर करे,
घर में वैभव लाये।

घर में वैभव लाये,
ले न कभी विश्राम,
प्यार दुलार सदा बरसाये,
है ईश्वर का वरदान।

है ईश्वर का वरदान,
ऑक्सीजन दाता,
पावन हुई धरती पाकर,
तुमको गऊ माता।
•••••••••••••••••
✍️ सुखमिला अग्रवाल
        स्वरचित मौलिक
सर्व अधिकार सुरक्षित्
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#साहित्यसंगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#गौ माता

गौ हमारी माता है।
जन्म जन्म से नाता है।
दूध हमें वह देती है।
बदले में नहीं कुछ लेती है।
दूध इसका मीठा होता।
बच्चों बूढ़ों को भाता।
दूध से बनती मीठाई।
मन को यह ललचाता।
रूद्राभिषेक शंकर का होता।
दूध चढ़ाया जाता।
गाय गोबर की पूजा होती।
पूजा स्थल लीपी जाती।
गौ मूत्र औषधि का रूप।
काम आते रोगों में सूप।
घर घर इसकी पूजा होतीं।
माता के स्वरूप।
आती सबको कामहै।
भिन्न भिन्न रूप स्वरूप।।
सेवा करनी चाहिए।
गाय माता की जान।
इससे लाभ अनेक हैं।
मानव तुम पहचान।
स्वस्थ रहने के लिए।
पीना जरूरी दूध।
आप भी सेवन कीजिए।
रहिए चुस्त दुरुस्त।।

✍️  चन्द्र भूषण निर्भय
बेतिया पश्चिम चम्पारण
बिहार

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मंच को सादर नमन
#साहित्य_संगम_संसथान_पश्चिम_बंगाल
विषय- गौ माता
विधा- गीत

चुका ना पाऊंगा मां तेरे दूध का कर्जा!
माँ के बराबर है गौ माता तेरा दर्जा!!

तुमने दूध पिलाया हम सब हुए बड़ा
तेरे हक के लिए माँ मै भी हूँ खड़ा
तुम जिस घर में होती हो खुशियाँ होती है
तुम दुखी तो मै भी दुखी मेरी अखियां रोती है
रो रहा है बालक माँ तु ना जा!

गौ माता जैसा कोई ना है जग में
करो मन सेवा रहके संग संग में
कितना भी दुखी रहती है बच्चो का ध्यान रखती है
गौ माता की जय जयकार करें
लेके शपथ गौ माता आओ प्यार करें
अपनी गौ माता घर परिवार के जैसा!

✍️  शैलेन्द्र गौड
अंबेडकर नगर (उत्तर प्रदेश)
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नमन 🙏 :-  साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
विषय :- गौ माता
विधा :- कविता

गौ हमारी माता हम उनके संतान ,
यही तो है हम हिन्दुस्तानियों का पहचान ।
गौ माता में है विभिन्न देवी देवताओं का स्थान ,
करों गाय की पूजा , बढ़ाओं गौ माता की मान ।।

गाय की सेवा करों , जैसे करते किसान ,
गाय को पूजने वाला ये देश है हिन्दुस्तान ।।
गाय ही लक्ष्मी रूप करूं इनकी बखान ,
चलों गाय माता की सेवा पर करते हैं ध्यान ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता,
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार

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🙏#नमन_साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई_मंच🙏
🌷विषय : #गोमाता ; विधा : #स्वतंत्र🌷
🌹दिनाँक : 28/10/2020 ; दिन : बुधवार🌹

श्याम रंग की माला लेकर,  मधुवन में  मैं  जाऊँगा।
राधारानी   के  चरणों  में,  अपना  शीश  झुकाऊँगा।।
कृपा जो माँ की मिल जायेगी, श्रद्धामय हो जाऊँगा।
गऊ चराते कृष्ण  कन्हैया,  का  दर्शन  कर  पाऊँगा।।

वृन्दावन की कुँजगलिन में, हरि  कीर्तन  मैं  गाऊँगा।
यमुना जी स्नान करूँ और, जीवन सफल बनाऊँगा।।
वंशीवट में कृष्ण की वंशी, मधुर  वहीं  सुन  पाऊँगा।
गऊ चराते कृष्ण  कन्हैया,  का  दर्शन  कर  पाऊँगा।।

गोमाता की अनुपम  सेवा,  करके  पुण्य  कमाऊँगा।
ग्वाल बाल के संग में मैं भी, प्रभु  की  सेवा  पाऊँगा।।
श्रीराधा की कृपादृष्टि से, प्रभु  का  ध्यान  लगाऊँगा।
गऊ चराते कृष्ण  कन्हैया,  का  दर्शन  कर  पाऊँगा।।

कदम्ब  पेड़  की   छाँव   तले, धूनी  कृष्ण  रमाऊँगा।
श्री राधे - राधे कहते - कहते, कृष्ण भक्त हो जाऊँगा।।
होगी  कृपा  जो  माँ  राधे  की,  राधेमय  कहलाऊँगा।
गऊ चराते कृष्ण  कन्हैया,  का  दर्शन  कर  पाऊँगा।।

                       
-माँ श्री राधारानी के पावन श्रीचरणों की पावन ' रज '
                "कृष्णप्रेमी" गोपालपुरिया प्रमोद पाण्डेय
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
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. #नमनमंच # #साहित्यसंगमसंस्थान #पश्चिमबंगालइकाई
#विषय -#गौमाता
#दिनांक-28/10/2020
#विधा- स्वतंत्र

गौ माता की पूजा करते,
हम सब हिंदुस्तानी ।
वेदों शास्त्रों में भी उनकी,
महिमा जाए बखानी ।।

दूर करें माता निर्धनता,
हमको धनी बना ती ।
इसीलिए तो गौमाता है,
घर घर पूजी जाती ।।

देसी दूध गोमूत्र गोबर,
सब ही है गुणकारी ।
गौ माता हे रहती जग में,
उनकी महिमा भारी ।।

मंगल कार्यों में है होती,
पहले उनकी पूजा ।
गोबर से हैं गणेश बनते,
मंगल करें ना दूजा।।

वास्तु दोष सब मिट जाता,
हो वास सभी देवों का।
भवसागर से पार उतारे,
आशीर्वाद सभी देवों का।।

खाने से पहले हम रोटी,
गौ माता को देते ।
इतना करके हम आशीष,
गौमाता से लेते ।।

चारों धाम का पुण्य मिले,
इनकी सेवा करके ।
इनका आशीर्वाद मिले तो,
काल से भी ना डरते।।

इनको जो भी दुख देते हैं,
उनको सख्त सजा दो ।
इनकी हत्या करते जो भी,
मृत्यु दंड तक दे दो ।।

✍️  राजा बाबू दुबे
जबलपुर मध्य प्रदेश
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नमन
#साहित्य संगम संस्थान
#बंगाल इकाई
विषय ..गौ माता
28-10-20   बुधबार

गौ मात तो पावन माता है,
अनगिनत देव उसमें बसते ।
उसकी सेवा ही  उद्धार करे ,
उसके भोजन से हैं पाप कटते ।

माता के दूध से पलते बच्चे ,
गौ मात बिना ये कैसे हो ? ।
दूध -दही- घी -छाछ -मट्ठा ,
उसके बिन कैसे ये तृप्ति हो ?

गौ माता ही,  मरने के बाद ,
वैतरणी नदी पार कराती है़ ।
मानव की मृत्यु निकट जब हो ,
गौ दान की  याद जब आती है़ ।

गौ माता के गोबर से गाँव में ,
घर लीपे  और  पोते जाते हैं ।
ईंधन का काम करे  गोबर ,
घर सब पवित्र हो जाते हैं ।

भूसा  कुटी  खाकर  पय देती ,
ऐसी माता को तुम क्यों मारते हो ?
वो रक्त अश्रु  धार से बिलखती है,
जब तुम हिंसा उस पर करते हो ।

✍️    सुधा चतुर्वेदी मधुर
   ..                मुंबई

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#सादर नमन
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई#
विषय-गौमाता
विधा-कविता
28/10/2020
बुधवार

गौ हमारी माता है।
बचपन से सिखाया है।।
हिन्दू धर्म के अनुसार
इसे पूजे सारा संसार।

माता जी महिमा निराली
जीवन की  करे रखवाली
देती दूध अमृत समान
तभी बनते बच्चे महान।

कामधेनु ये कहलाती है
घर घर मे पूजी जारी है
वेद शास्त्र गाये महिमा अपार
करे सेवा हो जाये भवसागर पार।

गोवर भी पवन इसका
घी भी  अमृत की धार
मूत्र में भी भरे गुण अपार
जो करे दूर रोग हजार।

जो जन करे सेवा तेरी
न भरे दुखों से  देहरी
पर मत कर मानव
मां पर  अत्याचार
स्वार्थ के खातिर
मत ले गौ हत्या पाप।

✍️ अन्जनी अग्रवाल' ओजस्वी'
कानपुर नगर
उत्तर प्रदेश
28/10/2020

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नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान , पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय : गौ माता
विधा : कविता

गौ माता के दूध को,
पीए सकल जहान।
अमृत सा मीठा लगे,
जगत करे सम्मान ।।

जिस घर की पहली रोटी,
बने गाय के नाम ।
उस घर में लक्ष्मी भरे,
घर-भंडार तमाम ।।

गोमूत्र और गोबर भी,
आते औषधि काम ।
गौ माता के पूजन से,
बढ़ते वैभव नाम ।।

एक समस्या आज भी,
ले रही रूप विराट ।
बूढ़ी गाएँ बेच कर,
बनते मूर्ख चपाट ।।

गौ ने अपनी दूध से,
किया हमें बलवान ।
क्यों ना हम सेवा करें,
मिले अभय वरदान ।।

✍️  कुमार नवीन "गौरव"

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#नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय: गौ माता
#विधा: कविता
##############
गाय है हमारी माता,
इसकी सेवा करने से,
इसका दूध पीने से,
मन शुद्ध, तन पवित्र हो जाता।

इसके गोबर से उपले बनते,
मूत्र दवाई बनाने में काम आता,
गौ माता की कोई भी चीज,
बेकार होकर व्यर्थ नहीं जाता।

गाय तो है एक निरीह प्राणी,
गौ माता की सेवा से बड़ा,
गौ माता से ऊँचा,
जानवर का स्थान नहीं।

करती दूर ये निर्धनता,
उन्नत हमें बनाती है,
अमृत है दूध इसका,
हृस्ट पुष्ट हमें बनाती है।

गाय का पालन और इसकी सेवा से,
मानव जाति की सेवा होती,
हर गाय तो रूप कामधेनु का,
जीवन में उजियारा भर देती।

गाय के रोम रोम में,
सारे देवता निवास करते हैं,
जहांँ पूजित होती है गायें,
वहांँ तो चार धाम के पुण्य मिलते हैं।

बहुत विकट समय है आया,
इनका जीवन संकटों से घिरा,
भूखी प्यासी ये विचरती,
किसी को भी तरस नहीं आया।

अब अधम और नीच तो,
गाय का मांस भी खाते हैं,
कैसे पापियों ने जन्म लिया,
माता को काट कर भेजते हैं।

अब नहीं यह जुल्म सहना है,
गौ माता की रक्षा करनी है,
जो भी इनको कष्ट देगा,
उन सबको अब सबक सिखाना है।
*****************

✍️   अभिलाषा "आभा"
गढ़वा (झारखंड)

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नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#विषय गौ माता
गौ माता
हम हैं संस्कारी भारतवासी
गाय को माता को बुलाते हैं
जिसकी नितदिन सेवा करना
हम धर्म अपना बतलाते हैं

गाय हमारी माता हैं
जब सब ये जानते हैं
फिर क्यों अपनी माता को
प्यार नहीं दे पाते हैं

बचपन में हमारे घर
गाय सदा ही रहती थी
सुबह शाम वो गौ माता
दूध हमें फिर देती थी

उनके दूध पीकर हम
बड़े हुए थे बचपन में
उनके संग भी तो खेल
खेले थे हम बचपन में

आखिर नया युग ये आया
गायों को तिरस्कार मिला
मिलावटी दूध पीने को
बचपन क्यों मजबूर हुआ

क्या कभी सोचा तुमने
कैसी आयी ये क्रांति है
घर घर पलने वाली माता
गाय छोड़ने की भ्रांति है

कहते हैं जो वेद पुराण
गाय में देवता समाये हैं
फिर क्यों भारतवासी ये
गाय से मुख मोड़ आये हैं

संभलो सुधरो अब से तुम
बहुत देर कहीं न हो जाये
कलयुग की ये चरम काष्टा
कहीं अपने पर न आ जाये

गायों को पालो पोशो
जीवन का उपकार करो
मेरे भारतवासी तुम भी
कुछ तो परोपकार करो

✍️  सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
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मंच को नमन
दिनांक 28/10/20
विषय गौमाता
विधा कविता

गाय धेनु मात सबकी
यह हमारी शान सबकी
पयस्विनी यह आन  सबकी
दोग्धी भद्रा मान सबकी

मातृ सम है गुण अनेकों
सुरभि कैसी भोली भाली
कैसी अद्भुत यह है रचना
गैया मैया जो बनायी

राष्ट्र की पहचान गौ है
संस्कृति की पहचान गौ है
राष्ट्र माता जगन्नमाता
रोहिणी तुम मां हो दोग्धी

देवों का है वास जिसमें
तैंतीस कोटि देव जिसमें
गोमूत्र में वास लक्ष्मी
धन्य निर्मित धेनु माता

जीवन का आधार गौ है
क्या गुणों की खान रचना
दुग्ध हो या चाहे गोबर
सभी तत्व सार सब है

✍️  डॉ प्रकाश चमोली
श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड भारत

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# नमन मंच
#साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल इकाई
# दिनांक : २८/१०/२०, मंगलवार
# विषय : गौ माता
# विधा : कविता (स्वतंत्र )

गौ माता की महिमा है अपरम्पार
दर्शन मात्र से सबका होता उद्धार
संरक्षण से  पुण्य- फल की प्राप्ति
सेवा करने पर वे भाग्य बदल देती
माता के पृष्ठदेश़ में ब्रह्मा विंराज़तें
मध्य भाग में समस्त देवता बसते
गले विष्णु ,मुख में शिव का वास
नेत्रों में सूर्य व़  चंद्रमा का निवास
गौमाता के रोम रोम महर्षि बसते
पूंछ के स्थान पर अनंतनाग रहते
उनके खुरों में समाये  सारे पर्वत
व़ गौमूत्र में गंगादि पवित्र नदियां
गौमाता के भाल  मां गौरी विंराजें
नासिका भाग  कार्तिकेय भगवन
सृष्टि में है प्रथम आपका आगमन
प्राचीन ग्रंथों में गौमाता का वर्णन
परिक्रमा दे दर्शन लाभ चारों धाम
क्योंकि चारों पैर उनके चारों धाम
गौमाता करतीं मां शब्द उच्चारण
मां शब्द  वस्तुत: गौमाता की देन
गौमाता मां की भांति हमें पालती
आवारा पशु सा न विचरें गौमाता
गौमाता का दूध है अमृत  समान
गोबर,गोमूत्र आते पूजन के काम
सिर  गौमाता के खुंर्र धूल़ धारण
होती पावन तीर्थों के जल समान
गौ हत्या है ब्रह्म- हत्या के समान
कत्लखाने में न जाएं लगे ये रोक
कृष्ण ने की थी गौमाता की सेवा
इसी कारण वे गोपाल भी क़ह़ाते
राजा दिलीप ने की गौमाता सेवा
हमें भी करने चाहिए उनकी सेवा

✍️  राजीव भारती
गौतम बुद्ध नगर नोयडा(संप्रति)
पटना बिहार (गृहनगर)

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#नमनमंच 🙏🏻#साहित्यसंगमसंस्थान #पश्चिमबंगालइकाई
#विषय > गौमाता
#विधा- स्वतंत्र
—————————

गौ माता की हत्या बंद करो,
यह अपनी दूजी माता है।
नहीं मिला जिन्हें दूध मॉ का ,
वो उनकी पालनदाता है।

मत कर हत्या ज़ालिम उसकी,
जिसका दूध पीकर तू बड़ा हुआ।
तेरे क़त्लखानो में उस पर,
ना जाने कितना वार हुआ।

वार जब होता उस पे उसकी,
आंखो में पानी आता था।
पास खड़ा उसका बछड़ा,
तेरे काम पे वो भी रोता था।

क्यों तू कर्म करे है ऐसा,
तेरे बच्चे भी दूध तो पीते है।
जब भूख लगे तेरे बच्चे को,
यही दूध पीके वो जीते है।

छोड़ दे यह कृत्य देखना,
सुख चैन तुम्हें मिलेगा।
मूक प्राणी की हत्या से सुन ले,
तू पश्चाताप में जलेगा।

बंद कर गौ माता की हत्या,
ये कृत्य कभी तुम मत करना।
तूने भी उसका दूध पीया है,
यही भुगतना है मरना।

✍️  सुधीर सोनी बाली ज़िला पाली राजस्थान

____________________________________________
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#दैनिक कार्यक्रम
#विषय -गौ माता
#विधा -कविता
**************
कहते है ब्रह्मा ने पृथ्वी प्रथम जिसे उतारा था,
करुणामयी गौ माता ने पदार्पण से सवांरा था |

खुरी धूल गौ माता के जो सिर मौर चढ़ाता है,
वो प्रभु तीर्थों के जल स्नान का फल पाता है|

समुद्र मंथन के चौदह रत्नों में कामधेनु माता थी,
पदमा,कपिला का उल्लेख ग्रंथो में भी विशेष थी |

गौ माता की परिक्रमा हाथ जोड़ कर लेते जो ,
चार धाम तीर्थ के पुण्यों का फल पाते है वो |

जिनमें तैंतीस कोटि देवी देवता विद्यमान है,
ऐसी हमारी गौ माता का जीवन बड़ा महान है |

✍️  स्वेता गुप्ता " स्वेतांबरी "(कोलकाता )

____________________________________________
# नमन मंचपटल ।
# दिनांक .28 .10 .2020 .
# वार .बुधवार ।
# विषय .गौमाता ।
# विधा .कविता ।
गौमाता में देवताओं ,का वास होता ।
श्रीकृष्ण प्यारी ठहरी ,गौमाता ।।
गौमाता का दुध ,अमृत समान होता ।
गौमाता के दुध से मक्खन ,धी आदी निकलता ।।
गौमाता का गोबर ,किटाणुओं से हमारी रक्षा करता ।
गौमाता का मूत्र ,कयी चर्मरोग पल में ठीक करता ।।
गौमाता हिन्दुओं की ,पूज्नीय होती माता ।
गौमाता की सेवा से ,मोक्षधाम मिलता ।।
गौमाता की रक्षा करना ,हमारा कर्तव्य होता ।
आज गौमाता अनाथ ,भटक रही ।।
कुछ नासमझ उसकी ,हत्या कर गौमांस का भक्षण करते ।
गौमाता हमें बच्चो की ,तरह सदा पालती ।।
उसका गौबर खेती में ,उन्नत खाद होता ।
गाय की रक्षा करना ,सभी भारतीयों का कर्तव्य ही है ।।

✍️  बृजमोहन रणा ,कश्यप ,
कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।
( छंदमुक्त कविता )
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1. आ.स्वाति "सरू" जैसलमेरिया
2. आ.कलावती कर्वा
3. आ.सुमन राठौड़
4. आ.सीताराम राय सरल
5. आ.सुधीर श्रीवास्तव
6. आ.स्वाति पाण्डेय 'भारती'
7. आ.सुशील शर्मा
8. आ.चंद्रमुखी मेहता
9. आ.रंजना बिनानी
10. आ.शिवशंकर लोध राजपूत
11. आ.गौतम सिहं "अनजान "
12. आ.संध्या सेठ
13. आ.रुचिका राय
14. आ.आभा सिंह
15. आ.श्वेता बिष्ट रौतेला
16. आ.कुमार रोहित 'रोज़'
17. आ.राम प्रकाश अवस्थी,रूह
18. आ.रजनी हरीश
19. आ.सुखमिला अग्रवाल
20. आ.चन्द्र भूषण निर्भय
21. आ.शैलेन्द्र गौड
22. आ.रोशन कुमार झा
23. आ.प्रमोद पाण्डेय
24. आ.राजा बाबू दुबे
25. आ.सुधा चतुर्वेदी मधुर
26. आ.अन्जनी अग्रवाल' ओजस्वी'
27. आ.कुमार नवीन "गौरव"
28. आ.अभिलाषा "आभा"
29. आ.सरिता त्रिपाठी
30. आ. डॉ प्रकाश चमोली
31. आ.राजीव भारती
32. आ.सुधीर सोनी बाली
33. आ.स्वेता गुप्ता " स्वेतांबरी
34. आ.बृजमोहन रणा ,कश्यप ,

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